Hindi Funny Story: मां जब भी कुछ पकवान बनाती तो पहले भाई को फिर छोटी बहन को और आखिरी में मुझे देती थी। मैं कम मिलने की शिकायत करती तो मां बड़े प्यार से कहतीं तुम बड़ी हो छोटे भाई बहन से ऐसे होड़ नहीं करते। मगर अक्सर ये बात मुझे बहुत बुरी लगती थी। मैं कई बार उनके खाने की चीजें चुपचाप खा लेती और फिर भोली सूरत बनाकर आंसू भर कर पिताजी के पास जाकर झूठा इल्जाम लगा रहे हैं कह कर बच जाती थी।
उस दिन मां ने खोये और खोपरे के लड्डू बनाये थे जो मुझे बहुत पसंद थे। उन दिनों मेरे मामाजी आये हुए थे तो मैंने उनसे कहा कि देखना मां मुझे सबसे कम देगी खाने को और उन दोनों भाई बहन को बार—बार मांगने पर देती रहेगी।
मेरे मामा ने मेरी व्यथा सुनी और फैसला सुना दिया कि लड्डू तीनों को दीदी बराबर गिनकर दे दो जिसकी जब इच्छा हो खाये अपने अपने लड्डू अपने पास रखो। मुझे बड़ी खुशी हुई कि चलो बराबर-बराबर मात्रा में सबको मिलेंगे।
लड्डूओं का बंटवारा हो गया। और तीनों ने आपने अपने लड्डू रख लिए भाई ने कहा मेरे पांच लड्डू हैं अब दीदी चुरा भी नहीं पायेगी। मैंने दो दिन में ही अपने लड्डू खा कर खत्म कर दिए छोटी बहन ने अपने हिस्से के दो लड्डू भाई ने उसको पटा कर खा लिए और पूरे घर में ढिंढोरा पीटता रहा मेरे पांच लड्डू बचे हैं मैं गिनता हूं उनको, कोई खा तो नहीं गया।
इशारा मेरी तरफ होता और मां भी बेटा गिन कर रखना करके उसके सर पर हाथ फेरतीं तो मुझे आग लग जाती। दूसरे दिन शाम को मैंने चुपचाप उसके तीन लड्डू दुरस्थ किये और दो बच्चे उनको तोड़ कर पांच छोटे-छोटे गोले बनाकर रख दिए। रात में खाना खाते समय मेरा भाई अपने लड्डू का डब्बा लेकर बाहर आया ताकि मेरे सामने चिढ़ा—चिढ़ा कर खा सके मगर डब्बा खोलते ही भौंचक रह गया वहां लड्डू की जगह पांच छोटी-छोटी गोलियां लुढ़क रहीं थीं।
फिर तो वही हुआ जो होना था मैं बार—बार कहती रही गिन ले पूरे पांच हैं मगर मां ने जो धौल जमाए और कान ऐंठे कि सारी प्लानिंग धरी रह गयी।
उसके बाद नाम ही लड्डू चोर पड़ गया जब भी घर में लड्डू बनते मुझे इसी नाम से पुकारा जाता। आज सत्तर साल की होने पर भी जब भी हम भाई-बहन मिलते हैं इस घटना को याद करके बहुत हंसते हैं।
