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 कौआ चला हंस की चाल – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : जब फिर पाठ आरंभ हुआ तो राजकुमारों ने पंडित जी से कहा, ‘गुरुजी ! हम सब राजकुमार हैं, इसलिए हमारी इच्छा विग्रह सुनने की भी है ।’ विष्णु शर्मा बोले, “आप लोगों को यदि यही रुचिकर है तो मैं आपको विग्रह भी सुनाता हूं। सुनो। “हंसों के साथ मयूरों का समबल […]

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टिटिहरी और समुद्र – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : विशाल दक्षिणी समुद्र के तट पर एक टिटिहरी दम्पत्ति रहते थे। एक समय की बात है कि टिटिहरी गर्भवती थी। उसका जब प्रसवकाल समीप आया तो उसने अपने पति से कहा, “देव मेरा प्रसवकाल निकट है, इसलिए किसी सुरक्षित स्थान की व्यवस्था करनी चाहिये।” उसके पति ने कहा, “यह स्थान क्या […]

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 बल से नहीं बुद्धि से – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : उत्तर दिशा में एक सुन्दर पर्वत है। उसकी गिरि कन्दरा में दुर्दान्त नाम का एक सिंह रहा करता था। वह सिंह नित्य प्रति मनमाने पशुओं का संहार किया करता था। इससे उस वन के सभी पशु सदा उसके डर के कारण दुखी रहते थे। किसी को क्या पता कि वह कब […]

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परिश्रम से उपाय अधिक उपयोगी – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : किसी वन में एक वृक्ष पर घौंसला बनाकर एक कौआ और उसकी पत्नी रहते थे । समय पर कौवी गर्भवती हुई और फिर उससे अंडे उत्पन्न हुए। उन अंडों के देने के बाद यथावसर उनमें से कौवे के बच्चे निकल आये। ज्यों ही वे बच्चे कुछ बड़े हुए कि उसी पेड़ […]

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ग्वालिन की कुटिलता – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : पश्चिम देश में द्वारावती नाम की एक नगरी है। उसके एक भाग में एक ग्वाला रहता था। उसकी पत्नी बड़ी कुलटा थी। अपने नगर के प्रधान और उसके पुत्र, दोनों के ही साथ उसके अवैध सम्बन्ध थे I कहा गया है कि जिस प्रकार काठ से आग, नदियों के जल से […]

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 अपनी-अपनी करनी – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : कंचनपुर नगर में वीर विक्रम नाम का राजा राज करता था। उसके राज में किसी अपराध पर एक नाई को मृत्युदंड हो गया और जब राज्य कर्मचारी उसको लेकर जा रहे थे तो कंदर्पकेतु नामक संन्यासी ने अपने एक अन्य साथी के सहयोग से उसको छुड़ा लिया । राज्य कर्मचारी को […]

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 कुटनी की चतुराई – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : श्री पर्वत के मध्य भाग में ब्रह्मपुर नाम का एक नगर है। यह कहावत प्रसिद्ध है कि उस पर्वत के शिखर पर घंटाकर्णा नामक एक राक्षस निवास करता है। एक समय की बात है कि कोई चोर घंटा चुराकर उस वन से भाग रहा था कि एक बाघ ने उसे देख […]

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 बिलाव की मूर्खता – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : भारत के उत्तरी प्रदेश में अर्बुद शिखर नाम का एक पर्वत है। उस पर्वत पर दुर्दान्त नाम का एक सिंह रहा करता था। दिन को तो यह सिंह वन में विचरण कर अपना शिकार करता और रात्रि को अपनी कन्दरा में आकर सो जाता। एक बार ऐसा हुआ कि जब भी […]

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 गधे की मूर्खता – हितोपदेश की कहानी 

Hitopadesh ki Kahani : हस्तिनापुर में विलास नाम का एक धोबी रहा करता था । बोझ ढोने के लिए उसने एक गधा रखा हुआ था । किन्तु वह उसको पेट भर भोजन भी नहीं दिया करता था और उसकी पीठ पर भारी से भारी बोझ लाद दिया करता था । उसका परिणाम यह हुआ कि […]

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मूर्ख बन्दर – हितोपदेश की कहानी

Hitopadesh ki Kahani : मगध देश की बात है। वहां धर्मवन के निकट की भूमि पर शुभदत्त नाम के एक कायस्थ ने विहार बनवाना आरम्भ किया। उसी कार्य के लिए दो बढ़ई एक बहुत बड़ी लकड़ी को आरे से चीर रहे थे । मध्यान्ह के भोजन का जब समय हुआ तो जहां तक वह लकड़ी […]

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