भगवान राम के जीवन परिचय में हनुमान का स्पष्ट वर्णन है। रामायण के अनुसार भगवान राम और हनुमान जी की पहली मुलाकात किष्किंधा के वन में हुई थी। रामचरित मानस में इसे किष्किंधा काण्ड के नाम से जाना जाता है। वानर सुग्रीव अपने बड़े भाई बालि के क्रोध के भय से मित्र हनुमान की शरण में आए थे। इसी दौरान ऋष्यमूक पर्वत में राम हनुमान की पहली मुलाकात के प्रमाण मिलते हैं।
हनुमान से मुलाकात के बाद भगवान राम सुग्रीव की मदद को तैयार हुए थे और बालि का वध किया। किष्किंधा के राजा बालि को सुग्रीव ने राम के कहने पर ही उकसाया था और उसे महल से बाहर आने पर विवश किया था। इसलिए श्री राम की उनसे पहली मुलाकात बालि के मरण स्थल पर ही मानी जाती है जो कि किशकिंधा पर्वतों में कहीं है
। दण्डकारण्य वो मनोरम स्थान है जहां की एक खूबसूरत पहाड़ी अंजनी पर्वत पर हनुमानजी का जन्म हुआ था। ये वो जगह है जहां दक्षिण भारत की पवित्र नदी तुंगभद्रा यानि पम्पा पहाड़ियों के बीचों बीच से होकर गुज़रती है। इस स्थान को किष्किंधा कहते हैं। जो कर्नाटक के बेल्लारी जिले में है, जिसके पड़ोस में एक और दर्शनीय स्थल हम्पी भी है।
किष्किंधा की चर्चा काफी विस्तार से बाल्मिकी रामायण में की गई है। सीताजी की तलाश में जब राम इस इलाके में पहुंचे तो वर्षा ऋतु शुरू हो चुकी थी, तो ऐसे हालात में राम और लक्ष्मण ने इसी दंडकारण्य में समय बिताया। दंडकारण्य में ही उन्होंने एक गुफा में शरण ली। फिर कुछ महीने एक मंदिर में रुके। यहीं उनकी मुलाकात हनुमान से हुई। प्राचीन भारत में ये सुग्रीव और बाली जैसे ताकतवर वानरों की नगरी थी। आज भी यहां बड़ी संख्या में वानर दिखते हैं। हर तरह के वानर लालमुंहे और काले मुंह वाले दोनों देखने को मिलते है।
ब्रह्म सरोवर है यहां
यहां की दो बातें लोगों को बड़ी संख्या में आकर्षित करती हैं। पहली है अंजनि पर्वत, जहां हनुमान का जन्म हुआ और दूसरा अंजनी पर्वत के करीब स्थित ब्रह्म सरोवर, जो काफी पवित्र माना जाता है। गुजरात और महाराष्ट्र से यहां काफी तादाद में पर्यटक बसों में आते हैं। इसे पंपा सरोवर भी कहते हैं, कहा जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने ब्रंह्माड में केवल चार सरोवर बनाए। ये उनमें से एक है। मान्यता है कि यहां नहाने से आप पापों से मुक्ति के साथ ही सीधे मोक्ष पाएंगे। इस सरोवर में पानी कहां से आता है। ये भी आश्चर्य ही है, इसमें हमेशा कमल खिले हुए मिलते हैं।
अंजनी पर्वत
अंजनी पर्वत एक ऊंचा पहाड़ है और यही हनुमान जी की जन्मस्थली भी है। पहाड़ के ऊपर हनुमान जी का एक मंदिर है। जहां अखंड पूजा चलती रहती है। लगातार हनुमान चालीसा पढ़ी जाती रहती है। इसके लिए 500 से अधिक सीढियां चढनी होती हैं।सीढियों के साथ ऊपर चढ़ने के दौरान कई बार ऐसी चट्टानें भी मिलती हैं कि उनके बीच से प्रकृति की खूबसूरती का कैनवस दिखता है। ऊपर पहुंचने पर हनुमान मंदिर में दर्शन के दौरान आप एक अलग आनंद से भर उठेंगे।
अब भी है वो गुफाए जिसमें रहता था बाली
बाली जिस गुफा में रहता था, वो गुफा भी आकर्षण का केंद्र है। ये अंधेरी लेकिन काफी लंबी चौड़ी गुफा है। जहां एक साथ कई लोग अंदर जा सकते हैं। इसी गुफा से ललकार कर राम ने बाली को निकाला, जब उनके हाथों बाली की मृत्यु हो गई तो सुग्रीव को राजपाट सौंपा।
भगवान राम के कई स्मृति चिन्ह
भगवान राम के युग यानी त्रेतायुग में किष्किंधा दण्डक वन का एक भाग होता था, जो विंध्याचल से आरंभ होता था और दक्षिण भारत के समुद्री क्षेत्रों तक पहुंचता था। भगवान श्रीराम को जब वनवास मिला तो लक्ष्मण और पत्नी सीता के साथ उन्होंने इसी दण्डक वन में प्रवेश किया। यहां से रावण ने सीता का अपहरण कर लिया था। श्रीराम सीता को खोजते हुए किष्किंधा में आए, चूंकि राम यहां कई स्थानों पर रहे, लिहाजा यहां उनके कई मंदिर और स्मृति चिन्ह हैं।
शबरी से कहां मिले भगवान राम
रामायण में भगवान राम और शबरी की मुलाकात का भी जिक्र है। शबरी धाम दक्षिण पश्चिम गुजरात के डांग जिले के आहवा से 33 किलोमीटर और सापुतारा से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर सुबीर गांव के पास स्थित है। माना जाता है कि शबरी धाम वही जगह है जहां शबरी और भगवान राम की मुलाकात हुई थी।
केवट से भेंट
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार प्रभु श्रीराम तमसा नदी पहुंचे थे, जो अयोध्या से 20 करीब किलोमीटर दूर है। इसके बाद उन्होंने गोमती नदी पार की और प्रयागराज, इलाहाबाद से तकरीबन किलोमीटर दूर वेश्रृंगवेरपुर पहुंचे। जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उनकी केवट से पहली मुलाकात हुई थी।
हनुमानजी को राम का सबसे बड़ा भक्त माना जाता है। हनुमान सर्वशक्तिमान और सर्वज्ञ हैं। हनुमान के बगैर न तो राम हैं और न रामायण। कहते हैं कि दुनिया चले न श्रीराम के बिना और रामजी चले न हनुमान के बिना।
जब रावण पंचवटी, महाराष्ट्र में नासिक के पासद्ध से माता सीता का अपहरण कर श्रीलंका ले उड़ाए तब राम और लक्ष्मण जंगलों की खाक छानते हुए माता सीता की खोज कर रहे थे। ऐसे कई मौके आएए जब उनको हताशा और निराशा हाथ लगी। इस दौरान कई घटनाएं घटीं। एक और जहां सीता की खोज में राम वनण्वन भटक रहे थे तो दूसरी और किष्किंधा के दो वानरराज भाइयों बाली और सुग्रीव के बीच युद्ध हुआ और सुग्रीव को भागकर ऋष्यमूक पर्वत की एक गुफा में छिपना पड़ा। इस क्षेत्र में ही एक अंजनी पर्वत पर हनुमान के पिता का भी राज थाए जहां हनुमानजी रहते थे।
बाली सुग्रीव का किष्किंधा राज्य
तुंगभद्रा नदी दक्षिण भारतीय प्रायद्वीप की एक पवित्र नदी है, जो कर्नाटक तथा आंध्रप्रदेश में बहती है। यह नदी छत्तीसगढ़ के रायपुर के निकट कृष्णा नदी में मिल जाती है। प्रसिद्ध पर्यटन स्थल हम्पी तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर स्थित है। इस नदी का जन्म तुंगा और भद्रा नदियों के मिलन से होता हैए जो इसे तुंगभद्रा नदी का नाम देती है। उद्गम का स्थान गंगामूल कहलाता है, जो श्रृंगगिरि या वराह पर्वत के अंतर्गत है।
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