Hindi Motivational Story
Hindi Motivational Story

Hindi Motivational Story: रिया और आरव की मुलाक़ात किसी फिल्मी सीन की तरह नहीं हुई थी। न कोई टकराने वाली कॉफी, न कोई अचानक नज़रें मिलना। वो बस एक ऑफिस के प्रोजेक्ट पर साथ काम करने वाले दो आम लोग थे।
शुरुआत में बातचीत सिर्फ़ ईमेल और कॉल तक सीमित थी — “इस फाइल का अपडेट भेज दो”, “मीटिंग चार बजे है”, “क्लाइंट को ये स्लाइड पसंद नहीं आई” — बस इतना ही।

फिर एक दिन ऑफिस की देर रात दोनों को एक साथ रुकना पड़ा। काम खत्म हुआ, तो आरव ने पूछा —
“कॉफी पिएँ? वैसे भी इस वक्त ट्रैफिक है, घर जाने में टाइम लगेगा।”
रिया ने थोड़ा सोचा, फिर हँसकर बोली —
“हाँ, चलो। वैसे भी नींद अभी आने से रही।”

वो पहली कॉफी थी। और शायद पहली ना-जाने-अजीब सी जुड़ाव वाली रात भी।
बातें काम से शुरू हुईं, लेकिन जल्द ही बचपन, कॉलेज, और अधूरे सपनों तक पहुँच गईं। आरव ने बताया कि कैसे उसने आर्किटेक्ट बनने का सपना छोड़ा, और रिया ने बताया कि कैसे उसके रिश्ते की असफलता ने उसे थोड़ा सतर्क बना दिया।

कॉफी खत्म हुई, लेकिन बातें नहीं।
और शायद वहीं से शुरू हुआ उनका बीच का रिश्ता।

अगले कुछ हफ़्तों में ये कॉफी मीटिंग्स आम हो गईं।
कभी वीकेंड पर फिल्म, कभी लंबी ड्राइव, कभी बस चुपचाप मरीन ड्राइव पर बैठना।
रिया को अच्छा लगता था कि आरव उसे समझता है, बिना कुछ कहे।
और आरव को लगता था कि रिया उसकी ज़िंदगी की वो “पॉज़ बटन” है, जो उसकी भागती ज़िंदगी को थोड़ी देर के लिए शांत कर देती है।

पर दोनों के बीच कोई नाम नहीं था।
ना “रिलेशनशिप”, ना “दोस्ती” — बस एक एहसास जो दोनों को बाँधता था, और फिर भी खुला छोड़ देता था।

एक शाम रिया ने अचानक पूछा —
“आरव, हम क्या हैं?”

आरव थोड़ा चौंका। उसने कॉफी का कप टेबल पर रखा और बोला —
“क्या मतलब?”

“मतलब… हम डेट कर रहे हैं? या बस साथ टाइम पास कर रहे हैं?”
रिया की आवाज़ में जिज्ञासा से ज़्यादा बेचैनी थी।

आरव ने थोड़ी देर चुप रहकर कहा —
“मुझे नहीं पता, रिया। शायद हम उस नाम के बिना भी ठीक हैं?”

रिया मुस्कुरा दी, लेकिन उस मुस्कान में राहत नहीं थी।
उसे डर था कि वो फिर से किसी अनाम रिश्ते में फँस रही है — जो शुरू तो खूबसूरत होता है, लेकिन खत्म होते वक्त सिर्फ़ सवाल छोड़ जाता है।

दिन बीतते गए।
अब दोनों की ज़िंदगी में एक-दूसरे की जगह पक्की हो चुकी थी — लेकिन परिभाषा अभी भी अधूरी थी।
रिया सुबह ऑफिस जाते हुए आरव को “गुड मॉर्निंग” भेजती, और वो “ब्रेकफास्ट किया?” पूछता।
रात में दोनों फोन पर तब तक बात करते जब तक नींद किसी एक को जीत न ले।

पर इन सबके बीच, रिया को एहसास होने लगा कि वो आरव के लिए थोड़ी ज़्यादा महसूस करने लगी है।
वो चाहती थी कि आरव कुछ कहे — कुछ ऐसा जो इस रिश्ते को नाम दे सके।
पर आरव हर बार मुस्कराकर बात टाल देता।

एक रात रिया ने तय किया कि अब उसे जवाब चाहिए।
वो सीधे आरव के घर चली गई।
आरव बालकनी में बैठा गिटार बजा रहा था।
रिया ने कहा —
“आरव, मैं अब और नहीं कर सकती।”

आरव ने गिटार नीचे रखा, थोड़ा घबराया —
“क्या हुआ?”

“हुआ ये कि मैं तुमसे प्यार करने लगी हूँ। और मुझे नहीं पता कि तुम क्या चाहते हो।
अगर तुम्हें भी यही चाहिए, तो ठीक। नहीं तो… शायद अब मुझे दूर जाना होगा।”

आरव ने कुछ पल उसे देखा, फिर बहुत धीरे से कहा —
“रिया, मैं तुम्हें बहुत चाहता हूँ… लेकिन मैं अभी किसी रिश्ते में नहीं पड़ सकता। मेरा दिमाग, मेरा करियर, सब उलझा हुआ है। मैं नहीं चाहता कि तुम्हें बीच में रखकर कुछ अधूरा छोड़ दूँ।”

रिया की आँखों में आँसू थे, पर उसने मुस्कराकर कहा —
“ठीक है, आरव। तो फिर मैं पूरी तरह चली जाती हूँ… ताकि तुम खुद को पूरा कर सको।”

वो रात आख़िरी बार थी जब दोनों ने साथ कॉफी पी थी।

कई महीने बीत गए।
रिया ने खुद को काम में डुबो दिया।
वो अब किसी भी “सिचुएशनशिप” की तरफ देखना नहीं चाहती थी।
पर हर बार जब कॉफी की खुशबू आती, उसे आरव याद आ जाता।

आरव ने भी आगे बढ़ने की कोशिश की।
उसने अपने सपनों के प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया, और शायद रिया के जाने से उसमें एक नई गंभीरता आ गई थी।
पर उसके गिटार की धुनों में अब भी रिया की हँसी गूँजती थी।

छह महीने बाद, एक शाम रिया ऑफिस से निकल रही थी कि सामने आरव खड़ा था।
वो पहले जैसा नहीं दिख रहा था — थोड़ा थका हुआ, थोड़ा बदला हुआ, लेकिन आँखों में वही अपनापन था।

“कॉफी?” आरव ने धीरे से पूछा।

रिया ने पल भर सोचा, फिर मुस्कराकर बोली —
“अब भी वही बहाना?”

आरव ने सिर हिलाया,
“इस बार बहाना नहीं… जवाब है।”

दोनों एक छोटे कैफे में बैठे।
आरव ने कहा —
“रिया, मैं तब तैयार नहीं था। लेकिन अब जानता हूँ कि जो सुकून तुम्हारे साथ मिलता है, वो कहीं और नहीं मिलेगा। अगर तुम चाहो, तो मैं इस बार नाम रखने को तैयार हूँ।”

रिया ने कॉफी कप में झाँका — वही भाप, वही खुशबू, वही अधूरापन — लेकिन अब शायद उसे पूरा होने का रास्ता मिल गया था।

वो मुस्कुराई और बोली —
“ठीक है, आरव। लेकिन इस बार कॉफी सिर्फ़ कॉफी नहीं होगी।”

रात गहरी थी, मगर दोनों के बीच अब कोई धुंध नहीं थी।
कुछ रिश्ते जो “बीच” में शुरू होते हैं, वो वहीं खत्म नहीं होते —
बस वक्त चाहिए होता है, एक सही जवाब के साथ।

और उस रात, उनकी situationship आखिरकार एक relationship बन गई।