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मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूरे देश में खूब मान्यता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में कृष्णा नदी के तट के पास पवित्र श्री शैल पर्वत पर स्थित है। इस पर्वत को दक्षिण का कैलाश भी कहा जाता है। यहां पर शिव और पार्वती दोनों का सयुंक्त रूप मौजूद है।

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करें 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जहां स्वयं ज्योति के रूप में विराजमान हैं शिव

“सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओंकारं ममलेश्वरम्।।
हिमालये च केदारं डाकिन्यां भीमशंकरम्।
वाराणस्यां च विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी तटे।।
वैद्यनाथं चिताभूमौ नागेशं दारूकावने।
सेतुबन्धे च रामेशं घुश्मेशं च शिवालये।।
ऐतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः।
सप्तजन्मकृतम पापम् स्मरनिणां विनस्यति।।”

शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव के इन 12 ज्योतिर्लिंगों की महिमा अपरम्पार है।कहते हैं जो भी मनुष्य प्रतिदिन प्रातः काल उठकर इन ज्योतिर्लिंगों का नाम जपता है अर्थात उपर्युक्त श्लोकों को पढ़ता हुआ, शिवलिंगों का मन से ध्यान करता है, उसके सातों जन्म तक के पाप नष्ट हो जाते हैं। आइए करते हैं हम भगवान शिव के उन्हीं 12 शिवालयों के दर्शन जहां भगवान शिव स्वयं ज्योति रूप में विराजमान हैं। जिनके दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।

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