Char Dham Yatra: हिन्दू धर्म में चार धाम यात्रा का विशेष महत्त्व है, चार धाम यात्रा पर जाने वाले भक्त अपने आप को धन्यभागी समझते हैं। सभी भक्तों की यह मनोकामना होती है कि जीवन में एक बार उन्हें चार धाम की यात्रा करने का अवसर जरूर मिले। चारों धाम देश की चारों दिशाओं में स्थित है, उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में पुरी और पश्चिम में द्वारकाधीश स्थित है।
कैसे शुरू हुई यात्रा?

ऐसा माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिए चार धाम तथा 12 ज्योतिर्लिंगों को सुची बद्ध कर इन तीर्थ स्थलों की यात्रा का आरंभ किया था। इसके पीछे उनका उद्देश्य था कि देश के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोग पूरे भारत की विविधता तथा अनेकता में एकता के भाव लिए भारतीय संस्कृति से परिचित हो सके। सदियों से लोग आस्था से भरकर इन धामों के दर्शन के लिए जाते रहे हैं। आज भी चार धाम की यात्रा करना मनुष्य अपना सौभाग्य समझता है। अब तो आवागमन के साधनों और सुविधाधाओं ने चारधाम यात्रा को बहुत ही सुगम बना दिया है।
क्यों की जाती है चार धाम यात्रा?
मान्यताओं के अनुसार चार धाम की यात्रा करने से इंसान जन्म और मृत्यु के बंधन से मुक्त हो जाता है। जो लोग इस यात्रा को श्रद्घापूर्वक करते हैं, उनके पाप धुल जाते हैं। इसके अलावा चार धाम की यात्रा उसके जीवन में अनेकों सुख लाती है। उसे तन एवं मन दोनों रूप से शांति प्रदान करती है। कहा जाता है कि इन स्थानों पर स्वयं ईश्वर वास करते हैं। अगर आप भी स्वयं ईश्वर की अनुभूति का अहसास करना चाहते हैं तो आपको चारधाम की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। चार धाम की यात्रा से हर श्रद्धालु का मन आस्था से भर जाता है।
कैसे जाएं चारधाम यात्रा पर?

यदि आप चारधाम यात्रा पर जाने की तैयारी कर रहे हैं तो सबसे सुविधाजनक तरीका किसी सही टूर ऑपरेटर के द्वारा पैकेज लेकर जाना है। बड़ी संख्या में यात्रियों के आने से होटल आदि में जगह नहीं मिल पाती। आपको इस तरह की समस्या न हो इसलिए किसी टूर ऑपरेटर से पैकेज लेना ही सुविधाजनक है।
कितनी जरूरी है शारीरिक फिटनेस ?
चारधाम यात्रा पर जाने से पहले जो बात सबसे जरूरी है वो है आपका शरीरिक रूप से फिट होना क्योंकि चारधाम यात्रा सड़क और पैदल यात्रा से भरी पड़ी है। यात्रा में जाने से पहले अपना सही से मेडिकल जांच करवा लेनी चाहिए। खास कर के बुजुर्गों को अपनी जांच करवानी चाइये जिससे उन्हें यात्रा में दिक्कत न हो।
कब जाएं?
वैसे तो चारधाम यात्रा हर साल अप्रैल महीने में शुरू होती है और अक्टूबर-नवंबर में खत्म हो जाती है लेकिन सितंबर का महीना इस यात्रा का पीक सीजन होता है क्योंकि जून से अगस्त के बीच इस इलाके में भारी बारिश होती है, जिसकी वजह से तीर्थ यात्रियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सितंबर चारधाम यात्रा पर जाने का सबसे उपयुक्त समय है, क्योंकि बारिश के बाद पूरी घाटी धुली हुई और ऌफे्रश हो जाती है, चारों तरफ हरियाली नजर आने लगती है और यहां की प्राकृतिक खूबसूरती देखते ही बनती है।
कैसे करें तैयारी?
- सिऌर्फ चारधाम यात्रा ही नहीं बल्कि किसी भी यात्रा के दौरान आपको अपनी जरूरी दवाइयां हमेशा साथ रखनी चाहिए।
- इसके अलावा छोटी-मोटी सामान्य परेशानियों जैसे- पेट दर्द, उल्टी, सिरदर्द, बुखार की दवा के अलावा क्रीम और पेनरिलीफ स्प्रे भी साथ रखना चाहिए।
- यात्रा के दौरान गर्म और ऊनी कपड़े साथ रखें क्योंकि इस क्षेत्र का मौसम हमेशा ठंडा रहता है और ऊंचाई पर तो ठंड ज्यादा बढ़ जाती है।
- इसके अलावा एक अच्छा टॉर्च भी साथ जरूर रखें।
- चारधाम की यात्रा अकेले की बजाए दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ करें। इससे अनुभव सुखद तो रहेगा ही कोई मुश्किल होने पर सहायता भी मिल जाएगी।
