माँ की यादों से दिल भरता नहीं,
वक्त है कि ज़रा ठहरता नहीं,
टूट-टूट कर आती जब यादें उसकी,
दिल है कि संभाले सम्हलता नहीं,
ध्यान हटता नहीं,मन से जाती नहीं,
हर पल मन में समाती रहीं,
माँ की यादों से दिल भरता नहीं,
खुले आसमां के नीचे सोया करते थे हम,
सीता -राम की कहानी सुना करते थे हम,
ख्याल आते रहे आंसमा के तले,
आँखे आईं भर-भर ,सोच- सोच कर,

मेरा दिन बिन माँ के गुजारता नहीं,
माँ की यादों से दिल भरता नहीं,
थीं जब-,कितना सुकून था संग में,
लेकिन अब बिन उसके,मन खिलता नहीं,
आती रहती हैं यादें दिल में मेरे,
मन काबू में मेरा रहता नहीं,
माँ की यादों से दिल भरता नहीं,
लिख रही हूं मैं “माँ”तुम्हें याद कर,
आँसू है कि मेरे थमते नहीं,
लगा ऐसा मुझे कि तुम खड़ी सामने,
ये वहम मेरा,सच क्यों होता नहीं,
माँ की यादों से दिल भरता नहीं।।
मधु गोयल