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ईश क्रिया है ध्यान

सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा स्थापित, ईशा फाउंडेशन, मानव क्षमता के विकास के लिए पूर्ण समर्पित, एक स्वयंसेवी, अंर्तराष्ट्रीय लाभ-रहित संस्था है। यह फाउंडेशन एक मानव-सेवी संस्था है, जो हर व्यक्ति के अंदर दूसरों को सशक्त करने की संभावना को स्वीकार करता है और व्यक्तिगत रूपांतरण और प्रेरणा के माध्यम से एक सार्वभौमिक संप्रदाय का निर्माण […]

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प्राणायाम करते समय इन 7 बातों का रखें ख्याल: Pranayama Techniques

हमारे शरीर के कई रोग प्राणायाम से दूर हो सकते हैं। यही नहीं, प्राणायाम के अभ्यास से रोगों से बचा भी जा सकता है। विशेषज्ञ तो ये भी मानते हैं कि नियमित प्राणायाम करने वालों को कोई रोग होता ही नहीं है।

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ध्यान मुक्त हो जाने की कला है- श्री श्री रविशंकर

जब मन शांत हो जाता है, तब ध्यान व पूर्ण विश्राम की अवस्था आती है। जब तुम्हारे अन्दर अशांति होती है, , भविष्य के प्रति आशंका होती है, योजनाएं होती हैं, महत्वाकांक्षाएं होती हैं और तुम बिस्तर पर सोने के लिए प्रयास करते हो, तो गहरी नींद नहीं आती। ऐसे में मन पूरी तरह खाली नहीं हो पाता है, मुक्त नहीं हो पाता है। सच्चे अर्थ में मुक्त होने से तात्पर्य है, भविष्य एवं विगत से मुक्ति।

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ध्यान एक गुण है, कोई काम नहीं

अगर आप अपने तन, मन, ऊर्जा और भावनाओं को परिपक्वता के एक खास स्तर तक ले जाते हैं, तो ध्यान स्वाभाविक रूप से होने लगेगा। इसी तरह अगर आप अपने भीतर भी एक उचित और जरूरी माहौल पैदा कर लें, अपने सभी पहलुओं को सही परिस्थितियां प्रदान कर दें तो मेडिटेशन आपके भीतर अपने आप होने लगेगा।

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ध्यान का पहला सोपान है चिंतन

जहां ज्ञान चंचलता से मुक्त होगा, वहां वह ध्यान बन जाएगा। सस्पंदनं ज्ञानम्ï- अर्थात्ï चंचलता ज्ञान है। निस्पंदनं ध्यान- अर्थात अचंचलता ध्यान है। जहां स्पंदन है, वह ज्ञान और निस्पंदन है, वह ज्ञान ध्यान है।

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ध्यान यानी शांत हो जाना

ध्यान स्व का बोध है और बिना स्वबोध के ध्यान संभव नहीं है। स्वबोध के अभाव में प्रार्थना का कोई मूल्य नहीं है। इसलिए जहां स्वबोध है, वहां सम्यक चिंतन होगा और इसलिए उचित कर्म होगा।

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