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बोझिल पलकें, भाग-7

एक सफर में हमसफर रहे अजय और अंशु चंदानी के बेटे के आने की खुशी में दी गई पार्टी में अब आमने-सामने तो थे, लेकिन मौके का फायदा रंधीर उठा रहा था। हालांकि एक खलिश का एहसास तो अजय और अंशु दोनों को ही हो रहा था। क्या होगी अब इन दोनों की नियति, जानिए आगे।

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बोझिल पलकें

अपराधी के घर में जन्म लेना और परिस्थितिवश अपराधी बन जाने के बावजूद भी कोई मासूम हो सकता है, बेकूसुर हो सकता है। कुछ ऐसा ही छिपा हुआ सच जाहिर हो रहा है अब इस उपन्यास में।

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