Hindi Short Poem:रिश्ते सिमट रहे
बंद कमरों के जालो से
फासले बढ़ रहे
शीत की ओस से
अब फुरसत कहां कहीं कोई अपना है
ले लिया रिश्ता सब मोबाइल के नेटवर्क ने
दिन कट जाता कामों में
रात फ़िर सुबह के उलझन में
बच्चे बड़े होकर व्यवस्थित हो गये कमरों में
अब इतनी फुरसत कहाँ जो पूछे हाल दिन भर के
काम का टेन्शन ले रहा इंसान अपनी धुन में
खुशी बंद अलमारी में जैसे घुन सड़े अनाजों में
अब तो फुसफुसाहट भी नही जाती कानो में
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