Hitopadesh ki Kahani : राजकुमारों ने पंडित विष्णुशर्मा से कहा, “आर्य! हमने आपके श्रीमुख से मित्रलाभ सुना। अब हमें सुहृद-भेद सुनने की अभिलाषा है।” पंडित विष्णुशर्मा बोले, “अच्छा सुनो।’ किसी वन में एक सिंह और एक बैल परस्पर बड़े प्रेम से रहते थे। उनके इस प्रेम को एक चुगलखोर गीदड़ ने नष्ट कर दिया । […]
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वाणिक्पुत्र का दुःख – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani : कान्यकुब्ज देश में वीरसेन नाम का राजा था। उसने वीरपुर नगर में अपने पुत्र तुंगबल को वहां का राज्यपाल बना दिया। राज्यपाल की शान तो निराली होती ही है। इस प्रकार एक दिन वह राज्यपाल उस नगर में भ्रमण कर रहा था कि उसने वहां घूमते हुए बड़ी ही सुन्दर और […]
हाथी की मूर्खता – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani :ब्रह्मवन में कर्पूरतिलक नाम का एक हाथी रहता था । उसको देखकर एक बार सब सियारों ने सोचा कि यदि किसी प्रकार यह हाथी मर जाये तो उसके मृत शरीर से चार मास तक उनके भोजन की व्यवस्था हो सकती है। तब यह विचार होने लगा कि उसको मारा किस प्रकार जाये […]
लोभी गीदड़ का मरण – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani : कल्याणकटक नगर में भैरव नाम का एक बहेलिया रहा करता था। एक बार मृगों की खोज करता हुआ वह विन्ध्य वन में चला गया। वहां उसने एक मृग को मारा। उसको लेकर जब वह अपने घर की ओर जा रहा था तो मार्ग में उसे एक बहुत बड़ा सूअर दिखाई दिया […]
वृद्ध की युवा पत्नी – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani : गौड़ देश में कौशाम्बी नाम की एक नगरी थी। उसमें चन्दन दास नाम का एक बहुत धनी महाजन रहता था। उसने कामुकता वश और अपने धन के मद में अपनी वृद्धावस्था “में लीलावती नाम की एक निर्धन कन्या से विवाह किया। कुछ ही वर्ष में वह कन्या युवती हो गई। किन्तु […]
संन्यासी की चिन्ता – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani : चम्पक नाम की एक नगरी में संन्यासियों का एक मठ था। उस मठ में चूड़ाकर्ण नाम का एक संन्यासी रहा करता था । भिक्षा में प्राप्त जो बचा हुआ भोजन होता था उसको वह एक पात्र में रखकर खूंटी पर टांग दिया करता था। मुझे जब उस स्थान का पता चला […]
मित्रता बराबरी की भली – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani :मगध देश में चम्पकवती नाम की एक वनस्थली थी। उस वन में चिरकाल से एक कौआ और एक मृग बड़े ही मित्र भाव से रहते आ रहे थे। स्वच्छन्द विचरण करता हुआ तथा यथेच्छ भोजन प्राप्त करता हुआ वह मृग बड़ा ही हृष्ट-पुष्ट हो गया था। उस पर एक सियार की दृष्टि […]
लालच बुरी बला – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani : एक समय की बात है कि मैं दक्षिण वन में विचरण कर रहा था । एक सरोवर के तट पर एक बूढ़ा बाघ उस सरोवर में स्नान करके निकला और हाथ में कुशा लेकर कहने लगा, ” ओ जाने वालो! यह सोने का कंकण दान रूप में लेते जाओ।” राह चलने […]
लोभ का फल – हितोपदेश की कहानी
Hitopadesh ki Kahani : राजपुत्रों को लेकर पंडित विष्णुशर्मा प्रासाद के ऊपर सुख से बैठकर भूमिका के रूप में उनसे कहने लगे, “कुमारो ! बुद्धिमानों का समय काव्यशास्त्र का अध्ययन करने में जाया करता है किंतु मूर्खों का समय दुख में, निद्रा में या फिर लड़ाई झगड़े में व्यतीत होता है। “इसलिए मैं आप लोगों […]
