Hindi Story: मैं उनकी बातों को सुनकर उठी और दर्द का बहाना करके फिर से लेट गई। और बोली आज मुझसे कुछ नहीं हो पाएगा।
अजीब-सा सवाल था उनका, सारा दिन घर पर करती क्या हो? पतिदेव की यह बातें सच में कांटे की तरह चुभ रही थी मुझे। हैरान थी मैं उनकी बातों को सुनकर। कैसे बताती मैं उनको सारा दिन घर पर क्या-क्या काम रहता है, और किन-किन कामों में व्यस्त रहती हूं।
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बस इतना ही तो कहा था मैंने, सामान जगह पर रखें इधर-उधर बिखेरे नहीं। इस पर उल्टा मुझे कहने लगे, सारा दिन घर पर करती क्या हो? मैंने भी तय कर लिया, इन्हे सब कुछ दिखा के रहूंगी और रास्ते पर ला कर रहूंगी। अगले ही दिन मैं कमर दर्द का बहाना करके बिस्तर पर लेटी रही। और जोर-जोर से चिल्लाती रही, उई मां, मुझसे उठा नहीं जा रहा है, बहुत तेज दर्द हो रहा है। पतिदेव घबराते हुए उठे और जल्दी से झंडू बाम लेकर कमर दर्द पर मालिश करने लगे और मुझसे पूछे अगर आराम लग रहा है। तो मेरे लिए एक कप चाय बना दो। मैंने कहा नहीं, आप तो मेरी हालत देख ही रहे हैं, और क्या स्थिति है हमारी। काश हर रोज की तरह आज मेरी तबीयत ठीक रहती, तब इन्होंने कहा कोई बात नहीं, मैं खुद ही चाय बना लेता हूं।
कुछ देर के बाद इन्होंने अपने लिए और मेरे लिए चाय बना के ली। कुछ देर के बाद फिर वो मेरे पास आए और बोले 8:00 बज बज गए जल्दी से उठो, बच्चों का स्कूल का टिफिन और मेरे लिए ऑफिस का लंच बना दो। मैं उनकी बातों को सुनकर उठी और दर्द का बहाना करके फिर से लेट गई। और बोली आज मुझसे कुछ नहीं हो पाएगा। मेरी तबीयत ठीक नहीं लग रही है। ऐसा कीजिए आज आप ऑफिस से छुट्टी ले लीजिए। और आज आप घर पर ही रहिए। क्योंकि बच्चों को कौन देखेगा। पतिदेव ने मेरी बातें मान ली। और बच्चों का टिफिन बनाकर, उन्हें तैयार करके बस स्टॉप पर छोडऩे गए। दोपहर में बच्चे आते ही शोर मचाने लगे और कपड़ा इधर-उधर खोल कर फेंक दिए। घर बिखरा-बिखरा लगने लगा। इन्हे देखा नहीं जा रहा था फिर उन्होंने मुझसे कहा, जरा ठीक कर दो ना रूम को। मैं दर्द का बहाना करके बोली, आज मुझसे कुछ नहीं होगा, क्योंकि मुझे बहुत तेज दर्द हो रहा है। आप ठीक कर दीजिए रूम को प्लीज। यह बोले ठीक है मैं ठीक कर देता हूं रूम को।
उसके बाद बच्चो को खाना खिलाया, खुद भी खाया और मुझे भी परोसा। मैं दर्द का बहाना बनाकर खाना खाकर फिर से लेट गई और मैं टेबल पर ही जूठा थाली रख दी। यह बड़बड़ाने लगे, अब तो मुझसे कोई काम नहीं होगा, बहुत कर लिया सुबह से काम, अब मैं भी आराम करूंगा मैं लेटने जा रहा हूं। यदि घर पर रहूंगा तो, मैं चैन की सांस भी नहीं ले पाऊंगा। इतने सालों से मेरी वाइफ सारा काम कर रही थी। आज पता नहीं मैडम जी कमर दर्द का बहाना क्यों कर रही है? अभी वह मन ही मन सारी बातें सोच ही रहे थे। तब तक बच्चे आ गए, और पापा-पापा करके इन्हें उठाने लगे। और बोलने लगे पापा मुझे जोरो से नींद आ रही है। मुझे आप सुला दो ना। तभी ये कहने लगे मैं काम करते-करते थक गया हूं। आप मम्मा को बोलो ना वो, आपको सुला देंगी। दोनों बच्चे जिद करने लगे, नहीं पापा, ‘आज मुझे आप सुलाओगे। कल से स्कूल से जब मैं घर पर आऊंगा, तब मम्मा हमें सुलाएगी। आज मम्मा की तबीयत ठीक नहीं है, आप मुझे सुला दो। मैंने इन्हें उठाया, और कहा कपड़े छत पर हैं, और बारिश में भींग जाएंगे। इन्हें मेरी बाते सुनकर गुस्सा आ रहा था लेकिन ये करते क्या क्योंकि घर तो इन्हें संभालना था। मैं तबीयत का बहाना करके जो बैठी थी। ये जल्दी से कपड़े छत से लाए और घर के ही आंगन में उसे सूखने दिए और आराम करने के लिए लेट गए। इन्होंने कहा मुझसे एक कप चाय बना दो। मैंने कहा मेरी तबीयत ठीक नहीं है। आप खुद ही चाय बनाके पी लो। ये मेरी बाते सुनकर गुस्से से आग बबूला हो गए, और मुझ पर बरस पड़े। तुम्हे शर्म नहीं आती है, ये बोलते हुए कि मैं खुद ही चाय बना कर पी लूं। जबकि तुम देख रही हो। सारा दिन घर पर काम करता रहा। दस मिनट का भी आराम नहीं कर पाया। तभी मैं बोली बात समझ में आया, घर पर कितना काम रहता है। रोज मुझसे आप सवाल करते हो, कि सारा दिन घर पर करती क्या हो? आप सुबह नौ बजे ऑफिस जाते हो, और शाम को छ: बजे घर चले आते हो। और उसके बाद में आपके लिए चाय नाश्ता बनाती हूं। आप आराम से चाय पीते हो नाश्ता करते हो, टीवी देखते हो, और फिर सोने चले जाते हो। पर मैं कब आराम करती हूं, सुबह छ: बजे उठती हूं, और सारा दिन घर का काम करती रहती हूं। और रात के 11 बजे सोने जाती हूं। आपको संडे छुट्टी भी रहती है, लेकिन मेरी कब छुट्टी होती है घर पर। बल्कि और ज्यादा काम रहता है। आप तो हर त्यौहार पर छुट्टी मनाते हो पर मेरी कौन सी त्यौहार पर छुट्टी रहती है। त्यौहार पर तो मुझे और ज्यादा काम रहता है क्योंकि उस दिन घर मेहमान से भरा रहता है और आप कहते हो कि सारा दिन घर पर करती क्या हो? ये मेरी बाते ध्यान से सुन रहे थे।
