योगासन इसी का महत्वपूर्ण हिस्सा है। आज तो सारा विश्व की योगमय होता जा रहा है। योग हो या भोग-रोग दोनों में ही बाधक होता है। इन दोनों क्रियाओं को करने के लिए हमारे शरीर का रोगमुक्त होना परम आवश्यक है। रोग मुक्त होना है, तो हमें योग की शरण में जाना ही होगा। योग का मतलब है योगासन। इसलिए बच्चों से अनुरोध है कि वे आसन करें, निरोग रहें और खुश रहें।

  1. खुली एवं ताजी हवा में योगासन करना सबसे अच्छा माना जाता है। अगर ऐसा न हो, तो किसी भी खाली जगह पर आसन किए जा सकते हैं।
  2. जहां योगासन करें, वहां का माहौल शांत होना चाहिए। वहां शोर-शराबा न हो। उस स्थान पर मन को शांत करने वाला संगीत भी हल्की आवाज में चलाया जा सकता है।
  3. सीधे फर्श पर बैठकर योगासन न करें। योगा मैट, दरी या कालीन जमीन पर बिछाकर योगासन कर सकते हैं।
  4. योगासन करते समय सूती के या थोड़े ढीले कपड़े पहनना बेहतर रहता है। टी-शर्ट या ट्रैक पैंट पहनकर भी योगासन कर सकते हैं।
  5. आसन धीरे या फिर तेजी से दोनों तरह से करनारोग मुक्त होता है। जल्दी करें तो वह दिल के लिए अच्छा रहता है। और धीरे करेंगे तो वह मांसपेशियों के लिए बेहतर रहता है। तथा इससे शरीर को भी काफी मजबूती मिलती है।
  6. ध्यान आंखें बंद करके करें। ध्यान शरीर के उस हिस्से पर लगाएं जहां आसन का असर हो रहा है।, जहां दबाव पड़ रहा है। पूरे भाव से करेंगे, तो उसका अच्छा प्रभाव आपके शरीर पर पड़ेगा।
  7. योग में सांस लेने एवं छोड़ने की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका सीधा-सा मतलब यही होता है। कि जब शरीर फैलाए या पीछे की तरफ जाएं, सांस लें और जब भी शरीर सिकुड़े या फिर आगे की तरफ झुकें तो सांस छोड़ते हुए ही झुकें।

 आसन कब करें? आसन सुबह के समय करना ही सबसे अच्छा होता है। सुबह आपके पास समय नहीं है, तो शाम या रात को खाना खाने से आधा घंटा पहले भी कर सकते हैं। यह ध्यान रखें कि आपका पेट न भरा हो। भोजन करने के 3-4 घंटे बाद और हल्के स्नैक्स लेने के 1 घंटें बाद योगासन कर सकते हैं। चाय-छाछ आदि पीने के आधे घंटे बाद और पानी पीने के 10-15 मिनट बाद आसन करना बेहतर रहता है।