Kalp Vriksha Importance: पौराणिक शास्त्रों के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान कुल 14 रत्नों की प्राप्ति हुई थीं, उनमें से एक कल्पवृक्ष भी था। बाद में यह कल्पवृक्ष देवराज इंद्र को सौंप दिया गया था। स्वर्ग के राजा देवराज इंद्र ने कल्पवृक्ष की स्थापना स्वर्ग के नन्दन वन में की। इस तरह कल्पवृक्ष को देववृक्ष भी कहा जाता है। सनातन धर्म में मान्यता है कि कल्पवृक्ष से जो भी वस्तु मांगी जाये, कल्पवृक्ष वहीं दे देता है। माना जाता हैं कि कल्पवृक्ष का अंत कल्पान्तर काल तक नहीं होता है। समुद्र मंथन से उत्पन्न कल्पवृक्ष बहुत सालों तक स्वर्ग लोक में ही था। लेकिन, कुछ कारणों से भगवान श्री कृष्ण को कल्पवृक्ष को स्वर्गलोक से धरती लोक पर लाना पड़ा। आईये जानते हैं पंडित इंद्रमणि घनस्याल से स्वर्गलोक के कल्पवृक्ष को धरती पर लाने के पीछे क्या कारण रहा।
श्री कृष्ण से जुड़ी है कथा

पौराणिक शास्त्रों में प्रचलित एक कथा के अनुसार एक बार नारद जी ने भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण को कल्पवृक्ष के फूल लाकर दिए थे। तब भगवान श्री कृष्ण ने कल्पवृक्ष के सभी फूलों को रूक्मणी को भेंट किये। इसके बाद रुक्मणी ने कल्पवृक्ष के उन फुलों को अपने जुड़े में लगा लिया था। ये सब देखकर भगवान श्री कृष्ण जी की दूसरी रानी सत्यभामा नाराज हो गई थी। तब सत्यभामा को रुष्ट देखकर श्री कृष्ण जी ने स्वर्गलोक से कल्पवृक्ष का पेड़ लाने का वादा किया।
स्वर्गलोक से लेकर आए कल्पवृक्ष

भगवान श्री कृष्ण ने नारद जी से कहा कि वे इंद्रलोक जाकर कल्पवृक्ष का पेड़ लेकर आए लेकिन देवराज इंद्र ने कल्पवृक्ष का पेड़ धरती लोक पर ले जाने से साफ मना कर दिया। तब भगवान श्री कृष्ण क्रोधित हो गए और उन्होंने देवराज इंद्र के साथ युद्ध किया। युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र चला दिया जिसके कारण देवों की माता देवी अदिति ने इंद्रदेव को भगवान श्रीकृष्ण से बचाया था और उन्होंने देवराज इंद्र को आदेश दिया कि वे कल्पवृक्ष को भगवान श्री कृष्ण को धरती पर ले जाने दे। पौराणिक शास्त्रों के अनुसार युद्ध में भगवान श्री कृष्ण द्वारा देवराज इंद्र को पराजित करने के बाद भगवान श्री कृष्ण कल्पवृक्ष को धरती पर लेकर आए और उसे द्वारिका नगरी में सत्यभामा के महल की खिड़की के पास लगाया था। इस तरह सत्यभामा का हठ पूरा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण स्वर्ग लोक से कल्पवृक्ष को धरती लोक पर लेकर आए थे।
कल्पवृक्ष के फायदे

पौराणिक शास्त्रों के अनुसार मान्यता है कि कल्पवृक्ष सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार कल्पवृक्ष के पेड़ के नीचे बैठकर हम जो भी मुराद करते हैं वह पूरी हो जाती है। स्वास्थ्य की दृष्टि से देखा जाए तो कल्पवृक्ष की पांच पत्तियों का सेवन करने से हमें संपूर्ण पोषण मिलता है। कल्पवृक्ष के पत्तों में भरपूर मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट्स पाया जाता है। यह पेड़ हवा को शुद्ध बनाता है। कल्पवृक्ष की पत्तियों के साथ-साथ इसके फूलों का रस भी स्वास्थ्य की दृष्टि से बहुत लाभदायक बताया जाता है।
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