शिशु का पहला स्नान माइल्ड सोप के साथ: Baby's First Bath
Baby's First Bath

Baby’s First Bath: बात जब शिशु की देखभाल की आती है तो हर निर्णय महत्वपूर्ण हो जाता है, खासतौर पर अगर ये बात उसकी त्वचा से जुड़ी हुई हो। दरअसल, शिशु की त्वचा बड़ों की तुलना में 30 प्रतिशत* अधिक पतली होती है जो त्वचा में रूखापन और इरिटेशन की वजह बनती है। ऐसे में माता-पिता को शिशु की त्वचा का अधिक ध्यान रखना चाहिए और ऐसे प्रोडक्ट्स खरीदने चाहिये जो उसकी त्वचा को साफ और सुरक्षित रखने के साथ, उसका बचाव करे। यदि आपके घर में कोई नवजात शिशु है तो एक बेहतरीन अनुभव के लिए आप इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।

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नहलाने का सही तरीका

नये माता-पिता के लिए नवजात शिशु को पहली बार खुद से नहलाना एक भावुक कर देने वाला पल होता है। भारतीय बाल चिकित्सा अकादमी (इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक) की पीडियाट्रिक स्किन केयर गाइडलाइन्स के अनुसार जन्म के 6 से 24 घंटे के बाद ही शिशु को पहला स्नान दिया जाता है। उसके बाद जब वह थोड़ा स्थिर हो जाता है। इससे उसकी त्वचा अपनी प्राकृतिक नमी को बरकरार रख पाती है। जब भी आप शिशु को नहलाने ले जाते हैं तो यह जरूरी है कि नहाने का समय 5 से 10 मिनट से ज्यादा नहीं होना चाहिए। शिशु को नहलाने से पहले अपनी अंगुली से पानी का तापमान जांच लें।
आई.ए.पी. के अनुसार शिशु के गर्भनाल यानी अम्बिलिकल कॉर्ड को हल्के हाथ से गुनगुने पानी की सहायता से धो लें। अब इसे साफ तौलिए से थपथपाते हुए सुखा लें। जॉनसंस बेबी सोप ऐसी चीजों को मिलाकर बनाया गया है जो शिशु की त्वचा को साफ और सुरक्षित रखते हैं, साथ ही साथ उसकी त्वचा में प्राकृतिक मॉइश्चर बनाए रखते हैं। अक्सर माता-पिता शिशु को नहलाने के बाद हल्के हाथ से उसे तौलिए की सहायता से पोंछते हैं और फिर त्वचा में नमी बनाए रखने के लिए उसे मॉइश्चराइजर लगाते हैं। जबकि जॉनसंस बेबी सोप शिशु की त्वचा को स्वच्छ रखने के साथ-साथ उसकी प्राकृतिक नमी बनाए रखता है।

शिशु की पहली देखभाल

ध्यान रखें जब भी आप शिशु को पहला स्नान दें तो उसकी गर्भनाल पर किसी भी प्रकार की क्रीम, लोशन व पाउडर का इस्तेमाल न करें। यदि शिशु की गर्भनाल गंदी है तो उसे माइल्ड सोप और गुनगुने पानी से धोकर सुखा लें।

बेबी सोप के पीछे का विज्ञान

किसी भी सोप का मुख्य उद्देश्य त्वचा को साफ रखना होता है लेकिन अक्सर सोप त्वचा से प्राकृतिक ऑयल को छीनकर उसे रूखा और बेजान बना देते हैं, जो खुजली इत्यादि का कारण बनते हैं। जॉनसंस बेबी सोप का एक खास फॉर्मूला है जो उसे खास बनाता है। इन विट्रो ने अपने एक शोध में पाया कि ई कोलाई बैक्टीरिया को जॉनसंस बेबी सोप 99.9 प्रतिशत दूर करने में सक्षम है। यह सोप ग्लिसरीन के प्राकृतिक गुणों से भरपूर है, जैसा कि आप जानते हैं ग्लिसरीन, त्वचा में प्राकृतिक नमी बनाए रखने के साथ उसे सुरक्षा भी प्रदान करता है। बेबी सोप में यह गुण होने बेहद जरूरी हैं क्योंकि उसकी त्वचा बड़ों की तुलना में जल्दी नमी खोने लगती है। यह क्लीनिकली प्रूव हो चुका है कि इस बेबी सोप में त्वचा को नुकसान पहुंचाने वाले केमिकल्स जैसे पेराबेन, डाई, सलफेट और थालेट्स इत्यादि नहीं हैं। इस सोप पर आप पूरी तरह विश्वास कर सकते हैं और निश्चिन्त होकर रोजाना इसका इस्तेमाल बेबी की त्वचा पर कर सकते हैं। जॉनसंस बेबी सोप विटामिन ई जैसे पोषक तत्वों के गुणों से भरपूर है जो त्वचा को पोषण प्रदान करता है। यह सुनिश्चित करता है कि हर बार नहलाने के बाद भी आपके बेबी की त्वचा कोमल और मुलायम रहेगी। जॉनसंस बेबी सोप शिशु की त्वचा को कोमल और मुलायम बनाए रखता है और उसकी त्वचा से प्रकृतिक नमी को नहीं छीनता है।

पहले दिन से ही सुरक्षा और पोषण प्रदान करता है

पहली बार शिशु को नहलाने से लेकर उसके डेली स्किनकेयर रूटीन में बेहिचक जॉनसंस बेबी सोप इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इसे डिजाइन शिशु की त्वचा को ध्यान में रखकर किया गया है। यह पहले दिन से शिशु की त्वचा प्राकृतिक नमी को बनाए रखता है और उसे सुरक्षा और पोषण प्रदान करता है। यदि आप शिशु रोज नहलाते हैं तो यह एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। शिशु के लिए प्रोडक्ट्स चुनते समय ध्यान रखें कि वह माइल्ड और सुरक्षित हों। आपको शिशु की त्वचा की न केवल देखभाल करनी है बल्कि उसे एक सुरक्षा और आराम भी प्रदान करना है।

कैसा हो बेबी सोप

शिशु के लिए एक अच्छा क्लेंजर का चुनाव करते समय हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि वह फैंसी न हो। फैंसी सोप में अक्सर केमिकल और आर्टिफिशियल स्ट्रॉन्ग फ्रेगनेंस होती है जो शिशु के लिए नुकसानदायक साबित हो सकती है। शिशु के लिए सोप खरीदते समय निम्न बातों का ध्यान रखें-

शिशु का सोप बहुत ही माइल्ड होना चाहिए जिसके इस्तेमाल से शिशु की त्वचा में किसी प्रकार की खुजली और इन्फेक्शन न हो। जॉनसंस बेबी सोप काफी माइल्ड होता है और यह उसकी त्वचा 99 प्रतिशत’ कीटाणुओं का सफाया करने में कारगर होता है। शिशु के सोप में ग्लिसरीन होना चाहिए ताकि उसकी त्वचा में नमी बनी रहे। जॉनसंस बेबी सोप डॉक्टरों द्वारा प्रमाणित किया गया बेबी सोप है। इस सोप में ग्लिसरीन और विटामिन ई के तत्व मौजूद हैं जो शिशु की त्वचा से गंदगी को साफ करके उसे प्राकृतिक नमी प्रदान करता है। बेबी सोप ऐसा होना चाहिए जिसे किसी लैब द्वारा प्रमाणित किया गया हो। जॉनसंस बेबी सोप शिशु से सम्बंधित 5 सुरक्षा मापदंडों पर खरा उतरता है।

नवजात शिशु को कैसे नहलाएं

नवजात शिशु को पहली बार स्नान करवाना अपने आप में एक अलग अनुभव है जिसे करते हुए डर भी लगता है और भीतर से एक खुशी भी होती है। अपने इस डर को दूर करने के लिए आप इन टिप्स की मदद ले सकते हैं ताकि शिशु का पहला स्नान आपके लिए भावुक और रोमांचकारी अनुभव हो। तो चलिए जानते हैं कि शिशु को पहली बार घर में कैसे नहलाना चाहिए-

हाथों को अच्छे से धो लें

शिशु को स्नान देने से पहले हाईजीन का ख्याल रखें ताकि उसे किसी प्रकार का इन्फेक्शन न हो। नहलाने से पहले अपने हाथ किसी सोप से अच्छे से वॉश कर लें। वॉश करने के बाद एक साफ-सुथरे तौलिये से हाथ पोंछ लें। अब आप शिशु को स्नान कराने के लिए गोद में ले सकते हैं।

पानी का तापमान जांच लें

शिशु की त्वचा बहुत नाजुक होती है इसलिए उसे नहलाने के लिए न तो अत्यधिक गर्म पानी और ना ही ठंडे पानी का इस्तेमाल करें। शिशु को रूम टेम्परेचर वाली जगह पर ही नहलाएं। ध्यान रहे कि पानी का तापमान 37.5* सेल्शियस के बीच होना चाहिए। नहलाने से पहले शिशु के लिए बाथ टब में पानी भर लें। शिशु को नहलाने के लिए आप बाथ सपोर्ट का इस्तेमाल कर सकती हैं। यदि आप नहलाने का पारंपरिक तरीका अपना रही हैं तो पैरों पर सपोर्ट के लिए तौलिया रखिये।

स्टेप बाय स्टेप नहलाएं

शिशु को स्टेप बाय स्टेप नहलाएं। जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो आप कप से सीधा उनके ऊपर पानी डाल सकते हैं लेकिन नवजात शिशु के साथ आप यह नहीं कर सकते हैं। नहलाने से पहले पानी को जांच लें कि वह कितना गर्म या ठंडा है। जब भी शिशु को नहलाने ले जाएं तो इन टिप्स पर ध्यान जरूर दें-

  • 1. शिशु को नहलाने से पहले सुनिश्चित कर लें कि तौलिया, कपड़े, डायपर और बेबी क्लीन्जर व जरूरत की हर चीज आपकी पहुंच में हो। शिशु को अकेला टब में न छोड़ें।
  • 2. अपने टब को (नीचे एक नॉन-स्लिप मैट के साथ) गुनगुने पानी से भरें। नहाने के पानी का तापमान शरीर के तापमान (लगभग 37* से 37.5* सेल्शियस) के करीब रखना चाहिए। अब पानी के अंदर अपनी कलाई या कोहनी डालकर तापमान का परीक्षण करें।
  • 3. शिशु को एक हाथ से सहारा दें और दूसरे हाथ से नहलाते रहें। वॉशक्लॉथ को गुनगुने पानी से गीला करें और बच्चे की आंख के अंदरूनी कोने से लेकर बाहरी कोने तक पोंछें। पूरे चेहरे को अच्छी तरह धो लें। डायपर एरिया को आखिर में धोएं और सुनिश्चित करें कि डायपर एरिया को हमेशा आगे से पीछे तक धोएं।
  • 4. शिशु को धीरे-धीरे पानी से नहलाएं। टब से पानी का उपयोग करें, सीधे नल से नहीं, क्योंकि टब और नल के पानी का तापमान अलग हो सकता है।

शिशु की गर्भनाल

शिशु की गर्भनाल यानी अम्बिलिकल कॉर्ड को गुनगुने पानी से धोकर सुखा लें। अब शिशु को केयरटेकर की गोद में दे दें। यदि शिशु की नाल अब भी गंदी दिखाई देती है तो उसे किसी माइल्ड सोप से हल्के हाथों से धोएं और फिर पोंछ कर सुखा लें।

मॉइश्चराइजर

शिशु को नहलाने के बाद उसे मॉइश्चराइजर लगाएं ताकि उसकी त्वचा रूखी और बेजान न लगे, वैसे जॉनसंस बेबी सोप माइल्ड होने के साथ शिशु की त्वचा को हाइड्रेट और मुलायम बनाए रखता है।

बेबी ड्रेसिंग

इसके बाद बेबी को साफ-सुथरी कॉटन की ड्रेस पहनाएं। यदि सर्दियों का मौसम है तो शिशु को सबसे पहले कॉटन की बनियान पहनाएं और फिर कोई भी प्यारे कलर का विंटर ड्रेस पहना दें। लीजिये आपके शिशु ने आज पहला स्नान ले लिया।

स्टैमाटास, जी, एट अल। 2, एस.एल.: बाल चिकित्सा त्वचाविज्ञान, 2010, वॉल्यूम। 27, पृ.125-131

इन विट्रो ने अपने एक शोध में पाया कि ई कोलाई बैक्टीरिया को जॉनसंस बेबी सोप 99 .9 प्रतिशत दूर करने में सक्षम है।