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“रेत की दीवार”

“यह लड़का अपने शहर का ही रहने वाला है रीना। स्वभाव का भी बहुत अच्छा है। हमारी फैक्ट्री के पास जो कैमिकल प्लांट है उसी में काम करता है। फैक्ट्री के किसी काम से मुझसे मिलने आया था।परिचय हुआ तो मैं अपने साथ घर ले आया। तुम्हे मिलकर अच्छा लगेगा। अपने शहर से वैसे भी यहां कोई आता नहीं है।”

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अरमानों की आहुति

शाम हो चुकीथी। ठंडी हवा चल रही थी। घर की खिड़कियों में पर लगे वो हल्के पीले रंग के पर्दे उड़ने लगे थे। बाहर बालकनी में लगे मनीप्लांट की बेल भी मानो हवा का आनंद ले रही हो। तुलसी का कोमल पौधा तेज़ हवा को सहन नहीं कर पा रहा था। तभी सुधाजी तेज क़दमों से आई और तुलसी के पौधे को भीतर ले गई।

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एक लड़की भीगी भागी सी’

सुनसान सड़क पर तीस वर्षीय मीनाक्षी हल्की बारिश में भीगते हुए चली जा रही थी। भीगने से उसके सारे कपड़े तर हो चुके थे और उसके बदन से चिपके जा रहे थे। उसने अपना दुपट्टा थोड़ा और फैला कर डाल लिया और सि मटी सहमी सी आगे बढ़ती रही।

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लक्ष्मी जी को प्रसन्न करने के अचूक उपाय

लक्ष्मी को धन लक्ष्मी या समृद्धि की देवी भी कहा जाता है। इनको प्रसन्न करके व्यक्ति अपने जीवन से निराशा, अंधकार व दरिद्रता को सदा के लिए दूर कर सकता है। यहां कुछ ऐसे सरल उपाय बताए जा रहे हैं, जिन्हें अपनाकर मनुष्य आसानी से मां लक्ष्मी को प्रसन्न कर अपने जीवन में खुशहाली ला सकता है।

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पूजा में पूजन सामग्री का महत्त्व

यूं तो पूजा मन की आस्था का भाव है, उसके लिए किसी सामग्री विशेष की नहीं श्रद्धा की जरूरत होती है, फिर भी व्यावहारिक तौर पर यदि किसी पूजा को पूर्ण, सही व संपन्न करने या कहें तो वह पूजा बिना पूजन सामग्री के अधूरी कहलाती है। कौन सी हैं पूजन की वह सामग्रियां तथा क्या है उसका महत्त्व? जानिए इस लेख से।

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कामनाओं को पूरा करें महालक्ष्मी व्रत से

हमारा देश ऋषि-मुनि व त्योहारों का देश है। व्रत व त्योहारों में विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर व्यक्ति इच्छित वर पा सकता है। हमारा देश तो व्रत व त्योहारों का सागर है। ऐसा ही एक व्रत है महालक्ष्मी का व्रत। लेख से जाने कि किस प्रकार आप महालक्ष्मी व्रत करके अपनी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकते हैं?

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कैसे करें लक्ष्मी पूजन की तैयारी?

धन की देवी मां लक्ष्मी के अनेक रूप संसार में प्रचलित हैं। इनका प्रत्येक स्वरूप भक्तों के लिए कल्याणकारी है। इनकी साधना व पूजा से भक्त को कई प्रकार की समृद्धि प्राह्रश्वत होती है। लक्ष्मी के किस स्वरूप की किस प्रकार से साधना की जाए कि आपका भाग्य ही बदल जाए? लेख से जानें-

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शक्ति एवं आस्था की प्रतीक लक्ष्मी

कभी मांगकर, कभी बिना मांगे ही वह दे देती हैं हमारी जरूरतों को इतनी शिद्दत से शायद ही कोई और समझ सकता है। संभवत: इसलिए हमने इनकी आराधना के लिए मातृरूप ही चुना है। अपनी असली जिंदगी में भी हमने स्त्री को कभी शक्ति, कभी लक्ष्मी तो कभी सरस्वती कहकर पुकारा है।

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नामानुसार लक्ष्मी के रूप

विश्व में लक्ष्मी के विविध रूपों को पूजा जाता है। मां लक्ष्मी विभिन्न रूपों में अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। लक्ष्मी के सभी रूपों व नाम का विशिष्ट अर्थ है। लेख से जानें अपने किस रूप में मां लक्ष्मी किस प्रकार अपने भक्तों पर कृपा करती हैं।

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मां दुर्गा की विदाई – दुर्गा विसर्जन

कहते हैं बेटी पराया धन होती है। उसे एक ना एक दिन अपना मायका यानी मां-बाप का घर छोड़ कर अपने ससुराल यानी पति के घर जाना ही पड़ता है। विवाह के बाद बेटियां अपने मायके मेहमान की तरह आती हैं और चली जाती हैं।