Vastu Business: वास्तुशास्त्र के मुख्य नियम हमें इस बात से सतर्क करते हैं, ‘भूखंड, मकान, फ्लैट का आकार आयताकार एवं चंद्रवेदी शुभ है।’ विशेष परिस्स्थितियों में ईशान का बढ़ना अतिशुभ माना गया है। मुख्य भूखंड की जान ईशान एवं नैऋत्व कोण ही हैं। इनके दूषित होने से हर रोज नई परेशानियों का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए। व्यापारिक एवं रिहायशी भूखंड का चयन करने के पहले उपरोक्त बातों का विशेष ध्यान रखें।
आज का मुख्य विषय है व्यापार किसे कहते हैं? सिर्फ धन उपार्जन को व्यापार नहीं कहते हैं। धन उपार्जन तो कई अनैतिक एवं असंवैधानिक क्रियाओं से भी किया जा सकता है। धन उपार्जन करते समय धर्म, नीतिशास्त्र, सरकार के नियम एवं निर्देशन का पालन करते हुए लोकहित (कई परिवारों का भरण पोषण) के लिए किया गया कर्म, जिससे धन उपार्जन हो, ‘व्यापार’ कहलाता है। दो व्यापारियों की जानकारी मैं आपको देने का प्रयास कर रहा हूं। मेरा लिखने का मुख्य उद्देश्य है व्यापार को सफल बनाने में आपका सहयोगी बन जाऊं। प्रथम एवं सफल व्यापारी का नाम संजय (काल्पिनिक नाम) है।
Vastu Business: आपने व्यापार शुरू करने के पहले निम्नलिखित क्रियाएं की-

- ज्योतिष शास्त्री से मुहूर्त निकलवाकर काम का शुभारंभ करना चाहिए। ज्योतिष शास्त्री से पूछने पर क्या होता है? शास्त्र अनुकूल अच्छे समय का ज्ञान होता है एवं आपके अंदर यह विश्वास बढ़ जाता है कि मैंने अच्छे समय में काम चालू किया। सकारात्मक बनाने में अच्छा मुहूर्त सहयोगी होता है।
- जमीन के खरीद-फरोख्त करने वाले व्यापारी या एजेंसियों से संपर्क करके जमीन खरीदने की क्रियाएं पूर्ण की जाती है।
- जमीन खरीदने के पहले वास्तुविद को दिखाकार उनके निर्देश अनुसार ही भूखंड का चयन किया तो आपके अंदर सकारात्मक ऊर्जा, सकारात्मक सोच शुरू हो गये और आत्मविश्वास से दृढ़ हो गए कि मैंने ज्योतिषी और वास्तुशास्त्री को भी दिखा लिया है। आपके कार्य करने की शैली के अंदर होश के साथ जोश भी आ जाता है। इसलिए कहावत है, ‘हिम्मते मरदां, मददे खुदा।’
- निर्माण काम शुरू करने के लिए वास्तुकार (इंजीनियर) एवं वास्तुशास्त्रों के निर्देशों का पालन किया गया।
- टेंडर निकालकर ठेकेदार का चयन किया गया। ठेकेदार की पूरी जानकारी प्राप्त कर काम की शुरुआत की गई।
- निर्माण का कार्य सुचारू रूप से एवं क्वालिटी कंट्रोल करने के लिए पी.एम.पी को नियुक्त किया जाता है ताकि काम समय पर हो एवं अच्छा हो।
- इंटरनेट के जरिए विख्यात फाइनेंस एडवाइजर, फाइनेंस मैनेजमेंट, सीए, इंटीरियर डिजाइनर, ट्रांसफार्मर एवं इलेक्ट्रिकल पैनल डिजाइनर, सोलर लाइट, सेफ्टी मैनेजमेंट, सिक्यूरिटी गार्ड एजेंसी, अलग-अलग विभागों से लाइसेंस दिलाने में सहयोगी एजेंसियां एवं आई.एस.ओ सर्टिफिकेट दिलाने वाली एजेंसियां और फैक्ट्री के तकनीकि सलाहकार इत्यादि की जानकारी प्राप्त कर ली। इंटरनेट से इनकी जानकारी प्राप्त करना बहुत ही आसान है। इंटरनेट को हम अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए सभी जानकारी प्राप्त करने का सरल और आसान साधन मानते हैं। एजेंसियों की जानकारी प्राप्त कर हम अपने कार्य के हिसाब से एजेंसियों को नियुक्त कर सकते हैं।
- फाइनेंस एडवाइजर का काम सिर्फ मार्गदर्शन देना ही नहीं बल्कि वो बैंकों के द्वारा, बड़ी कंपनी के द्वारा आपकी मशीनों पर, आपके निर्माण पर, आपकी भूमि पर कर्ज दिलाने में भी सहयोग करते हैं एवं आपको राय देते हैं। सबसे कम इंटरेस्ट पर आपको रुपया फलां-फलां बैंक या प्राइवेट कंपनी के द्वारा हमें दिलाते हैं। यही फाइनेंस एडवरटाइजर का काम है।
- घोड़ा अच्छा होने पर भी अकेले रेस नहीं जीतता। घुड़सवार भी अच्छा होना चाहिए। जिसको चलन भाषा में (जॉकी) कहा जाता है। एक फैक्ट्री को चलाने के लिए एक अच्छा जी.एम. (प्रबंध निदेशक) भी होना चाहिए। एक बड़ी संस्थान ने जब जी.एम. का इंटरव्यू लिया, उसने सभी प्रश्नों का उत्तर सही दिया। उठते समय उसने कहा ‘सर आप चिंता न करें आपकी फैक्ट्री मैं अच्छे से संभाल लूंगाÓ। दूसरे जी.एम. की पोस्ट पर जो इंटरव्यू हुआ। उसका अनुभव कम था। मगर उसका आखिरी जवाब था ‘सर आप चिंता न करें अपनी फैक्ट्री मैं अच्छी तरह से संभाल लूंगाÓ। अब आप ही सोचें कि जी.एम. की पोस्ट किसे दी जानी चाहिए।
- व्यापार की सबसे बड़ी पहचान है ‘क्वालिटीÓ (गुणवत्ता)। आप सिर्फ अच्छे क्वालिटी का माल बनाते हैं और क्वालिटी से किसी तरह का समझौता नहीं करते तो आपका माल निश्चित रूप से आपके व्यापार में चार चांद लगाएगा। आज आदमी सस्ता नहीं मांगता अच्छा मांगता है। जो दिखता है वो बिकता है।
- आज प्रचार के माध्यम सरलता से उपलब्ध हो गए हैं। अब घर बैठ कर एजेंसियों को निमंत्रण दे सकते हैं। समाचार पत्र एवं टीवी में दिखाना हो, इंटरनेट के जरिए दिखाना हो, सोशल मीडिया (फेसबुक, ट्वीटर, व्हाट्सअप), बैनर पोस्टर के जरिए दिखाना हो सभी साधन आपको घर बैठे उपलब्ध हो जाते हैं।
- मेहनत एक मजदूर भी करता है, मेहनत एक व्यापारी भी करता है, मेहनत एक एडवाइजर भी करता है। हमें यहां सभी तरह के मेहनतों की जरूरत पड़ती है। अच्छी मेहनत, अच्छी सेहत हर जगह सफल होती है।
उपरोक्त क्रियाओं एवं एजेंसियों के सहयोग से आप कुछ ही दिनों में अपने सभी काम पूर्ण कर सकते हैं। इस तरह की क्रियाओं का प्रयोग महाराष्टï्र और गुजरात में ज्यादा होता है। ऑफिस में बैठकर सभी कार्य तेज रफ्तार से पूर्ण कर लिए जाते हैं एवं फैक्ट्री कुछ ही समय में आपके सामने दिखाई पड़ने लगते हैं। आपकी सोच, इंटरनेट का सहयोग।
दूसरे व्यक्ति का नाम रवि (काल्पिनिक नाम) है। ये किसी पर विश्वास नहीं करते हैं। हर काम स्वयं करना चाहते हैं। इनकी नियत है लागत कम आए। लागत कम लाने के चक्कर में एवं हर काम स्वयं करने के चक्कर में दो-तीन साल निकल जाता है। इनका रनिंग काम भी इन्होंने तीन साल के लिए छोड़ दिया। उसका भी नुकसान आपको हुआ। दूसरी चीजों की कीमत बढ़ जाती है और इनके प्रोजेक्ट की लागत दोगुनी भी हो गई। रवि ने जो बचाने का प्रयास किया, उससे ज्यादा लागत बढ़ गया एवं अपना दो-तीन साल का व्यापार भी इनके हाथ से निकल गया। इन्होंने स्वयं को अप-टू-डेट नहीं किया। इसलिए ये आउट ऑफ डेट हो गए। आउट ऑफ डेट होते ये टेंशन में आ जाते हैं कि तीन साल में अभी तक कुछ न कर सका और संजय की फैक्ट्री भी चालू हो गई। दोनों की सोच और कार्यशैली में क्या फर्क है, आप स्वयं इसका निर्धारण करें। अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रवि जी आप टेंशन को निकालकर अटेंशन हो जाइए। अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता। व्यापार में सबका सहयोग लेकर आगे बढ़ें आप भी संजय जी की तरह सफल हो सकते हैं।
