यह बात सच है कि दिमाग में चल रही ‘नकारात्मक सोच’ का हम पर बुरा असर पड़ता है, क्योंकि हमारे दिमाग बुरी खबर के लिए ज़्यादा संवेदनशील होता है। इसलिए ज़रूरी नहीं कि ‘नकारात्मक’ सोच वाले व्यक्ति का व्यक्तित्व भी नकारात्मक ही हो। इस बारे में कोलम्बिया एशिया हॉस्पिटल, गाज़ियाबाद के कंसलटेंट साइकेट्रिस्ट डॉक्टर अमूल्य सेठ कहते हैं कि सकारात्मक सोच का यह अर्थ बिल्कुल नहीं कि आप बुरी चीज़ों की अनदेखी करें। सकारात्मक सोच आपको बुरी स्थिति में भी अच्छा सोचने के लिए प्रेरित करती है, आप हर व्यक्ति में अच्छाई देखने की कोशिश करते हैं, आप अपनी खुद की क्षमताओं को भी सकारात्मक नज़रिए से देखते हैं। सकारात्मक सोच वाला व्यक्ति हमेशा ज़्यादा सक्रिय होता है, वह समाज के प्रति बेहतद दृष्टिकोण रखता है, उसमें सकारात्मक भावनाओं के साथ-साथ रचनात्मक कौशल के अद्भुत गुण होते हैं। वह नए कौशल और संसाधनों का जीवन में सर्वश्रेष्ठ संभव इस्तेमाल करता है। हालांकि महत्वाकांक्षी लोग कई बार खुशी और सफलता के बीच भ्रमित हो जाते हैं इसलिए याद रखें अगर आप अपने काम से खुश नहीं हैं तो आप सफल नहीं हो सकते।

नकारात्मक सोच और कॉर्टिसोल का बढ़ना 

हमारा दिमाग नकारात्मक सोच और विचारों के लिए तेज़ी से प्रतिक्रिया करता है। अच्छी खबर के बजाए बुरी खबर का हम पर ज़्यादा असर पड़ता है। हमारा दिमाग हमें इस खतरे से बाहर रखने के लिए प्रतिक्रिया करता है। जब भी हम सकारात्मक रूप से सोचते हैं, हमारा दिमाग यह मान लेता है कि सब कुछ नियन्त्रण में है और इसके लिए कुछ भी करने की ज़रूरत नहीं। लेकिन नकारात्मक सोच के कारण पैदा होने वाला तनाव, दिमाग में इस तरह के बदलाव लाता है कि कि आप मानसिक विकारों जैसे तनाव, अवसाद, शाइज़ोफ्रेनिया और मूड डिसऑर्डर का शिकार हो जाते हैं। पोस्ट ट्रॉमेटिक स्टै्रस डिसऑर्डर से पीड़ित लोगों के दिमाग में असामान्यताएं देखी जा सकती हैं। इससे तनाव हॉर्मोन कॉर्टिसोल की मात्रा हमारे शरीर में बढ़ जाती है, जो हॉर्मोन्स के सामान्य कार्यों में बाधा पैदा करता है।

सकारात्मक रहने की कोशिश करें

कुछ लोग प्राकृति रूप से ही सकारात्मक सोच रखते हैं, लेकिन कुछ लोगों को इसके लिए कोशिश करनी पड़ती है। सकारात्मक सोच रखने से तनाव, अवसाद की संभावना कम होती है, आप लंबा और स्वस्थ जीवन व्यतीत करते हैं, इससे आम सर्दी जुकाम जैसी बीमारियों के लिए आपमें ज़्यादा प्रतिरोधी क्षमता बनी रहती है, आप तनाव प्रबंधन में निपुण होते हैं, आपमें दिल की बीमारियों की संभावना कम हो जाती है और आपका शारीरिक एवं मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य बेहतर रहता है। यहां हम कुछ सुझाव लेकर आए हैं, जिससे आपको सकारात्मक सोच रखने में मदद मिलेगी जैसे – 

नकारात्मकता को पहचानें

अपने जीवन में ऐसे क्षेत्रों को पहचानने की कोशिश करें, जहां आप नकारात्मक सोच रखते हैं जैसे- काम, रिश्ते या रोज़मर्रा की चीज़ें। एक समय में एक ही चीज़ पर ध्यान देने की कोशिश करें।

सकारात्मक लोगों के साथ दोस्ती करें

सुनिश्चित करें कि आपके आसपास के लोगों की सोच भी सकारात्मक हो, जो आपको सकारात्मक सोच के लिए प्रेरित करें। आप अपने खुद के दोस्त बनें। बहुत से लोग नकारात्मक सोच के कारण अपने आपको कसूरवार ठहराने लगते हैं। अपने आप की आलोचना करना या अपनी तुलना दूसरों के साथ करना अच्छी बात नहीं है।

मनन करें

हाल ही में हुए अनुसंधानों से पता चला है कि मनन करने वाले लोग ज़्यादा सकारात्मक सोच का प्रदर्शन करते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में महत्वपूर्ण जीवन कौशल का विकास होता है। रोज़ना मनन करने वाले लोग जीवन में कुशल होते हैं, उन्हें सामाजिक सहयोग मिलता है और उनमें बीमारियों की संभावना कम होती है।

सकारात्मक चीज़ें लिखें

जर्नल ऑफ रीसर्च इन पर्सनेलिटी में प्रकाशित एक लेख के अनुसार वे छात्र जो अपने सकारात्मक अनुभवों के बारे में लिखते हैं, उनका मानसिक स्तर बेहतर होता है, उन्हें कम बीमारियां होती हैं और चिकित्सक के पास जाने की ज़रूरत भी कम होती है।

खुश रहने की कोशिश करें

जीवन की हर परिस्थिति में मुस्कराते रहे, चुनौतीपूर्ण स्थिति में भी घबराएं नहीं। हर दिन हंसते-मुस्कराते हुए खुश रहें, तनाव और शिकायतें आपसे खुद-बखुद ही दूर रहेंगी। 

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