Chardham Yatra
Chardham Yatra

Chardham Yatra: लाखों श्रद्धालु हर साल चार धाम की पवित्र यात्रा के लिए निकलते हैं। बद्रीनाथ, गंगोत्री, केदारनाथ और यमुनोत्री हिंदू धर्म के चार धाम है। यह बहुत ऊंचाई वाले तीर्थ स्थल हैं। चार धाम की यात्रा को आस्था, पवित्रता और मोक्ष की यात्रा माना जाता है। हर साल यहां भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन इस वर्ष 2025 में यात्रा की शुरुआत में ही ऐसे आंकड़े सामने आ रहे हैं, जो चौंका देने वाले हैं। अब तक 80 से ज्यादा श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिनमें से 71 लोगों की मौत का कारण खराब स्वास्थ्य है। इन आंकड़ों से यह पता चलता है कि धार्मिक आस्था के नाम पर भक्त अपनी सेहत को नजरअंदाज कर रहे हैं। क्योंकि यात्रा काफी कठिन होती है। इस यात्रा के लिए हर व्यक्ति फिट नहीं है। कहीं ना कहीं प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाएं भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। आइए जानते हैं चार धाम यात्रा के दौरान ऐसी कौन सी स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानियां हैं, जो मौत का कारण बन रही हैं।

हमारे पर्यावरण में ऑक्सीजन की मात्रा इस तरीके से मौजूद है कि जैसे-जैसे हम ऊपर जाते हैं। ऑक्सीजन की मात्रा कम होने लगती है। हिंदू धर्म के यह चार धाम समुद्र से 10000 फीट से भी ऊपर स्थित है। मैदानी क्षेत्र से आए श्रद्धालुओं के लिए यह वातावरण नया होता है। इसलिए स्वास्थ्य जुड़ी समस्याएं होने लगती हैं। हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि हमारे शरीर को ऊंचाई के हिसाब से एडजस्ट करने में 2 से 3 दिन लग जाते हैं। ऊंचाई पर ऑक्सीजन की कमी होने के कारण सिर दर्द, चक्कर, उल्टी और सांस फूलने जैसी समस्या होने लगती है। जिन लोगों को हृदय से जुड़ी बीमारियां होती हैं या हाई ब्लड प्रेशर, अस्थमा जैसे बीमारी होती है। उनके लिए यात्रा खतरनाक हो सकती है। हर यात्री को चार धाम की यात्रा करने से पहले अपना मेडिकल चेकअप कराना चाहिए कि वह इस यात्रा के लिए फिट है या नहीं। 

हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों में और हिमालय के क्षेत्र में मौसम हर वक्त बदलता रहता है। कभी तेज धूप, कभी बारिश तो कभी बर्फबारी। मैदानी क्षेत्र से आए श्रद्धालु पहले ही इस वातावरण के लिए तैयार नहीं होते और अगर वह हल्के कपड़े पहनकर निकल जाते हैं तो उन्हें ठंड लगने की समस्या हो जाती है। विशेषज्ञ का कहना है कि जब हिमालय क्षेत्र में अचानक से ठंड बढ़ जाती है तो शरीर के अंग काम करना बंद कर देते हैं। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति खतरनाक साबित हो सकती है। इसलिए यात्रा के दौरान भक्तों को गर्म और वाटरप्रूफ कपड़े जरूर रखना चाहिए। 

हमारे भारत में तीर्थ स्थलों पर जाने के लिए श्रद्धालुओं में बहुत आस्था होती है। चार धाम की यात्रा के लिए लाखों लोग एक साथ निकल जाते हैं, जिससे काफी भीड़भाड़ हो जाती है। कई बार श्रद्धालुओं को 10 से 15 किलोमीटर की चढ़ाई करनी होती है। इससे शरीर थक जाता है। ऐसे लोग जो अपने लाइफस्टाइल में बहुत एक्टिव नहीं होते हैं। उनके लिए चढ़ाई खतरनाक साबित हो सकती है। कई बार ऊंचाई पर चढ़ने के कारण डिहाइड्रेशन की समस्या भी देखने को मिलती है। वहीं हार्ट अटैक जैसी घटनाएं भी सामने आती हैं। इसलिए यात्रा करने के साथ-साथ बीच में रेस्ट करना भी जरूरी है।

हिमालय क्षेत्र का इंफ्रास्ट्रक्चर अभी पूरी तरीके से डेवलप नहीं हुआ है। इसलिए ऊंची ऊंची पहाड़ियों में डॉक्टर या एम्बुलेंस समय पर नहीं पहुंच पाते। कई बार सही समय पर इलाज न मिलने की वजह से भी यात्रियों की सेहत बिगड़ जाती है। इस यात्रा के दौरान जिन 80 लोगों की मौत हुई है। उसमें कई लोग कार्डियक अरेस्ट के शिकार हुए हैं। इन ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ऑक्सीजन सिलेंडर भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद नहीं है। इस चार धाम के रूट पर मेडिकल स्टाफ और मेडिकल यूनिट्स की उपलब्धता को बढ़ाना चाहिए, जिससे जरूरत पड़ते ही सभी सुविधाएं मौजूद हों।

प्रतिमा 'गृहलक्ष्मी’ टीम में लेखक के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं। डिजिटल मीडिया में 10 सालों से अधिक का अनुभव है, जिसने 2013 में काशी विद्यापीठ, वाराणसी से MJMC (मास्टर ऑफ जर्नलिज्म एंड मास कम्युनिकेशन) की डिग्री प्राप्त की। बीते वर्षों...