श्रीदेवी के लाइफ में उनकी फैमिली की अहमियत बहुत अधिक थी, ये उनके इंस्टाग्राम अकाउन्ट को देखकर भी पता चलता है। बोनी कपूर के साथ उनकी बेटियां खुशी और जाह्नवी, यही उनकी वो दुनिया थी जिसमें वो खुश और संतुष्ट थी। उन्होंने करियर की बुलंदिया देखी थी और लंबे समय के बाद कमबैक करने पर भी फिल्म इंग्लिश विंग्लिश में वैसी ही सफतला को महसूस किया था। लेकिन शायद हमारा अतीत कहीं न कहीं मन में घर करके हमेशा बैठा रहता है तभी जिन लोगों ने श्रीदेवी को करीब से देखा है और उनके साथ काम किया है, वो जानते हैं कि श्रीदेवी की लाइफ कैमरे के आगे जितनी खुशमिजाज दिखती थी, उनकी लाइफ कैमरे के पीछे उतनी ही गमगीन, उदास और परेशानियों से भरी थी।
बचपन से कर रही थी काम
श्रीदेवी ने लगभग पांचों दशक तक काम किया था। मात्र 4 साल की उम्र से ही उन्होंने तमिल, तेलुगू, मल्यालम और कन्नड फिल्मों में काम करना शुरू किया था। श्रीदेवी का पहला अडल्ट रोल उन्हें मात्र 13 साल की उम्र में फिल्म मुंड्रु मुदिचु में मिला था। यानी उन्होंने अपना बचपन छटाक मात्र भी एंजॉय नहीं किया था। काम करते करते ही वो जवान भी हुई लेकिन लाइफ के छोटे-छोटे पलों को वैसे एंजॉय नहीं कर सकी जैसे एक आम लड़की कर सकती है। बचपन में ही उन्हें बड़े जैसा बिहेव करना पड़ा।
पिता के जाने से लगा था गहरा झटका
राम गोपाल वर्मा ने अपने एक आर्टिकल में लिखा भी था कि श्रीदेवी के पापा जब तक जिन्दा थे वो आसमान में उड़ने वाली किसी पक्षी की तरह थी, लेकिन उनके जाने के बाद वो किसी पिंजड़े में कैद चिड़िया जैसी हो गई थी क्योंकि उनकी मम्मी उन्हें लेकर ओवर प्रोटेक्टिव थी।
नहीं एंजॉय कर पाई अपनी ही कमाई
राम गोपाल वर्मा ने अपने श्रीदेवी के फैन्स के लिए लिखे ओपन लेटर में लिखा भी है कि जिस वक्त श्रीदेवी फिल्मों में सक्रीय थी उस वक्त ज्यातादर निर्देशक फीस के नाम पर ब्लैक मनी दिया करते थे। श्रीदेवी के पापा किसी भी रेड आदी से बचने के लिए ये पैसे अपने रिलटिव्स के पास रखवाया करते थे, लेकिन सबने उन्हें धोखा दिया और ये पैसे कभी लौटकर नहीं आए। फिर पिता के जाने के बाद उनकी मम्मी ने भी जहां जहां भी इंवेस्टमेंट किया, सभी जगह ये पैसे डूब गए। जिस वक्त बोनी श्रीदेवी के लाइफ में आए उस वक्त श्रीदेवी के पास कुछ भी नहीं था।
पहले मां गई, फिर बहन ने दिया झटका
श्रीदेवी की मम्मी के ब्रेन का ऑपरेशन यू एस में हुआ था और इस सर्जरी में कुछ गलति की वजह से ही उन्हें मेन्टल प्रॉब्लम्स हो गए थे। श्रीदेवी की बहन, जो कि उनके बहुत करीब थी, ने पड़ोसी के बेटे के साथ पहले तो भाग कर शादी कर ली। और जब इस बात का खुलासा हुआ कि मां ने सारी प्रॉपर्टी श्रीदेवी के नाम कर दी है, तो उसने कोर्ट में ये कह कर प्रॉपर्टी पर आपना धावा ठोका कि उनकी मां का दिमाग सही काम नहीं कर रहा है।
यानी जब श्रीदेवी ने बोनी को खुद के करीब आने दिया तो उनके पास कुछ भी नहीं था, और बोनी कपूर भी दिवालिया हालत में ही थे। बस, बोनी कपूर उनके वो सच्चे साथी थे जो उनकी बात सुन सकते थे, और उन्हें रोने के लिए अपना कंधा दे सकते थे।
बोनी की मां ने किया था भरी लॉबी में इंसल्ट
जिस चेहरे का पूरा देश दिवाना था, उस श्रीदेवी को बोनी कपूर की मां और उनकी पहली पत्नी ने घर तोड़ने वाली जैसे नाम दिए। श्रीदेवी के दुख का अंदाजा ऐसे लगा सकते हैं कि बोनी कपूर की मां ने उनके पेट पर सरे आम लॉबी में मुक्के से वार किया था। इसके बाद बोनी कपूर ने अपनी पुरानी पत्नी ही नहीं अपने बच्चों अर्जुन कपूर और से भी दूरियां बना ली थी। वो अपने बच्चों से मिलना चाहते थे तो श्रीदेवी असुरक्षित महसूस करती थी।
बढ़ती उम्र से लगता था डर
श्रीदेवी को जानने वाले ये भी बताते हैं कि उन्हें बढ़ती उम्र से डर लगता था। इस बात का जिक्र फिल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने भी किया है। अपनी सुन्दरता को हमेशा बनाए रखने के लिए श्रीदेवी अकसर विदेश यात्राएं करती और ब्यूटी ट्रीटमेंट्स कराते रहती। सोचिए, जिसके चेहरे पर आप एक कमी ढूंढ नहीं पा रहे थे, वो अपने हुस्न से खुश नहीं थी।
राम गोपल वर्मा के अनुसार उन्होंने श्रीदेवी के साथ दो फिल्मों में काम किया था और उन्हें श्रीदेवी के चेहरे पर सबसे ज्यादा सुकून तब दिखता था जब वो कैमरे के सामने एक्टिंग कर रही होती थी।
