Hindi Vyangya: आपको एक बात बताऊं…? किसी को भी मत बताइएगा, दीवारों को भी नहीं क्योंकि उनके भी कान होते हैं और कान का होना बेवजह साहित्यिक तकरार को जन्म देना है। लिहाजा रहस्य की बात यह है कि हिंदी प्रांत में रहने वाले मूल निवासी जन्मजात साहित्यकार होता है। भले ही उसे अपने घर […]
Author Archives: रन्दी सत्यनारायण राव
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सैयां भयो कोतवाल – अब डर काहे का…! – व्यंग्य
Hindi Vyangya: खिलंदड जी की समस्या बड़ी विकराल थी। लुकमान के पास जा कर इसके ईलाज की खोज के लिए समय चाहिए था। अभी पौ फटी ही नहीं थी कि मित्र खिलंदड जी का मेरे घर बदहवाश हो आना हुआ। कुछ अनमने से ही सही, उनके स्वागत का नाटक करते मैंने पूछ ही लिया, ‘क्या […]
