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चौथे महीने में जी मिचलाना मॉर्निंग सिकनेस नहीं बल्कि इस तकलीफ के हो सकते हैं लक्षण

हाइपरमेसिस ग्रेवीडेरम यह क्या है? यह मार्निंग सिकनेस से मिलता जुलता है लेकिन इसमें स्थिति कहीं ज्यादा गंभीर होती है। यह 12 से 16 सप्ताह के बीच होता है हालांकि यह पूरी गर्भावस्था में भी जारी रह सकता है। इसकी वजह से वजन घटता है‒ कुपोषण होता है व डीहाइड्रेशन हो सकता है। इसमें अस्पताल ले जाकर आई वी फ्ल्यूड व एंटीनाजिया दवा देनी पड़ती है क्योंकि उल्टी व जी मिचलाना काफी गंभीर होता है। इस इलाज के बाद ही आपका शिशु सुरक्षित हो सकता है। यह कितना सामान्य है? 200 मामलों में से किसी एक मामले में ऐसा होता है। पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं में यह तकलीफ ज्यादा पाई जाती है। इसके अलावा छोटी उम्र की, मोटी, मल्टीपल, गर्भावस्था वाली महिलाओं या फिर उन महिलाओं में ज्यादा होता है, जिन्हें पिछली गर्भावस्था में भी ऐसा हो चुका हो। भावनात्मक तनाव से इसका खतरा और भी बढ़ सकता है। एंडोक्राइन असंतुलन व विटामिन बी की कमी भी इसकी एक वजह है। इसमें संकेत व लक्षण क्या हैं?   बहुत ज्यादा जी मिचलाना व उल्टी होना   कोई भी ठोस खाद्य पदार्थ हजम न होना   डीहाइड्रेशन के लक्षण   5 प्रतिशत वजन में कमी   उल्टी में खून आना आप व डॉक्टर क्या कर सकते हैं?  यदि लक्षण ज्यादा न हों तो मॉर्निंग सिकनेस के उपचार की तरह घरेलू उपाय अपनाए जाते हैं। अदरक, एक्यूपंचर व एक्यूप्रेशर से बात न बने तो डॉक्टर से दवा लें। अगर फिर भी आराम न आए और वजन तेजी से घटे तो अस्पताल जाने की नौबत आ सकती है, वहाँ आपको एंटीनॉज़िमा दवा दी जाएगी। फिर आपको अपनेखान-पान पर ध्यान देना होगा। मिर्च-मसालेदार भारी भोजन से दूर रहना होगा। पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें। खाने को कई हिस्सों में बाँट लें। कुछ समय बाद थोड़ा-थोड़ा खाएँ। आप जानना चाहेंगी हाइपरमोसिस की वजह से शिशु पर कोई असर नहीं होता और न ही उनके स्वास्थ्य पर कोई बुरा असर पड़ता है। ये भी पढ़े-डिलीवरी के बाद मां को हो सकता है संक्रमण

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