बॉलीवुड के फेमस पार्श्व गायक भूपिंदर सिंह (Bhupinder Singh) ने सोमवार को इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लंबे समय से वह स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे थे। 82 वर्ष की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। इस बात की जानकारी उनकी गायिका पत्नी मिताली सिंह ने दी थी। अपने गानों के लिए मशहूर भूपिंदर सिंह ने मुंबई के अंधेरी स्थित क्रिटीकेयर अस्पताल में आखिरी सांस ली।
भूपिंदर सिंह को उनके बेहतरीन नगमे ”नाम गुम जाएगा”, ”होठों पर ऐसी बात”, ”मीठे बोल बोले”, ”खुश रहो अहले वतन”, ”करोगे याद तो”, ”मेरी आवाज ही पहचान है गर याद रहे”, ”दिल ढूंढता है वही फुर्सत के लम्हें” के लिए जाना जाता है।
1940 में अमृतसर के पंजाबी परिवार में जन्मे भूपिंदर सिंह के पिता प्रोफेसर नत्था सिंह बेहतरीन संगीतकार थे। लेकिन मौसिकी सिखाते वक्त वह जरा सख्त हो जाया करते थे। भूपिंदर ने संगीत की शिक्षा सबसे पहले अपने पिता से ली है। लेकिन उनकी सख्ती की वजह से वह संगीत से थोड़ा चिढ़ने लगे। धीरे-धीरे उनके मन में संगीत के प्रति प्रेम आ गया।

अपने करियर के शुरुआती दिनों में भूपिंदर ऑल इंडिया रेडियो पर पेशकश दिया करते थे। ऑल इंडिया में उनकी गायकी को सुन संगीतकार मदन मोहन ने उन्हें मुंबई बुलाया और उन्हें सबसे पहला मौका फिल्म हकीकत में गाने का मिला। इस फिल्म में उन्होंने ”होके मुझे मजबूर बुलाया होगा” में अपनी आवाज दी। ऐसा कहा जाता है कि साल 1978 में रिलीज एक फिल्म के गुलजार के लिखे गाने वो जो शहर था से उन्हें प्रसिद्धि मिली।
1980 में उन्होंने बांग्ला गायिका मिताली मुखर्जी से शादी कर ली। इसके बाद उन्होंने पार्श्व संगीत से किनारा करते हुए कई कार्यक्रमों में जोड़ी के रूप में कई गाने गाए। दोनों की जोड़ी को खूब पसंद किया गया।