ट्रिन– ट्रिन हेलो कौन?
– नमस्ते भाईसाहब कैसे हैं?
ठीक हूं। तुम सुनाओ।
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ट्रिन– ट्रिन हेलो कौन?
– नमस्ते भाईसाहब कैसे हैं?
ठीक हूं। तुम सुनाओ।
राजा विक्रम ने हमेशा की तरह शव को पीपल के वृक्ष से उतारा। जब विक्रम चुपचाप चलता जा रहा था, तो बेताल एक और कहानी सुनाने लगा।
आसमां से विधाता भी अपनी इस कृति (इंसान) को देख निहाल हो रहा था। ‘विपरीत से विपरीत परिस्थिति में भी सकारात्मक और आशावादी बने रहकर तू विजयी हो ही जाता है। धन्य है तू!
समाजवादी कहते हैं कि वे समाजवाद के समर्थक हैं। पूंजीवादी कहते हैं कि वे पूंजीवाद के समर्थक हैं। यदि अवसरवाद के कोई संस्थापक होंगे तो उन्हें जान कर अफसोस होगा कि अवसरवाद के कट्टर समर्थक भी यह मानने के लिए तैयार नहीं होते कि वे अवसरवादी हैं।
एक बार फिर से, वीर विक्रम हाथ में तलवार लिए पेड़ के पास जा पहुँचा। उसने पेड़ से लटकता शव उतार कर, कंधे पर लादा व शमशान भूमि की ओर चल दिया।
एक दिन रानी ने राजा अकबर से कहा कि वे बीरबल को उसके पद से हटा कर, रानी के भाई को वज़ीर बना दें। राजा को यह अच्छा तो नहीं लगा, लेकिन रानी के बुरा मानने पर वह बेमन से मान गए। रानी ने राजा से कहा।
इंसाफ करने के लिए प्रसिद्ध बीरबल के पास एक बार एक व्यापारी पहुँचा। उसने कहा, श्रीमान! बहुत समय पहले, मेरे एक मित्र ने मुझसे हजार रुपए उधार लिए थे, पर अब वह पैसे वापिस करने से इंकार कर रहा है।
बीरबल से जलने वाले दरबारियों ने उसे मारने की साजिश रची। उन्होंने बादशाह के नाई को कुछ सोने के सिक्के दे कर अपनी ओर मिला लिया। अगली सुबह नाई बादशाह के पास पहुँचा तो बोला।
‘सुरीला मिट्ठू’ नाम था उसका। आज मेले में उसके मालिक ने उसको एक नए मालिक को बेच दिया था। उसे आज एक नया घर मिलने वाला था, लेकिन पिंजरा वही पुराना था, यहां उसे लौट कर रोज़ वहीं कैद हो जाना था।
रमिता आज बहुत खुश थी, खुशी की बात तो थी ही… बरसों से जिस अवसर का बेकरारी से इंतजार था आज वो दिन आ ही गया ।
ऑफिस पहुंचते ही चपरासी ने चेयरमैन सर का मेसेज दिया- “आपको अन्दर बुलाया है ।”