Saving And Current Account- सभी बैंक अपने ग्राहकों को सेविंग अकाउंट और करेंट अकाउंट दोनों तरह के अकाउंट खोलने की सुविधा देते हैं। इन दोनों अकाउंट को अलग-अलग जरूरतों के लिए डिजाइन किया गया है। सेविंग अकाउंट उन लोगों के लिए होते हैं,जो अपना पैसा बैंक के पास सुरक्षिततौर पर बचत के रूप में रखते हैं। वहीं करेंट अकाउंट ट्रेडर्स और एंत्रप्रेन्योर्स के लिए होते हैं,जो डेली लेनदेन करते हैं।
कई बार आपको भी ट्रेडर्स या फिर एंत्रप्रेन्योर्स की तरह कई सारे पेमेंट्स करने या किसी से पैसे लेने और अन्य लेनदेन करने पड़ सकते हैं। ऐसे में आपको बार-बार अपने बैंक अकाउंट को एक्सेस करना पड़ता है। डेली और बहुत सारे लेनदेन करने के लिए ही करेंट अकाउंट को डिजाइन किया गया है। अकाउंट क्या होता है और ये कैसे सेविंग अकाउंट से अलग हैं, चलिए जानते हैं इसके बारे में।
क्या है सेविंग और करेंट अकाउंट

सेविंग अकाउंट एक बचत जमा खाता होता है, जिसका इस्तेमाल बैंक ग्राहक अपनी बचत को सुरक्षित रखने के लिए करते हैं और जरूरत के समय पैसे निकाल सकते हैं। सेविग अकाउंट में लेनदेन करने की एक फ्री मंथली लिमिट होती है। इस लिमिट से अधिक बार बैंक अकाउंट से ट्रांजेक्शन करने पर ग्राहकों को कुछ फीस देनी पडती है। वहीं दूसरी ओर करेंट अकाउंट में अनलिमिटेड डेली ट्रांजेक्शन किए जा सकते हैं।
किसके लिए उपयोगी है
सेविंग अकाउंट उन लोगों के लिए उपयुक्त होते हैं जो सैलरीड कर्मचारी हैं या जिनके पास मंथली इनकम होती है। वहीं करेंट अकाउंट ट्रेडर्स और उद्यमियों के लिए उपयुक्त होते हैं,क्योंकि इन्हें अक्सर अपने बैंक अकाउंट से प्रतिदिन ही लेनदेन करने होते हैं।
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कितना मिलता है इंट्रेस्ट

जैसा की नाम से ही पता चलता है कि सेविंग अकाउंट बचत के लिए होते हैं। इसलिए अधिकांश बैंक सेविंग अकाउंट पर करीब 4 प्रतिशत की दर से जमा राशि पर ब्याज का भुगतान करते हैं। वहीं करेंट अकाउंट पर इस तरह का कोई ब्याज नहीं मिलता है। कुछ बैंक करेंट अकाउंट पर ब्याज देते भी है, तो वह सेविंग अकाउंट की तुलना में बहुत कम होता है। करेंट अकाउंट वास्तव में एक बिना ब्याज वाला डिपोजिट अकाउंट होता है।
मिनिमम बैलेंस
सेविंग अकाउंट और करेंट अकाउंट दोनों में आपको हर महीने के आधार पर एक मिनिमम बैलेंस बनाकर रखने की आवश्यकता होती है। मिनिमम बैलेंस न होने पर बैंक जुर्माना लगाते हैं। हालांकि सेविंग अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की सीमा बहुत कम होती है,जबकि करेंट अकाउंट में मिनिमम बैलेंस की सीमा तुलनात्मक रूप से अधिक होती है।
लेनदेन की सीमा

सेविंग अकाउंट में लेनदेन करने की एक सीमा तय होती है। तय सीमा से अधिक बार लेनदेन करने पर बैंक ग्राहकों से शुल्क लेते हैं। करेंट अकाउंट को डेली ट्रांजेक्शन के लिए डिजाइन किया गया है। करेंट अकाउंट में जितनी बार जरूरत हो उतनी बार पैसा निकालने और जमा करने की अनुमति होती है। करेंट अकाउंट व्यवसायों,कंपनियों और संस्थानों के लिए उनके डेली फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन के लिए होते हैं।
ओवरड्राफ्ट की सुविधा
बैंक मर्चेंट्स और कंपनियों को उनके कारोबार के लिए ओवरड्राफ्ट सुविधा भी प्रदान करते हैं। ओवरड्राफ्ट का मतलब है कि आपके बैंक अकाउंट में पैसा न होने पर भी ग्राहक जरूरत पडने पर बैंक से मामूली ब्याज दर पर पैसा ले सकते हैं। अधिकांश बैंक करेंट अकाउंट पर ग्राहकों को उनकी ट्रांजेक्शन हिस्ट्री के आधार पर ओवरड्राफ्ट सुविधा उपलब्ध कराते हैं। वहीं सेविंग अकाउंट पर ओवरड्राफ्ट की सुविधा नहीं मिलती है। सेविंग अकाउंट में जितना पैसा जमा है,आप बस उतना ही पैसा निकाल सकते हैं।
