रात आधी से कुछ ज्यादा जा चुकी है। बँगले के अन्दर जितने आदमी हैं सभी बेहोशी की नींद सो रहे हैं क्योंकि हरदेई ने जो बेहोशी की दवा खाने की वस्तुओं में मिला दी थी उसके सबब से सभी आदमी (उस अन्न के खाने से) बेहोश हो रहे हैं। हरदेई एक विश्वासी लौंडी थी और […]
Author Archives: बाबू देवकीनन्दन खत्री
भूतनाथ-खण्ड-5/ भाग-14
देखते-ही-देखते भैया राजा और भूतनाथ को कई दुश्मनों ने आकर घेर लिया और उन पर वार करना शुरू किया। मगर वाह रे भूतनाथ! जिस तरफ तलवार घुमाता हुआ टूट पड़ता था उस तरफ दुश्मनों के दिल भी टूट जाते थे। यद्यपि भूतनाथ के बदन पर कई जख्म लगे परन्तु पाँच आदमियों को उसने बेकार कर […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-13
रात आधी से ज्यादा बीत जाने पर भी कला, बिमला और इंदुमति की आँखों में नींद नहीं है। न मालूम किस गंभीर विषय पर ये तीनों विचार कर रही हैं! संभव है कि भूतनाथ के विषय ही में कुछ विचार कर रही हों, अस्तु जो कुछ हो इनकी बातचीत सुनने से मालूम हो जाएगा। इंदुमति […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-12
दिन पहर-भर से ज्यादा चढ़ चुका था जब भूतनाथ की बेहोशी दूर हुई और वह चैतन्य होकर ताज्जुब के साथ चारों तरफ निगाहें दौड़ाने लगा। उसने अपने को एक ऐसा कैदखाने में पाया जिसमें से उसकी हिम्मत और जवाँमर्दी उसे बाहर नहीं कर सकती थी। यद्यपि वह कैदखाना बहुत छोटा और अंधकार से खाली था […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग- 11
ऊपर लिखी वारदात के तीसरे दिन उसी अगस्ताश्रम के पास आधी रात के समय हम एक आदमी को टहलते हुए देखते हैं। हम नहीं कह सकते कि यह कौन तथा किस रंग-ढंग का आदमी है, हाँ, इसके कद की ऊँचाई से साफ मालूम होता है कि यह औरत नहीं है बल्कि मर्द है मगर यह […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-10
रात लगभग ग्यारह घड़ी के जा चुकी है। भूतनाथ, गुलाबसिंह और प्रभाकर सिंह उत्कंठा के साथ उस (अगस्तमुनि की) मूर्ति की तरफ देख रहे हैं। एक आले पर मोमबत्ती जल रही है जिसकी रोशनी से उस मंदिर के अन्दर की सभी चीजें दिखाई दे रही हैं। भूतनाथ और गुलाबसिंह का कलेजा उछल रहा है कि […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-9
तीन दिन नहीं बल्कि पाँच दिन तक मेहमानी का आनन्द लूट कर आज प्रभाकर सिंह उस अद्भुत खोह के बाहर निकले हैं। इन पाँच दिनों के अन्दर उन्होंने क्या-क्या देखा-सुना, किस-किस स्थान की सैर की, किस-किस से मिले-जुले, सो हम यहाँ पर कुछ भी न कहेंगे सिवाय इसके कि वे इंदुमति को बिमला और कला […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-8
आज प्रभाकर सिंह उस छोटी-सी गुफा के बाहर आए हैं और साधारण रीति पर वे प्रसन्न मालूम होते हैं। हम यह नहीं कह सकते कि वे इतने दिनों तक निराहार या भूखे रह गए होंगे क्योंकि उनके चेहरे से किसी तरह की कमजोरी नहीं मालूम होती। जिस समय वे गुफा के बाहर निकले सूर्य भगवान […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-7
प्रभाकर सिंह को इस घाटी में आए यद्यपि आज लगभग एक सप्ताह हो गया मगर दिली तकलीफ के सिवाय और किसी बात की उन्हें तकलीफ नहीं हुई। नहाने-धोने, खाने-पीने, सोने-पहिरने इत्यादि सभी तरह का आराम था परन्तु इंदु के लिए वे बहुत ही बेचैन और दुखी हो रहे थे। जिस समय वे उस घाटी में […]
भूतनाथ-खण्ड-1/ भाग-6
जब इंदु होश में आई और उसने आँखें खोलीं तो अपने को एक सुन्दर मसहरी पर पड़े पाया और मय सामान कई लौडियों की खिदमत के लिए हाजिर देखकर ताज्जुब करने लगी। आँख खुलने पर इंदु ने एक ऐसी औरत को भी अपने सामने इज्जत के साथ बैठे देखा जिसे अब हकीमिन जी के नाम […]