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Chandra Grahan 2025 on Holi: होली भारत के प्राचीन उत्सवों में एक है। सतयुग और द्वापर युग से होली का पर्व मनाया जा रहा है, जिसका प्रमाण धर्म ग्रंथों में भी मिलता है। इसलिए इसे वैदिक पर्व भी कहते हैं। रंगों के इस त्योहार को धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर भी मनाते हैं। होली हर साल हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन महीने की पूर्णिमा तिथि पर मनाई जाती है। होली से एक दिन पूर्व होलिका जलाई जाती है, जिसे होलिका दहन कहते हैं और फिर अगले दिन रंगवाली होली खेली जाती है। इस साल होलिका दहन 13 मार्च और होली 14 मार्च 2025 को होगी।

लेकिन इसी दिन साल 2025 का पहला चंद्र ग्रहण भी लगने वाला है। ऐसे में लोगों के मन में यही सवाल है कि क्या चंद्र ग्रहण रंगों के त्योहार होली में भंग डालने का काम करेगा या इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। आइए जानते हैं फाल्गुन पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र ग्रहण का प्रभाव क्या होली पर पड़ेगा या नहीं।

क्या चंद्र ग्रहण होली के रंग में डालेगा भंग

first lunar eclipse of the year on holi
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ज्योतिषियों की माने तो फाल्गुन पूर्णिमा पर लगने वाले चंद्र गहण का होली या फिर होलिका दहन पर कुछ खास प्रभाव नहीं पड़ेगा। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्र ग्रहण 14 मार्च 2025 को भारतीय समयानुसार सुबह 10 बजकर 40 मिनट पर लगेगा और दोपहर 2 बजकर 18 मिनट पर समाप्त हो जाएगा। ऐसे में जिस समय चंद्र ग्रहण लगेगा उस समय भारत में दिन होगी। इसलिए चंद्र ग्रहण भारत में दृश्यमान नहीं होगा और यहां इसका सूतक भी मान्य नहीं होगा। हालांकि भारत के अलावा चंद्र ग्रहण अफ्रीका, एशिया यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी दक्षिणी अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, आर्कटिक और अंटार्कटिका सागर आदि जगहों पर दिखाई देगा और यहां ग्रहण का प्रभाव भी पड़ेगा। भारत में ग्रहण का सूतक मान्य न होने के कारण होली खेली जा सकेगी और पूजा-पाठ भी किए जा सकेंगे। लेकिन फिर भी ग्रहणकाल में गर्भवती महिलाओं को कुछ सावधनियां रखनी चाहिए।

होली पर भद्रा करेगा परेशान

Bhadra Time on Holika Dahan 2025
Bhadra Time on Holika Dahan 2025

होली के दिन लगने वाले चंद्र ग्रहण का भारत पर तो कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन माना जा रहा है कि होलिका दहन पर भद्रा का साया रहेगा। होलिका दहन 13 मार्च 2025 को किया जाएगा और इस दिन भद्रा करीब 13 घंटे तक रहने वाला है। भद्रा की शुरुआत सुबह 10 बजकर 35 से हो जाएगी और देर रात 11 बजकर 26 मिनट पर भद्रा समाप्त होगी। ज्योतिषियों के मुताबिक होलिका दहन पर भद्रा का वास धरती पर ही होगा। हिंदू धर्म में भद्राकाल को बहुत ही अशुभ माना जाता है और इसलिए इस समय में कोई भी शुभ काम धरती पर नहीं किए जाते हैं। क्योंकि भद्रा शुभ कार्यों में कई तरह से बाधा डालने का कार्य करती है। भद्रा के कारण ही इस साल होलिका प्रदोष काल में नहीं जलाकर रात्रि में जलाई जाएगी। क्योंकि होलिका दहन के लिए भद्रा रहित प्रदोष व्यापिनी पूर्णिमा तिथि को उत्तम माना जाता है। ऐसे में भद्रा की समाप्ति के बाद रात 11 बजकर 26 मिनट से 12 बजकर 30 मिनट के बीच होलिका दहन किया जाएगा। होलिका दहन के लिए लगभग एक घंटे का समय मिलेगा।

मैं मधु गोयल हूं, मेरठ से हूं और बीते 30 वर्षों से लेखन के क्षेत्र में सक्रिय हूं। मैंने स्नातक की शिक्षा प्राप्त की है और हिंदी पत्रिकाओं व डिजिटल मीडिया में लंबे समय से स्वतंत्र लेखिका (Freelance Writer) के रूप में कार्य कर रही हूं। मेरा लेखन बच्चों,...