ननद-भाभी…एक ऐसा रिश्ता है, जिसे कभी सीधे तरीके से नहीं देखा गया। हमेशा माना जाता है कि इस रिश्ते में एकजुटता हो ही नहीं सकती है। इस पर भी जब शादीशुदा ननद तलाक लेकर घर आ जाए तो क्या होगा। पूरे घर में मानो तूफान ही जाएगा। लेकिन समझदार गृहलक्ष्मी ऐसी जिंदगी में सुधार करने की सोचती हैं। इस स्थिति से बाहर आने की कोशिश तो करनी ही चाहिए। कोशिश किए बिना जिंदगी वैसे भी नहीं सुधरती है। ननद कितनी भी खराब क्यों न हो रिश्ता खराब से खराब करने से अच्छा है कि उसको बेहतर करने की कोशिश तो कर ही ली जाए। बेहतर करने की कोशिश का फायदा ये होगा कि आप कुछ बेहतरीन पल साथ बिताएंगी। दुश्मन नहीं सहेली बनकर रहेंगी। तब होगा ये कि आप दोनों एक दूसरे के काम भी आएंगी। कभी वो आपकी जरूरत को पूरा करेंगी तो कभी वो आपकी। कभी ऑफिस जाते समय वो आपका टिफिन तैयार करे देंगी तो कभी आप उनका। ऐसे ही न जाने कितने तरीके हैं, जिनसे धीरे-धीरे ही सही लेकिन आप दोनों का रिश्ता बनता जाएगा। ननद जब ससुराल से आ जाए वापस तो कैसे करें स्थिति पर काबू, चलिए जान लेते हैं-
ननद करे शिकायत तो-
कई बार देखा गया है या ये कहें कि ननद की छवि ऐसी बनाई गई है कि जैसे वो हमेशा आपमें कमियां ही निकालेगी। हो सकता है आपकी ननद भी ऐसी ही हो। वो घर आते ही आपकी कमियों को पूरे परिवार के सामने रखने के मौके तलाशती रहती हो। हो सकता है कि उसकी इन बातों की वजह से ही आप कई बार शर्मिंदा हुई हों। लेकिन इन सबके बावजूद समझदारी दिखाने की ज़िम्मेदारी आपके पास है। आपको खुद को भावनाओं में बहने से रोकना होगा। आपको समझना होगा कि ऐसी बातों का बदला नहीं लिया जाता बल्कि ऐसे रिश्तों की सुधारने की कोशिश की जाती है। इसके लिए जब आपको नीचा महसूस कराया जाए, आप ऐसे दिखाएं कि आप तो खुद ही अपने अंदर सुधार करना चाहती हैं। या फिर उस बात को किसी तरह से मज़ाक में उड़ा दें। जब आपकी ननद को लगेगा कि आप पर तो इन चीजों का असर हो ही नहीं रहा है तो वो एक न एक दिन वो खुद में सुधार कर ही लेंगी। 
पहले मेरा भाई-
कई सारी महिलाओं में ये दिक्कत होती है कि वो ससुराल में अपनी स्थिति तो मजबूत करना चाहती हैं लेकिन अपने मायके में भाभी को कभी घर जैसा महसूस नहीं होने देतीं। वो हमेशा भाभी को यही दिखाएंगी कि ये घर तो आज भी उनका ही है। या इतने साल इस घर में बिताने के बाद भी भाभी उनके भाई को या परिवार को वैसे नहीं समझ पाईं, जैसे उन्होंने समझ लिया। ऐसी परिस्थिति में आप या तो खुद को बहुत कमजोर और मायूस महसूस कर सकती हैं या फिर गुस्सा कर सकती हैं। लेकिन ये दोनों ही विकल्प पूरी तरह से गलत हैं। आपको इस वक्त उनको दिखाना है कि आपने कोशिश में कोई कमी नहीं रखी है। इसके बाद भी अगर ख्याल रखने में कोई कमी है तो आप सुधार कर लेंगी। समय के साथ सब हो जाएगा। जैसे जब भी ननद कहें कि अरे भाई को ये पसंद नहीं है आपने फिर भी ऐसे कर दिया तो आप कहिए कि मुझे पता नहीं था, आप मुझे बता दीजिए फिर ध्यान रखूंगी। उन पर इन बातों का असर तुरंत नहीं होगा बल्कि धीरे-धीरे ननद समझ जाएंगी कि आप उनसे कोई प्रतियोगिता नहीं कर रहीं बल्कि आप तो सिर्फ सबका फायदा ही चाहती हैं। 
जब बात बढ़े तो-
देखिए जरूरी नहीं है कि हर बार आप सौम्यता से ही निपटें। कुछ बातों के लिए आपको सख्त भी होना पड़ेगा। लेकिन लड़ने के लिए नहीं बल्कि ये सख्ती ऐसी होनी चाहिए कि फिर दोबारा उस बात पर कोई बात हो ही न। जैसे हो सकता है कि ननद आपकी बेहद व्यक्तिगत चुनावों पर राय देती हों। जैसे आप लोग तो कमरे में ही बैठे रहते हैं। या भाभी आप हमेशा ऐसे रंगों की चादरें ही क्यों बिछाती हैं? इसके अलावा बातें अबूत ज्यादा व्यक्तिगत मामलों पर भी हो सकती है, जैसे आप इतना मायके क्यों जाती हैं? या आप ऑफिस तो इतने बजे खत्म होता है आप तो बहुत देर से आती हैं। ऐसे मामलों में आपको सख्ती बरतनी होगी। ननद को बताना होगा कि बोलने और निर्णय लेने की आजादी सिर्फ वहीं तक होती है, जहां तक आपकी नाक होती है। आप साफ शब्दों में अपनी बात कहें और बहस का कोई मौका ही न दें। 
चलो शॉपिंग चलें-
ननद जब घर आए तो ये पूरी तरह से जरूरी भी नहीं है कि वो आपके लिए सिर्फ बुरा ही सोच रही हो। वो मानसिक तौर पर अवसाद में भी हो सकती है। जिंदगी में इतना बड़ा काम हुआ है, हो सकता है वो खुद को संभाल ही न पा रही हो। तो इस वक्त भी आपको अहम रोल निभाना है। ननद को ये अहसास कराइए कि आप उनके साथ हैं और कुछ गलत नहीं होने दिया जाएगा। उनको ये महसूस होना चाहिए कि ये घर भी उनका ही है। इस निर्णय के बाद भी जिंदगी है और आप उसको जीने में उनकी पूरी मदद करेंगी। इसके लिए आप उन्हें अच्छा फ़ील कराने के तरीके देखें। जैसे उनसे कहें कि चलो शॉपिंग पर चलते हैं? या चलो तुम्हारी पुरानी सहेलियों से मिलते हैं। या फिर आप कोई नया कोर्स जॉइन कीजिए ताकि आप जिंदगी को नए आयाम से देख सकें। 
आपकी गलती नहीं थी-
ये वो समय भी होगा जब आप ननद का खासतौर पर इस मामले में संबल बन सकती हैं। तलाक होना आज भी बहुत मामूली बात नहीं है। इसके बाद ननद के लिए जिंदगी काटना कठिन ही होगा। मगर आप उनका संबल बन जाएंगी, उन्हें बताएंगी कि ये होना था इसलिए हुआ। इसमें आपकी कोई गलती नहीं है बल्कि ये बस जिंदगी का हिस्सा था, जो बीत गया। अब आपको आगे की जिंदगी के बारे में सोचना चाहिए। ननद की सामने इस तरह की बातों के साथ आप दोनों का रिश्ता मजबूत होता जाएगा।