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मृत्यु द्वार है अमृत का: Life Thoughts by Osho

Life Thoughts by Osho : एक मित्र पूछ रहे हैं कि ओशो, कुंडलिनी जागरण में खतरा है तो कौन सा खतरा है? और यदि खतरा है तो फिर उसे जाग्रत ही क्यों किया जाए?खतरा तो बहुत है। असल में, जिसे हमने जीवन समझ रखा है, उस पूरे जीवन को ही खोने का खतरा है। जैसे […]

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गुरु दही की भांति है – ओशो

Osho pravachan Hindi “Guru Dahi ke bhati hai” Osho pravachan Hindi : गुरु एक अनूठी घटना है। गुरु इस जगत में सबसे बड़ा चमत्कार है, क्योंकि वह होता है आदमी जैसा और फिर भी उसमें कुछ है जो आदमी जैसा नहीं है। वह किसी दूसरे लोक की खबर ले आया है। उसने कुछ देखा है- […]

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धर्म का अर्थ – ओशो

वास्तविक धर्म को ईश्वर और शैतान, स्वर्ग और नरक से कुछ लेना-देना नहीं है। धर्म के लिए अंग्रेजी में जो शब्द है ‘रिलीजन’ वह महत्त्वपूर्ण है। उसे समझो, उसका मतलब है खंडों को, हिस्सों को संयुक्त करना; ताकि खंड-खंड न रह जाएं वरन पूर्ण हो जाएं। ‘रिलीजन’ का मूल अर्थ है एक ऐसा संयोजन बिठाना कि अंश-अंश न रहे बल्कि पूर्ण हो जाए। जुड़ कर प्रत्येक अंश स्वयं में संपूर्ण हो जाता है। पृथक रहते हुए प्रत्येक भाग निष्प्राण है। संयुक्त होते ही, अभिन्न होते ही एक नई गुणवत्ता प्रकट होती है-पूर्णता की गुणवत्ता। और जीवन में उस गुणवत्ता को जन्माना ही धर्म का लक्ष्य है। ईश्वर या शैतान से धर्म का कोई संबंध नहीं है।

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