Life of Women: स्त्री ईश्वर के द्वारा रचित संसार की सबसे सुंदर रचना जिसे आज तक कोई समझ नहीं पाया है। दूसरों की भावनाओं को झट से समझ जाने वाली, जिंदगी भर सिर्फ अपनों के लिए त्याग की प्रतिमूर्ति और मुश्किल क्षणों में साथ निभाती एक स्त्री जिसे अपनी मर्जी से कुछ भी करने की स्वतंत्रता नहीं है, उसे कोई क्यों नहीं समझ पाता है। स्त्री बहुत भावुक और संवेदनशील होती है फिर भी उससे क्यों कोई नहीं पूछता कि तुम्हें क्या तकलीफ है, तुम क्या चाहती हो। आप कुछ भी बोलें तो उसका कर्तव्य है आपकी बात मानना लेकिन वो कुछ कहे तो कुछ भी नहीं। आप चाहे स्त्री पूर्ण रूप से स्वतंत्र है लेकिन वह किसी ना किसी रूप में खुद को रिश्तों से ऐसे बांध लेती है कि उसकी पूरी जिंदगी उन्हीं के इर्द-गिर्द सीमित हो जाती है। उसके सपने, उसकी इच्छाएं, सब का दम घुट जाता है जब जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को निभाने का कटोरा उसके हाथों में थमा दिया जाता है। शादी से पहले माता-पिता और शादी के बाद अपनी ससुराल के सभी दायित्वों को पूरा करने वाली स्त्री की पूरी जिंदगी में, उसके जीवन के छोटे से हिस्से में स्वतंत्रता नामक शब्द कहीं नहीं दिखाई देता जहां वह अपने मन की कर सके। आखिर वह क्या चाहती है, उसकी चाहते क्या हैं।
- स्त्री को जीवनसाथी के रूप में एक ऐसे पुरुष की चाहत होती है, जो शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत हो। वह उसकी जरूरतों को समझे और उसे भावनात्मक और आर्थिक रूप से सुरक्षित रखने की क्षमता रखता हो। दोस्त के रूप में वह उससे अपनी बातें शेयर कर सके और वह उसके जरूरी ऌफैसलों में साथ दे।
- एक स्त्री कितनी भी शिक्षित हो, कितनी भी बड़ी जॉब करती हो लेकिन जहां पति और प्यार की बात आती है तो वह अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने की आजादी चाहती है। वह अपनी शर्तों पर पे्रम करना चाहती है और प्यार की खातिर खुद को बदलने को तैयार भी नहीं है। इसका मतलब यह नहीं कि वह प्रेम के प्रति समर्पित नहीं है। हां, आज परिस्थितियां उसके नियंत्रण में है। जिससे वह प्यार करती है, उसके लिए कुछ भी करने को तैयार है लेकिन जीवनसाथी भी केयरिंग और शेयरिंग होना चाहिए।

- कहते है कि स्त्री का प्यार पुरुष के लिए एक पहेली की तरह रहा है। प्यार में वह क्या चाहती हैं, इसका अनुमान लगाना कठिन है। शारीरिक संबंधों में वह कभी पहल नहीं करती बल्कि उम्मीद रखती है कि उसकी भावनाओं और शारीरिक जरूरतों को उसका साथी स्वयं समझने की कोशिश करे। स्त्री के जीवन में प्यार बहुत मायने रखता है। वह प्यार के बदले ढेर सारा प्यार चाहती है जिसमें ईमानदारी भरा समर्पण हो।
- आज स्त्री आत्मसम्मान से जीना चाहती हैं। यह अच्छी बात है लेकिन आत्मसम्मान के बारे में सोचने की भी एक सीमा होती है। अपने जीवनसाथी के बीच संतुलन जरूरी है, यह बात वह अच्छे से जानती हैं। आज स्त्री आजाद और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है, इसलिए वह स्वयं से प्यार करना भी सीख गई है। वह जीवनसाथी के साथ सामन्जस्य स्थापित करने की पूरी कोशिश करती है। प्रेम या दोस्ती, सच्चाई और ईमानदारी हर रिश्ते की नींव होती है लेकिन जब बार-बार उसके आत्मसम्मान को ठेस पहूंचेगी तो रिश्तों में अलगाव निश्चित है।

- स्त्री उच्च शिक्षा लेने के बावजूद आज भी घर-परिवार, समाज और स्वयं के मामलों में निर्णय लेने में असमर्थ है। आज भी निर्णय पुरुष ही लेता है। अपनी निर्णय ना ले पाने की क्षमता में वह अत्याचार और शोषण का शिकार हो रही हैं। समाज में बदनामी के डर से उसे अन्याय सहन करना पड़ता है। आज स्त्री ठान चुकी है कि उसमें इतना आत्मविश्वास और दृढ़ता आ गई है कि वे अपने निर्णय ले सकती हैं। वह पुरुष पर निर्भर नहीं होना चाहती। वह पुरुषों से आगे बढ़कर या समकक्ष रहकर अपनी लड़ाई खुद जीतना चाहती है।
- महिलाएं आज ना केवल अपने परिवार को सभाल रही हैं। बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत भी कर रही हैं। ऐसे में एक स्त्री यही चाहती है कि उसने मेहनत से अपनी जिस छवि को निर्मित किया है आत्मनिर्भरता वाली, वह चूल्हे-चौके तक ही सीमित ना रह जाए। अपने करियर में आगे बढ़ने के लिए सबका सहयोग चाहिए।
- शादी के बाद अगर वह पति को कोई भी समस्या या परेशानी के बारे में बताती है तो वह चाहती है कि उसे अच्छे श्रोता की तरह सुनें और उस समस्या से निपटने में उसकी सहायता करें। उसे यह अहसास कराए कि आप उसके साथ हर कदम पर खड़े हैं। अपनों की छत्रछाया में वह स्वयं को सुरक्षित समझे।
- हर स्त्री यही चाहती है कि शादी के बाद उसका एक प्यारा सा परिवार हो। सब उसे प्रोत्साहित करें ताकि वह सबकी उम्मीदों पर खरी उतर सके। नाराजगी में कोई उसे मनाए, उसे खास महसूस कराए। बात चाहे प्रेमी की हो या पति की, वह धोखे से दूर रहना चाहती है। चाहे वह आत्मनिर्भर हो लेकिन पार्टनर वह ऐसा चाहती है जिस पर वह स्वयं निर्भर रह सके। वह ना केवल उसकी अच्छाइयों बल्कि उसकी कमजोरियों के साथ उसे स्वीकारे व किसी के सामने उन्हें उजागर ना करे।
- स्त्री अपने खर्चों को लेकर काफी जागृत रहती है। वह चाहती है कि घर चलाने के लिए संयुक्त रूप से खर्च हो। वह अपने खर्च से जो भी चीज ले, उसपर कोई भी सफाई ना मांगे यानि अगर वह कुछ भी खर्चा करती हैं तो उसका हिसाब ना मांगा जाए, इतना तो हक उसका भी बनता है। हां, घर के फाइनेंशियल मुद्दों में सबकी राय होना जरूरी है।
अब स्त्री के मन में और क्या-क्या है, इसकी कोई थाह नहीं है। स्त्री के आगे तो बड़े-बड़े शायरों और कवियों ने भी सिर झुका दिया है। पति के प्रति समर्पण और विश्वास ही एक स्त्री की सच्ची सुंदरता है और यही सब वह दूसरी ओर से चाहने की कामना रखती है।
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