Krishna Katha: पाही माम्-पाही माम् सृष्टी सारी पुकारतीकब आओगे जगत के पालनहारी गुहारती मेघ गरजें,बिजुरी चमकेमूसलाधार वर्षा बरसें सायं-सीयं पवन चलेकंस का अत्याचार चरम पर पहूँचें रात कारी-घनघोर मतवालीकारागा़र के द्वार पर पहरा देत प्रहरी वासुदेव व्याकुल…. दर्द से कराहती माँ”देवकी,असुर के अंत और जगत के कल्याण की घड़ी फिर आई। देव गण आकाश से […]
