दुनियाभर में कार्तिक पूर्णिमा के दिन को श्री गुरु नानक देव जी के प्रकाश उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। सिख्खों के पहले गुरु श्री गुरु नानक देव जी की पैदाइश 1469 में रावी नदी के किनारे स्थित तलवंडी नामक गाँव में हुई। बचपन से ही वे अपना अधिकतर समय आध्यात्मिक चिन्तन और सत्संग […]
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गुरू नानक देव जी
बचपन से ही इनमें आध्यात्मिक, विवेक और विचारषील जैसी कई खूबियां मौजूद थीं। गुरु जी ने जन कल्याण व समाज सुधार के लिए चार उदासियाँ की। पहली उदासी पूरब दिशा की तरफ संवत 1556-1565 तक की व दूसरी उदासी दक्षिण दिशा की और संवत 1567-1571 तक की। यहीं तक गुरु जी नहीं रुके, उनकी अगली उदासी उत्तर दिशा की तरफ संवत 1571 में प्रारम्भ हो गई तथा चौथी उदासी संवत 1575 के साथ यह कल्याण यात्रा समाप्त हो गई।
