‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ की शूटिंग के दोरान आपका अनुभव कैसा रहा?
 
‘दम लगा के हइशा’ के बाद ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ मेरे लिए बहुत खास फिल्म है। फिल्म की टीम इतनी पॉज़िटिव और अच्छी थी कि टीम को देखकर लगता था कि सबलोग एक जैसा सोच रहे हैं और शायद इसी वजह से प्रोडक्ट भी अच्छी है। अक्षय कुमार के साथ काम करना मेरे लाइफ के बेस्ट अनुभवों में से एक है। उनका डेडिकेशन और प्रोफेशनल एटीट्यूड यंगर जेनरेशन को प्रेरित करने वाला है। 
 
इस किरदार को निभाने के लिए क्या कुछ तैयारी करनी पड़ी? क्या ये शौचालय के लिए लड़ने वाली सविता देवी जैसी किसी स्वच्छता दूत की कहानी है?
 
इस फिल्म की कहानी इन औरतों से इंस्पायर्ड जरूर है, लेकिन ये फिल्म दरअलस एक लव स्टोरी है। फिल्म में मेरा किरदार एक स्ट्रॉन्ग और स्वतंत्र विचारों की है। वो एम्बिशियस है और अपना हक लेने का जज्बा रखती है। इस रोल के लिए मैंने कोई अलग से तैयारी नहीं की थी क्योंकि फिल्म के लेखक गरिमा और सिद्धार्त ने फिल्म का स्क्रिप्ट इतना अच्छा लिखा था कि मैं अपने किरदार को काफी हद तक समझ गई थी। फिर शूटिंग के पहले हमलोग जहां शूटिंग कर रहे थे उन घरों के लोगों से मिल-जुलकर भी काफी कुछ समझ चुकी थी।
 
घरों में अक्सर जब औरत अपनी सुख-सुविधा के लिए कुछ मांग करती है तो इसे अच्छा नहीं माना जाता। आपको क्या लगता है?
 
मुझे ऐसे एटीट्यूड से बड़ा गुस्सा आता है। मेरा हमेशा यही सवाल होता है कि पुरुषों को या यूं कहे कि दुनिया को ये दर्जा किसने दिया है कि वो ये तय करे कि वो हमें हक देगा कि नहीं। आज कि महिलाएं अपने हक खुद ले सकती हैं। 
 
इस फिल्म में जो मुद्दा दिखाया गया है उसके बारे में आप पहले भी जानती थी?
 
देखिए मैं एक सोशली कॉन्शियस इंसान हूं। सोसाइटी में क्या हो रहा है, मैं जानती हूं, लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि हमारे देश में खुले में शौच करने की वजह से लड़कियों को जानवर के अटैक से लेकर रेप और एमएमएस जैसे और अपराधों का सामना करना पड़ता है।
 
आपके व्यक्तित्व में आपकी फैमिली का कितना योगदान है?
 
आज मैं जो भी हूं अपने घरवालों की वजह से ही हूं। मेरी फैमिली में मेरे कज़िन्स बहुत पढ़े-लिखे हैं, कोई आईआईटी से इंजीनियर बना है, तो कोई लॉयर है। कोई मेडिकल कर रहा है, तो कोई साइंटिस्ट है। ऐसे एंवायरमेंट में भी जब मैंने फिल्मों की दुनिया में कदम रखना चाहा तो भी मेरे पेरेन्ट्स ने मुझे पूरा सपोर्ट किया। 
 
अपने पैरेन्ट्स के साथ आपके इक्वेशन कैसे हैं? आप किसके ज्यादा करीब हैं?
 
दोनों के बहुत करीब हूं मैं। मुझे याद है जब मैं बड़ी हो रही थी तो एक समय ऐसा भी था जब स्कूल में अगर कोई मुझे कुछ नेगेटिव कहता तो मैं घर आकर पूछती कि क्या मैं सुन्दर नहीं हूं तो उनका जवाब हमेशा यही होता कि किसने कहा कि तुम सुन्दर नहीं हो। मेरे पैरेन्ट्स ने हमें घर में ऐसा माहौल दिया है कि किसी भी तरह की सुपरफिशियल चीज़ो को लेकर मैं ज्यादा परेशान नहीं होती। हमारे घर में कभी ऐसा नहीं रहा कि बेटियों की शादी करानी सबसे जरूरी बात हो। 
मेरे पैरेन्ट्स मुझ पर बहुत भरोसा है और शायद इसलिए मैंने भी आजतक कोई ऐसा काम नहीं किया है जो उनकी नज़र में गलत हो। 
 
आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स क्या हैं?
 
इस फिल्म के रिलीज़ के बाद सितंबर में मेरी फिल्म ‘शुभ मंगल सावधान’ रिलीज़ होगी। ये फिल्म भी लव स्टोरी ही है और मैं समझती हूं कि ऐसी स्टोरी अब तक कभी भी बड़े पर्दे पर दिखाई नहीं गई है। इसके अलावा ‘मनमर्ज़ियां’ भी है। 
 
आप खाली समय में क्या करती हैं? 
 
मुझे किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। मैंने इंग्लिश साहित्य बहुत पढ़ा है। दरअसल मेरी मम्मी को पढ़ने का बहुत शौक है और वो हिन्दी साहित्य बहुत पढ़ चुकी हैं। मुझपर भी उनका प्रभाव है। 
मुझे खाली समय में फिल्में देखना भी बहुत पसंद है। जब मैं छोटी थी तो मुझे बेर्डिंग पास इकट्ठा करने का भी बहुत शौक था। 
 
 
 
ये भी पढ़े-