पानीपत आपकी पहली कॉस्टयूम ड्रामा फिल्म है? कॉस्ट्यूम ड्रामा
फिल्में जिम्मेदारी का काम होती हैं। सात साल में 12 फिल्मों के बाद शायद मैंने थोड़ा भरोसा बनाया है। वैसे मैं लकी हूं कि जिस निर्देशक को महारत हासिल है, इतिहास को रुपहले परदे पर लाने में, उनके द्वारा मुझे मौका मिला है। ये कहानी जब मैंने पढ़ी थी, तब मुझे पता ही नहीं था कि किसने ये सीरियल ब्लास्ट करवाया था। कैसे वह आदमी पकड़ा गया था। कैसे आईबी के लोगों ने जान पर खेलकर उसे पकड़ा था। मुझे लगता है कि ये फिल्म ऐसे अनसंग हीरोज की कहानी भी कहती है, जो ऐसे आतंकी को पकड़ने के लिए कई बार खुद के पैसे भी लगाकर मिशन पर चले जाते हैं। जब मैं राज सर से मिला तो उन्होंने मुझे कहा कि तू ये फिल्म हीरो की तरह मत करना।
हमारे आईबी ऑफिसर जेम्स बॉन्ड की तरह नहीं, आम आदमी की तरह होते हैं। उसके बाद राज सर के जरिये मैं अलग-अलग ऑफिसर्स से मिला तो बारिकियां समझीं। मैं ये बात भी साफ कर देना चाहूंगा कि मैंने ये फिल्म ‘रेड के पहले साइन की थी। राज सर कॉमर्स और सेंसिबिल्टी का अच्छा मिक्सर हैं। वे आज के दौर की फिल्में बनाते हैं। मैंने सिर्फ उनके रूल्स फॉलो किए। पूरी फिल्म में दो ही कपड़े पहने हैं।
आपकी पिछली फिल्म नहीं चली?
हां, मुझे पता है कि मेरी फिल्म ‘नमस्ते इंग्लैंड नहीं चली थी, लेकिन ‘मुबारका मेरे लिए अच्छी साबित हुई। ‘हाफ गर्लफ्रेंड ने भी अच्छी कमाई की थी। हर फिल्म 100 करोड़ नहीं हो सकती है। मैं असफलता से परेशान नहीं होता हूं, ना ही सफलता को अपने सिर पर चढ़ने देता हूं। अपनी निजी जिंदगी में मैंने इतने उतार-चढ़ाव देखे हैं कि शुक्रवार मुझे डराते नहीं। मुझे अपने पर भरोसा है। मैं किसी पर अपनी जरूरतों और ख्वाहिशों के लिए निर्भर नहीं हूं। मेरे जिंदगी जीने के अपने नियम हैं और मैं उन्हें फॉलो कर रहा हूं।

पटना में रियल लोकेशंस पर शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
जब स्क्रिप्ट पढ़ी थी, तब ‘गोलघर लिखा था। राज सर ने मुझसे पूछा कि तू पटना चलेगा शूट पर, मैंने कहां, हां। उन्होंने कहा कि सिक्योरिटी की थोड़ी परेशानी हो सकती है। मैंने कहा कि नहीं, मैं अपनी फिल्मों की मार्केटिंग के लिए जा चुका हूं। लोगों से बहुत प्यार मिलता है।
एक एक्टर के तौर पर भी लगा कि फिल्मसिटी में ‘गोलघर बनाकर शूट करते तो पटना के लोग जब फिल्म देखते तो उन्हें तुरंत समझ आ जाता था कि ये तो नकली है, यार हटाओ तो शुरुआत ही फिल्म की गलत हो जाएगी, क्योंकि इस फिल्म की शुरुआत ही पटना से होती है। मैं सात दिन था वहां। बहुत प्यार- अपनापन मिला। फैंस क्या चाहते हैं। फोटो खिंचवा लो, हाथ हिला दो, मुस्कुरा दो, बस उतना ही। इतना तो अपने प्रशंसकों के लिए कर ही सकते हैं। गोलघर के अलावा घाट पर भी शूटिंग हुई। दो-तीन घरों में भी हुई। कार भी चलाई तो किसी को पता भी नहीं चला। पूरे दिन हमने ओमनी कार में शूटिंग की, लेकिन किसी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मेरे लिए आम आदमी बनना मुश्किल था, क्योंकि मैं फिल्म इंडस्ट्री का लड़का हूं।
आप फिल्मों के लिए अपने पापा और चाचा से सलाह लेते हैं?
मैं अपनी फिल्मों के लिए पापा या चाचा से सलाह नहीं लेता हूं। अगर मुझे फिल्म पसंद आई है ही तो करता हूं। खुद पर विश्वास जरूरी है, इसलिए मैं खुद फैसले करता हूं।
आपकी शादी की खबरें लगातार आ रही हैं।
मैंने अपनी जिंदगी में कुछ भी छिपाया नहीं है तो शादी को कैसे छिपा सकता हूं। मैं जब शादी करूंगा तो लोगों को जरूर बताऊंगा। अभी मैं गंजा हूं तो शादी का सवाल ही नहीं है। (हंसते हुए)। आपकी विश लिस्ट में कोई खास निर्देशक है? वैसे तो लंबी लिस्ट है, लेकिन ‘गली ब्वॉय देखने के बाद मैं जोया अख्तर के साथ काम करने का बहुत ही इच्छुक हुआ हूं।
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