चन्दानी के बेटे रंधीर के लंदन से आने की खुशी में दी गई पार्टी में अजय और अंशु आमने-सामने तो थे, मगर उनकी अजनबियत अभी तक बरकरार थी। रंधीर के चरित्र के खोट चन्दानी के लाख छिपाने के बावजूद एक के बाद एक सामने आ रहे थे। अब जानिए इस उपन्यास के अगले भाग में कि क्या हुआ पार्टी में।
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बोझिल पलकें, भाग-7
एक सफर में हमसफर रहे अजय और अंशु चंदानी के बेटे के आने की खुशी में दी गई पार्टी में अब आमने-सामने तो थे, लेकिन मौके का फायदा रंधीर उठा रहा था। हालांकि एक खलिश का एहसास तो अजय और अंशु दोनों को ही हो रहा था। क्या होगी अब इन दोनों की नियति, जानिए आगे।
बोझिल पलकें- भाग 6
एक सफ़र के साझेदार रहे और फिर जुदा होकर अपनी-अपनी राह चल पड़े अजय और अंशु को किस्मत ने फिर एक बार आमने-सामने लाकर खड़ा कर दिया था। क्या होगा इस मुलाकात का अंजाम, जानिए आगे पढ़कर।
बोझिल पलकें
अपराधी के घर में जन्म लेना और परिस्थितिवश अपराधी बन जाने के बावजूद भी कोई मासूम हो सकता है, बेकूसुर हो सकता है। कुछ ऐसा ही छिपा हुआ सच जाहिर हो रहा है अब इस उपन्यास में।
कांटों का उपहार – पार्ट 55
रानू का मशहूर और लोकप्रिय उपन्यास कांटों का उपहार अब ऑनलाइन पढ़ें, सिर्फ गृहलक्ष्मी डॉट कॉम पर….
कांटों का उपहार – पार्ट 41
……………. सहसा दूसरे कमरे से एक अधेड़ उम्र के पुरुष प्रविष्ट हुए। उनके साथ ही उनकी धर्मपत्नी भी थीं, राधा को समझते देर नहीं लगी कि यही सरोज के माता-पिता हैं। सम्मान में वह झट उठ खड़ी हुई, नमस्ते के लिए हाथ जोड़ दिए तो उन्होंने उसका स्वागत मुस्कराकर करते हुए कहा‒ ‘बैठिए-बैठिए!’ सरोज की […]
