कान को लेकर हुई एक नई खोज जानकर हैरान रह जाएंगे आप: Ear and Relationship
Ear and Relationship

Ear and Relationship: अपने दिल की बात दूसरों को कहने के वैसे तो कई तरीके हैं, लेकिन इनमें से कोई भी अचूक उपाय नहीं कहा जा सकता है। हालांकि अब वैज्ञानिकों ने इस परेशानी को हल करने का एक शानदार तरीका खोज निकाला है। जी हां, वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने वो तरीका खोज लिया है, जिससे आपकी बात सीधे दूसरे के दिमाग में असर करेगी। इतना ही नहीं आपको उसका रिएक्शन भी जल्द मिलेगा।

ऐसे करें दिल की बात

Ear and Relationship
A team of scientists from the Swiss Federal Institute of Technology Lausanne has done research on this

स्विस फेडरल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी लॉज़ेन (ईपीएफएल) के वैज्ञानिकों की टीम ने इसे लेकर शोध किया है। इस शोध के अनुसार एक समूह के लोगों के कान में अपनी बात कही गई और फिर रिएक्शन का विश्लेषण किया गया। इस परीक्षण में सामने आया कि बाएं कान में बात कहने से या फुसफुसाने से दिमाग सबसे ज्यादा सक्रिय होता है और प्रतिक्रिया देता है। ऐसे में साफ है कि अगर आप अपनी बात किसी के दिल और दिमाग दोनों में फिट करना चाहते हैं तो उसके बाएं कान में फुसफुसाना बेस्ट ऑप्शन है।

इस तरह किया गया शोध

शोधकर्ताओं ने ग्रुप में शामिल सभी लोगों के दिमाग को स्कैन किया।
Researchers scanned the brains of everyone in the group.

शोधकर्ताओं ने ग्रुप में शामिल सभी लोगों के दिमाग को स्कैन किया। सभी को तीन तरफ से हंसी के स्वर सुनाए गए। बाएं कान में, दाएं कान में और सामने से। शोध में सामने आया कि बाएं कान में संदेश प्राप्त होने पर न्यूरोलॉजिकल गतिविधि बहुत अधिक थी। इससे पहले साल 2009 में हुए एक शोध में यह बात सामने आई थी कि बाएं कान में आवाज में भावनाओं को पहचानने की अधिक क्षमता होती है। इसका कारण यह है कि बायां कान सीधे दाईं ओर के मस्तिष्क को रिपोर्ट करता है, जो कि भावनाओं का केंद्र होता है। हालांकि यह बात सिर्फ पॉजिटिव संदेशों पर ही लागू है। मस्तिष्क का दायां हिस्सा हमारी भावनाओं को फिल्टर करने का भी काम करता है। ऐसे में अगर अगली बार आपको किसी को इंप्रेस करना हो तो आप अपनी बात उसके बाएं कान में कहें।  

शोध में ये तथ्य भी आया सामने

शोध में एक और दिलचस्प तथ्य सामने आया है। इस तथ्य को हम अपने पूर्वजों से जुड़ा हुआ भी मान सकते हैं। इसके अनुसार जिन लोगों को पीछे से आवाज आने वाला संदेश मिलता है, वे जल्दी और ज्यादा उत्तेजित या सतर्क हो जाते हैं। शायद यही कारण है कि जब कोई हमें पीछे से आवाज लगाता है तो हमारा रिएक्शन जल्दी आता है। शोध के अनुसार हजारों साल पहले मनुष्य सुरक्षा के लिए पीछे से आ रही आवाजों को सतर्क रखने के लिए प्रयोग किया जाता था। वहीं कुछ ध्वनियों को संवेदनशील और कुछ को खतरे की तरह प्रयोग किया जाता था।