आजकल एकल परिवारों का चलन भले ही बढ़ा है लेकिन किसी भी परिवार में रिश्ते और बेहतर होते हैं जब सभी परिवारजन साथ में ज्यादा से ज्यादा वक्त गुजारें। इससे न सिर्फ एक-दूसरे के साथ बॉन्डिंग मजबूत होती है बल्कि इससे सदस्यों में सुरक्षा की भावना भी मन में आती है। कई रिसर्च में यह […]
Tag: how,improve,relationships,between,family,members,things,work
Posted inधर्म
क्या महत्वाकांक्षाएँ तोड़ती हैं रिश्तों की डोर
देखा जाय तो रिश्तों की धुरी “स्त्री” है.स्त्री से ही परिवार बनता है.नाते रिश्ते बनते हैं,बढ़ते हैं. एक समय था,परिवार की स्त्री एक धुरी से बंधी भी रहती थी और सबको बांधे भी रहती थी.पर आज स्त्री ख़ुद आगे बढ़कर नारी मुक्ति के नारे लगाने लगी है.वो जो रिश्ते सहेजती थी,आज ख़ुद तोड़ने को आतुर है रिश्तों की डोर