Jaideep Ahlawat Diet
Jaideep Ahlawat Diet

Jaideep Ahlawat Diet: ‘पाताल लोक’ में इंस्पेक्टर ‘हाथी राम’ का रोल करके मशहूर हुए एक्टर जयदीप अहलावत 28 साल की उम्र तक रोज़ 40 रोटियां खाते थे और डेढ़ लीटर दूध पीते थे, फिर भी वज़न कभी 70 किलो से ज़्यादा नहीं हुआ। आज भी वे पार्टी से लौटकर भी घर का खाना तो खाते ही हैं। 

जयदीप अहलावत हरियाणा में पले-बढ़े और फिर एक्टिंग की पढ़ाई के लिए पुणे के एफटीआईआई चले गए। इन सभी वर्षों में जयदीप ने कभी कैलोरी काउंट की चिंता नहीं की। हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि 2008 तक जब उनकी उम्र लगभग 28 साल थी, उनका वजन कभी भी 70 किलो से ज्यादा नहीं हुआ जबकि वह दिन में 40 रोटियां तक खा लेते थे। उन्होंने यह भी कहा कि अपने गांव में रोज़ कम से कम डेढ़ लीटर दूध पीते थे।

यूट्यूब चैनल ‘खाने में क्या है’ पर बातचीत के दौरान जयदीप ने कहा, “2008 तक मेरा वजन कभी भी 70 किलो से ज़्यादा नहीं हुआ, जबकि मेरी हाइट भी काफी लंबी है। मैं रोज़ कम से कम 40 रोटियां खाता था, क्योंकि जो खा रहे हो वो सब जल भी रहा है। एक उम्र के बाद शरीर और मेटाबॉलिज़्म धीमा होने लगता है, लेकिन तब तक इंसान को जितना चाहे उतना खाना चाहिए और एक एक्टिव लाइफस्टाइल जीना चाहिए।”

जयदीप ने बताया कि आज भी उन्हें घर का बना खाना सबसे ज़्यादा पसंद है और पार्टी के बाद भी वो घर आकर खाना खाते हैं। उन्होंने कहा, “मैं मुंबई में 15-16 साल से रह रहा हूं, और आज भी मुझे घर का खाना सबसे अच्छा लगता है। जब भी मैं पार्टी में जाता हूं, तो वहां से लौटकर घर आकर ही खाना खाता हूं। अगर मैं घर का खाना ना खाऊं तो मुझे लगता है दिन अधूरा रह गया”।

जब उनसे पूछा गया कि विदेश यात्रा के दौरान कैसे मैनेज करते हैं तो जयदीप ने कहा कि जो कुछ भी मिल जाए, वही खा लेते हैं और अगर भारतीय खाना न मिले तो उन्हें लेबनानी खाना खाना अच्छा लगता है। उन्होंने कहा, “जब तक मैं गांव में रहा, तब तक खाने का बेहद सिंपल सिस्टम था। सुबह के समय चने या बाजरे की रोटी या मिस्सी रोटी के साथ लस्सी, मक्खन, चटनी … बस यही होता था। और फिर सीधे रात का खाना। दोपहर का खाना बनाया तो जाता था, पर वो बस इसलिए कि अगर किसी को भूख लगे तो खा ले, लेकिन कोई ज़रूरी नहीं था”।

जयदीप ने अपने बचपन की यादें भी साझा कीं और बताया कि वे दोपहर का खाना छोड़ देते थे और दिनभर खेतों में घूमते-घूमते कहीं से कुछ भी खा लिया करते थे। जयदीप बताते हैं, “स्कूल के बाद हम लोग खेतों में घूमते रहते थे और जो कुछ भी खेतों में मिलता, वही खा लेते – गन्ना, गाजर, अमरूद या कोई भी फल-सब्जी। दूध तो मेरे जीवन का जरूरी हिस्सा था। कम से कम आधा लीटर, दिन में तीन बार। तब ऐसा होता था कि हम लोग दूध कभी ग्लास में नहीं पीते थे। या तो लोटे में या जग में पीते थे। ये सब बहुत सामान्य बात थी”।

ढाई दशक से पत्रकारिता में हैं। दैनिक भास्कर, नई दुनिया और जागरण में कई वर्षों तक काम किया। हर हफ्ते 'पहले दिन पहले शो' का अगर कोई रिकॉर्ड होता तो शायद इनके नाम होता। 2001 से अभी तक यह क्रम जारी है और विभिन्न प्लेटफॉर्म के लिए फिल्म समीक्षा...