नये माता-पिता के लिए शिशु की त्वचा की सही देखभाल करना काफी चुनौतीपूर्ण होता है लेकिन उन्हें सही जानकारी हो तो ये काम आसान हो सकता है। चलिए जानते हैं कैसा होना चाहिए शिशु का डेली स्किनकेयर रुटीन।
एक नवजात शिशु की त्वचा पहले ही बहुत ही नाजुक और संवेदनशील होती है। इन दिनों पसीने की वजह से शिशु को घमौरियां, दाने और लालिमा जैसी दिक्कतें हो सकती हैं। दरअसल, शिशु की त्वचा वयस्कों की तुलना में 30 प्रतिशत अधिक पतली* होती है और इसकी वजह से उनकी त्वचा जल्दी अपनी नमी खो देती है। तापमान और पसीने की वजह से उनको रैशेज होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, बाहर चलती हुई लू और अंदर के एसी वाले वातावरण में उनकी त्वचा में रूखापन बढ़ सकता है। लेकिन सही प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करने से आप अपने शिशु की त्वचा को सुरक्षित रख सकते हैं और एक मां निश्चिंत हो सकती है।
हल्के तेल से करें मालिश
मालिश शिशु के शरीर का संपूर्ण विकास करती है इसलिए नियमित रूप से उसकी मालिश करनी चाहिए। मालिश करने से शिशु के शरीर में रक्त प्रवाह अच्छा होता है। यह उनके शरीर की थकान को मिटाकर
उन्हें सक्रिय बनाता है। इससे शिशु गहरी नींद सोता है। इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स (आईएपी) के अनुसार शिशु की मालिश हमेशा हल्के तेल से करनी चाहिए जो उनके त्वचा आसानी से सोख ले। तेल में विटामिन ई जैसी सामग्रियां होने से यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि आराम के साथ शिशु की त्वचा को भी पोषण मिले। गरम तेल, गाढ़े और चिपचिपे तेल से मालिश करने से शिशु को त्वचा संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हवादार कमरे में शिशु की मालिश करने से वह चैन की नींद सोता है।
मॉइश्चराइज जरूर करें
नवजात शिशु की त्वचा बहुत कोमल होती है इसलिए नहाने के बाद मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल जरूर करें, ताकि शिशु की त्वचा में रूखापन, जलन और रैशेज जैसी दिक्कतें न हों। नहलाने के तुरंत बाद क्रीम या लोशन लगाने से उनकी त्वचा में नमी बनी रहती है। ऐसा मॉइस्चराइजर इस्तेमाल करें, जिसमें नारियल तेल, कैमोमाइल और ग्लिसरीन के गुण मौजूद हों जो उनकी नाजुक त्वचा को नमी और कोमलता प्रदान करे। क्रीम या लोशन में 24 घंटो तक मॉइश्चर लॉक वाला फॉर्मूला होने से शिशु की त्वचा में दिन भर नमी बनी रहती है,
साथ ही यह उसे लू या एसी के दुष्प्रभाव से भी बचाकर रखता है।
डायपर रैशेज का रखें ध्यान

शिशु को पसीने के कारण डायपर रैशेज होने का डर बना रहता है। इसलिए डायपर बदलते वक्त इन बातों का ध्यान देना बहुत जरूरी है। डायपर बदलते समय शिशु के डायपर वाली जगह को अच्छे से पोछें।
उस जगह को साफ करने के लिए सौम्य बेबी वाइप्स का इस्तेमाल करें जो उनकी त्वचा को ठंडक के साथ नमी भी प्रदान करे। ध्यान रहे कि शिशु की डायपर वाली जगह को सिर्फ पानी से ना पोंछे, एक मॉइस्चराइजिंग लोशन युक्त वाइप्स का ही इस्तेमाल करें। इसके बाद उस जगह पर पाउडर का इस्तेमाल करें क्योंकि इससे वह नमी को सोखकर रखता है और शिशु को लंबे समय के लिए फ्रेश रखता है। कॉर्नस्टार्च से बने पाउडर शिशु की त्वचा के लिए बेहतर विकल्प होते हैं क्योंकि यह अधिक देर तक नमी को सोखकर रखते हैं। इसके बाद शिशु के डायपर वाली जगह पर एक ऐसी क्रीम लगाएं जो शिशु की त्वचा को नमी देने के साथ उसे मुलायम भी बनाए। इसके लिए आप कैमोमाइल जैसी सामग्रियों का इस्तेमाल कर सकते हैं जो शिशु की संवेदनशील त्वचा को आराम देने में मदद करता है।
उन्हें हीट रैश होने से बचाएं
हीट रैश से बचने के लिए शिशु को हल्के और आरामदायक कपड़ा पहनाएं। कपड़ा ज्यादा टाइट होने से उनकी त्वचा में रगड़ के कारण हीट रैश हो जाते हैं इसलिए मुलायम कपड़ा ही पहनाएं। उनकी त्वचा को हमेशा साफ रखें और नहाने के बीच सफाई करने के लिए मॉइस्चराइजिंग बेबी वाइप्स का इस्तेमाल करें। उस जगह को साफ और सूखा रखने के लिए बेबी पाउडर का इस्तेमाल करें।
शिशु को रखें हाइड्रेटेड

शिशुओं और व्यस्कों दोनों के लिए हाइड्रेशन आवश्यक है। पानी शरीर के तापमान को नियंत्रित करने और संक्रमण से लड़ने में मदद करता है। यह सेहतमंद त्वचा के लिए भी आवश्यक है क्योंकि ये त्वचा को पोषित करता है। हाइड्रेशन बनाए रखने से शरीर के सभी विषैले पदार्थ बाहर निकल जाते हैं, जिससे बच्चे की त्वचा में
निखार आता है। बच्चे को स्तनपान या बोतल से दूध पिलाना, हाइड्रेटेड और पोषित रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इन बातों का ध्यान रखने से शिशु की त्वचा पहले दिन से सुरक्षित रहेगी और कोमल बनी रहेगी और रैशेज से बची रहेगी। जॉनसन्स बेबी के प्रोडक्ट्स इस तरह बनाए गए हैं कि वह नवजात शिशु के त्वचा के लिए सौम्य हैं और साथ ही ऐसे सामग्रियों से बने हैं जो शिशु की त्वचा को नमीयुक्त, कोमल और सुरक्षित रखते हैं।
जॉनसन्स बेबी प्रोडक्ट्स बेहद हल्के हैं और चिपचिपे बिल्कुल नहीं हैं इसलिए यह शिशु के लिए उत्तम हैं।
हल्के साबुन का करें इस्तेमाल

शिशु को स्वच्छ रखना जरूरी हो जाता है, ऐसे में उसे रोज नहलाना भी पड़ता है। इस समय जरूरी है कि मां एक सौम्य साबुन का इस्तेमाल करें जो उनकी त्वचा में नमी भी बनाए रखे। विटामिन ई और प्राकृतिक रूप से प्राप्त ग्लिसरीन जैसे सामग्रियों वाले साबुन से उनकी नाजुक त्वचा को स्वच्छ, कोमल और नमीयुक्त रखा जा सकता है।
मालिश के बाद अधिकतर बच्चे सो जाते हैं क्योंकि मालिश से उनके एक्टिव सेंसेज को आराम मिलता है जो नींद को बढ़ावा देते हैं।
