एमनियोसेंटेसिस टेस्ट आमतौर पर दूसरी तिमाही में 16 से 18 सप्ताह की गर्भावस्था के बीच किया जाता है। इसमें डॉक्टर गर्भ में से एमनियोटिक द्रव का थोड़ा सा नमूना लेते हैं। इसलिए यह टेस्ट समय पर करवाना बहुत जरूरी होता है ।
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इंटीग्रेटेड स्क्रीनिंग टेस्ट से जानें शिशु की तकलीफ
इंटीग्रेटेड स्क्रीनिंग टेस्ट में अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट दोनों होते हैं, लेकिन इस मामले में पहला ब्लड टेस्ट पीएपीवी की जाँच आदि पहली तिमाही में किए जाते हैं तथा दूसरा ब्लड टेस्ट दूसरी तिमाही में किया जाता है। इन तीनों टेस्ट का मिला-जुला नतीजा दिया जाता है।
पहली तिमाही में कराएं कम्बाइंड स्क्रीनिंग टेस्ट
कम्बाइंड स्क्रीनिंग टेस्ट पहली तिमाही के अंत में किए जाते हैं, जिसमें रक्त जांच और न्युकल ट्रांसलुसेंसी स्कैन शामिल होते हैं। यह शिशु में डाउंस सिंड्रोम आदि का पता लगाने के लिए सबसे अच्छा टेस्ट है।
गर्भावस्था की पहली तिमाही में अल्ट्रासाउंड स्कैन है जरूरी
गर्भावस्था के शुरुआती कुछ हफ्तों में अल्ट्रासाउंड स्कैन करवाएं जाते हैं, जिसके पीछे कई कारण जैसे- गर्भावस्था की तारीख, भ्रूणों की संख्या, क्रोमोसोमल असामान्यता के खतरे की जांच आदि होते हैं ताकि भ्रूण की सही जानकारी का पता चल सके ।
टेस्ट व स्क्रीनिंग से जानें बच्चे की हैल्थ
अगर आप इस बात को लेकर चिंता में रहते हैं कि आपका होने वाला शिशु स्वस्थ होगा कि नहीं तो अब चिंता करने की जरूरत नहीं क्योंकि अब प्रसव से पहले की जानें वाली जांच व स्क्रीनिंग से पता चल जाता है कि बच्चा कितना स्वस्थ है।
पिता की अधिक आयु से भी बढ़ता है गर्भपात का खतरा
कहा जाता है कि जो महिलाएं अधिक उम्र में गर्भधारण करती हैं उनको गर्भपात का खतरा ज्यादा होता है पर ये बात भी सच है कि पिता की अधिक आयु से भी गर्भपात का खतरा बढ़ता है,इसलिए अगर आप अधिक उम्र में गर्भधारण कर रही हैं तो कुछ बातों का ध्यान जरूर रखें ।
प्री-टर्म बर्थ के कारण को जानें और इलाज करवाएं
प्रीटर्म बर्थ वह स्थिति होती है, जिसमें बच्चे का जन्म समय से पूर्व अर्थात गर्भावस्था के पहले ही हो जाता है। अगर कारण जानें तो इसके पीछे का कारण हर महिला की शारीरिक स्थिति के अनुसार भिन्न हो सकता है। इसलिए अगर आपकी पहली गर्भावस्था में प्रीटर्म बर्थ हुआ है और आप दोबारा गर्भधारण करना चाहती हैं तो अपने डॉक्टर के राय जरूर लें ।
