हर साल बालिदवस के मौके पर। मेरे बचपन के दौरान एक बालिदवस पर मेरे और मेरे माता-पिता मेरे पिता के कारखाने के एक कमर्चारी के घर गये और मैंने उनके बच्चों को अपन खिलौने और कपड़े दिए। हमने साथ में खाना भी खाया और हमारी वजह से किसी को खुश होते देखकर हमें बहुत अच्छा लगा। हालांकि अब हम बड़े हो चकुे हैं, लेकिन किसी भी व्यक्ति के भीतर का बच्चा हमेशा जीवित रहता है और ऐसा होना भी चािहये। मैं सभी को बालिदवस की शुभकामनाएं देता हूं और सभी के लिए मेरा संदेश यह है कि अपने भीरत के बच्चे को हमेशा जीवित रखें।

अक्षिता मुदगल (सोनी सब के भाखरवड़ी में गायत्री)
बालिदवस वह दिन होता है, जब माता-पिता अपने बच्चों को शरारत करने की कुछ अितिरक्त आजादी दतेे हैं, उनकी बात मानते है और ऐसे काम करते है, ताकि बच्चे खुद को खास माने। अब हम बड़ हो चुके हैं, लेकिन हम सभी के भीतर अब भी एक छोटा बच्चा है। तो उस बच्चे के लिए आनद लें , मैं बालिदवस के मौके पर अनाथालय जाती हूं, ताकि वहां के बच्चों को खास होने का अनुभव हो और इस काम में मेरे माता-पिता भी मेरा साथ देतेे हैं। इसके अलावा, मेरे माता-पिता बालिदवस के मौके पर हमेशा मुझे कोई खास चीज देतेे हैं। मुझे वह पहला उपहार आज भी याद है, जो मेरे माता-पिता ने मुझे बालिदवस पर दिया था, वह एक बड़ा टैडी बीयर था, जो आज भी मेरे पास है, चाहे थोड़ा बिगड़ गया हो । वह मेरे लिए बहुत खास था, क्योंकि वह मेरे माता-पिता के प्रेम की अभिव्यक्ति है। माता-पिता अपने बच्चे में सकारात्मकता का संचार करते हैं, उनकी मदद करते हैं और उनकी मासूमियत को जिंदा रखते ह। मुझे खुशी है कि मेरे माता-पिता ने हमेशा मेरा साथ दिया और हर काम में मेरा सहयोग किया।

वश सयानी (सोनी सब के बालवीर रिटर्न्स में बालवीर)
बालिदवस मेरे लिए बहुत खास है, क्योंकि हर वर्ष इस दिन मेरे माता-पिता मुझे विश करते हैं और मुझे उपहार दतेे हैं। यह साल के उन दिनों में से एक है, जो मुझे रोमािचत करता है। क्योंकि माता-पिता मुझे बाहर घुमाने ले जात हे और हम साथ मिलकर एक मस्ती भरा दिन बिताते हैं। यह परंपरा शुरू से चली आ रही है। बालिदवस पर स्कूल की छुट्टी रहती है, लेकिन हम उससे एक दिन पहले स्कूल में मनाते हैं और हम पढ़ने के लिए विभन्न किताबें दी जाती हैं और यह मुझे बहुत अच्छा लगता है। मेरे माता-पिता ने मेरे कॅरियर म हमेशा मेरा साथ दिया है और उनके कारण ही मैं अपने बचपन का पूरा आनंद ले सका और उसे हमेशा जीवंत रख सका। मेरी सबसे अच्छी यादों में से एक यह है कि शूटिंग के पहले दिन मैंने कैमरे और पूरा सेट दखा और बाद में खद को स्क्रीन पर परफॉर्म करते देखा। तब से ही मुझे इसमें आनंद आ रहा है। इस बालिदवस पर मैं ज्यादा मेहनत करना चाहता हूं और अपने साथी कलाकार तथा माता-पिता के साथ इस दिन का आनंद लेना चाहता हूं।

अथर्व शर्मा (सोनी सब के तेरा क्या होगा आलिया में रोहन)
मेरे लिए हर बालिदवस एक उत्सव होता है , क्योंकि इस दिन मैं माता-पिता मेरी पसंद का हर काम करते हैं, जैसे मेरी पसद का खाना बनाना और मुझे उपहार देना। वह इस दिन को खास बना देतेे हैं और पूरा दिन केवल मजे करने के लिए होता है, कोई पढ़ाई नहीं। स्कूल में भी हम एक मजेदार आयोजन करते हैं, जिसमें भाग लेता हूं और हमारे प्रिंसिपल हमें चाचा नेहरू के बारे में बताते हैं। यह सभी विद्यार्थियों के लिए एक मस्ती भरा दिन होता है। इस बार बालिदवस पर मेरी शूिटग रही, तो मैंने सोनी सब के ‘तेरा क्या होगा आलिया’ के सेट पर सभी के साथ खूब मस्ती की।
