आज की भागदौड़ और रफ्तार से भागती जिंदगी में हमारी खुशियां और रिश्ते सब पीछे छूटते जा रहे हैं। व्यस्त दिनचर्या के चलते चाहते हुए भी हम अपने और अपनों के लिए वक्त नहीं निकाल पाते। ऐसे में त्योहारों का आना एक बहाना बन जाता है। खुशियों के पल जीने का। जब त्योहार हो दीवाली का तो तैयारियों के लिए पांवों में पंख लग जाते हैं। बाजार से एक से बढ़कर एक सुंदर दिखने वाली चीज़ की शापिगं करते हैं। ये सब मन को सुकून तो देता है लेकिन घर का सामान, गिफ्ट और डेकोरेशन आईटंम्स के चक्कर में बजट का सत्यनाश हो जाता है। इस बार क्यों ना कम बजट में पारम्परिक दीवाली मनाएं जैसा कि हमारी दादी-नानी मनानी थीं। ऐसी दीवाली जो घर के साथ तन-मन और रिश्तों में एक नया रंग भर खुशियां ही खुशियां बिखेर देती है।

मिट्टी के दीए जलाएं-

आजकल मिट्टी के दीयों की जगह तरह-तरह की डिजाईन वाली टिमटिमाती बिजली की लड़ियों से घर की सजावट करना फैशन बन चुका है। इनकी बजाए मिट्टी के तरह-तरह के कलरफुल दीए लाकर घर को सजाएं। दीयों को एक घंटा पहले पानी में भिगो दे और फिर उन्हें निकाल कर उल्टा कर के थाल में रख दें और फिर उन्हें निकाल कर उल्टा कर के थाल में रख दें। ताकि वे अच्छी तरह सूख जाएं। अब दूसरे थाल में हर दीए में सरसों का तेल डालकर और रूई की बाती डालकर सजाते जाएं। अब इन दीयों को छत्त की मुंडेर पर चारों ओर, सीढ़ियों पर, मुख्य-द्वार के दोनों तरफ जलाकर रखें। घर में तुलसी का पौधा है तो एक दीया तुलसी पर भी जलाएं। 

एक चौमुखा दीया जलाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे भी रखा जाता है। इसे शुद्ध घी या सरसों के तेल से भर दें ताकि यह रातभर जलता रहे। चाहें तो दीयों की पंक्ति बनाकर या किसी अन्य तरह की सजावट कर के भी घर को डेकोरेट कर सकते हैं।

बंदनवार और फूलों से करें सज्जा-गेंदे के फूल और आम के पत्ते बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं अतः इनकी सहायता और अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करते हुए बढ़िया डिजाईन के बंदनवार तैयार कर मुख्य दरवाजे के उपर लगाएं। एक चैमुखा दीया जलाकर माॅं लक्ष्मी की प्रतिमा के आगे भी रखा जाता है। इसे शुद्ध घी या सरसों के तेल से भर दें। ताकि यह रातभर जलता रहे। चाहें तो दीयों की पंक्ति बनाकर या किसी अन्य तरह की सजावट कर के भी घर को डेकोरेट कर सकते हैं।

बंदनवार और फूलों से करें सज्जा-

गेंदे के फूल और आम के पत्ते बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं अतः इनकी सहायता और अपनी क्रिएटिविटी का इस्तेमाल करते हुए बढ़िया डिजाईन के बंदनवार तैयार कर मुख्य दरवाजे के उपर लगाएं। आम के पत्ते तो वैसे ही शुभता का प्रतीक होते हैं क्योंकि हर धार्मिक आयोजन में व कलश स्थापना में इनका विशेष महत्व होता है । गेंदे के फूलों को धागे में पिरोकर लम्बी लड़ियां तैयार करलें व इन्हें सीढ़ियों की रेलिगं या दरवाजों के दोनों तरफ या पार्टिशन में पर्दे के तौर पर लगाएं। सारा घर खुशबू से महक उठेगा।

मां लक्ष्मी का स्वागत करें रंगोली से-

मां लक्ष्मी के स्वागत हेतु मुख्यद्वार और घर में बने मंदिर के द्वार के पास मनभावन सी रंगोली अवश्य बनाएं। रंग-बिरंगे फूलों व पुखुड़ियों, बाजार से मिलने वाले कलरफुल लकड़ी के बुरादे या फिर रसोई मंे उपलब्ध हल्दी, चावल, कुमकुम आटे या मैदे की सहायता से रंगोली तैयार की जा सकती है। रात के समय रंगोली में दीए जलाकर रखें जाएं तो वातावरण प्रकाशमय हो जाता है। एक बात का ध्यान अवश्य रखंे कि जब भी रंगोली बनाएं तो जमीन पर कभी भी कोई धार्मिक चिन्ह या देवी-देवता का चित्र ना बनाएं। अगर बनाना हो तो पहले फर्श पर रेत या लकड़ी का बुरादा बिछाकर प्लेटफाॅर्म जैसा बना लें और चित्र बनाएं।

घर पर मिठाई तैयार करें-

आजकल बाजार में मिलावटी खाद्य पदार्थों की भरमार है और त्योहारों के अवसर पर तो मिठाई की गुणवत्ता का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में पूजा के लिए व मेहमानों का मुॅंह मीठा कराने के लिए घर पर ही मिठाई तैयार करें। बर्फी या खोए की कोई भी मिठाई तैयार करने के लिए खोया भी घर पर ही बनाएं। बढ़िया क्वालिटी के पाॅंच लिटर दूध को उबालकर गाढ़ा कर के डेढ़ से दो किलो तक खोया तैयार हो जाता है। जिस से आप कई तरह की मिठाईयां बना सकती हैं। बर्फी, बेसन के लड्डू, जलेबी, गुझियां, शक्करपारे, मटरी, मठ्ठी, गुलाब जामुन आदि या फिर शुगर फ्री मिठाई भी घर पर जरूरत अनुसार बना सकते हैं। चाहें तो गिफ्ट में भी अपनों को घर की मिठाई दी जा सकती है।

सब मिल कर परिवार संग करें पूजा-

रात को मां लक्ष्मी की पूजा सब पारिवारिक सदस्यों के साथ बैठ कर करें। दीपक प्रवज्जिलित करते हुए मां लक्ष्मी से सुख-सौभाग्य की प्रार्थना करें और आरती गाएं। एक बड़े थाल में फल-फूलख् मिठाईयां और खील-बताशे रखें। चांदी या सोने के सिक्कों की पूजा करने के लिए उन्हें फूलों से सजाई थाली में रखें। मां लक्ष्मी व अन्य मूर्तियों को फूलों की गूंथी मालाएं पहनाएं। लक्ष्मी जी की प्रतिमा के सामने चैमुखा दीपक जलाएं और उसे पूरा शुद्ध घी या तेल से भरें ताकि यह पूरी रात जलता रहे।

पहले हमारी दादी या माॅं चौमुखे दीपक की लौ पर लोहे का चाकू इस प्रकार टिका देती थी सारी रात चाकू का लोहे वाला हिस्सा लौ पर रहे। इससे उस हिस्से पर सुरमई रंग वाले पाउडर की मोटी परत बन जाती थी जिसे सुबह चाकू से खुरचकर उसमें गुलाबजल मिलाकर आंखों के लिए बढ़िया सुरमा तैयार किया जाता था।

घर को भी सजाएं-

सभी कमरों के बेडशीट्स कर्टन और कुशन-कवर बदल दें। वाॅस में ताजा फूलों को लगाएं। अच्छे से साफ-सफाई करें। पानी भरकर उसमें गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाॅ। डालें और उसमें फलोटिगं कैंडल्स जलाएं। चाहें तो कंदीलों से भी घर को सजाया जा सकता है। अंत में फेस्टिव फे्रग्रेंस को ना भूलें। बाजार में रोज़ संदल, जैसमीन, सीनेमन आदि जैसी खुशबुओं की विस्तृत रेंज है। अपने मूड के अनुसार इन्हें घर में इस्तेमाल करें। सारा वातावरण तो महक ही उठेगा, आप भी खुद को रिफे्रश महसूस करेंगे।

यह भी पढ़ें –रसोई में अपनी स्पीड को करें दोगुनी

-आपको यह कहानी कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रियाएं जरुर भेजें। प्रतिक्रियाओं के साथ ही आप अपनी कहानियां भी हमें ई-मेल कर सकते हैं-Editor@grehlakshmi.com

-डायमंड पॉकेट बुक्स की अन्य रोचक कहानियों और प्रसिद्ध साहित्यकारों की रचनाओं को खरीदने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें-https://bit.ly/39Vn1ji