अगर टॉक्सिक हो जाएं फ्रेंडशिप, तो कैसे आएं उससे बाहर: Toxic Friendship
Toxic Friendship

Toxic Friendship: दोस्ती दुनिया का सबसे हसीन रिश्ता है। जिंदगी में अगर दोस्त नहीं है तो जीवन अर्थहीन लगने लगता है। एक सच्चा दोस्त हमारी जिंदगी को नई राह देता है, एक-दूसरे की मदद कर जिंदगी को संवारता है। वहीं अपेक्षाकृत अधिक अपेक्षाओं और आकांक्षाओं की पूर्ति न हो पाने पर या छोटी-छोटी गलतियों या भूलों की वजह से दोस्ती में दरार आने लगती है। टॉक्सिक दोस्ती में तबदील हो जाती है जिसकी वजह से एक-दूसरे का साथ निभाना मुश्किल हो जाता है। न चाहते हुए भी व्यक्ति अपना बेशकीमती दोस्त खो देता है या फिर उससे दूरी बना लेता है। एक्सपर्ट मानते हैं कि दोस्त बनाएं जरा संभल कर। इस दुनिया में बेशक दोस्ती से बड़ी कोई नियामत नहीं है। लेेकिन सच्चे और अच्छे दोस्तों मिलना खुशनसीबी है। टॉक्सिक दोस्त होंगे, तो आपकी जिंदगी में जहर घोल देते हैं जिसका असर आपके मानसिक स्वास्थ्य ही नहीं शारीरिक स्वास्थ्य पर भी पड़ता है। ऐसी दोस्ती में आप खुश नहीं रह पाते और जिंदगी में ठहराव-सा आ जाता है।

कब और कैसे दोस्ती हो जाती है टॉक्सिक

Toxic Friendship
Toxic Friendship Involvement

प्रश्न उठता है कि टॉक्सिक दोस्त कौन होते हैं और दोस्ती कब टॉक्सिक हो जाती है। जब दोस्ती आप पर और आपकी जिंदगी पर हावी होने लगती है या कहें कि एक ओबसेशन या जुनून बन जाती है- तो यही दोस्ती टॉक्सिक हो जाती है। यानी व्यक्ति की जिंदगी अपने दोस्त तक ही सिमट कर रह जाती है और आपको सीमाओं में बांध देती हैै। टॉक्सिक दोस्त आपका आत्मविश्वास छलनी कर अंदर से खोखला कर देते हैं। आपको कमतर समझने में कोई कसर नहीं छोड़ते। अपने कंट्रोल में रखते हैं कि दिन-रात अपने दोस्त के बारे में सोचना, उससे फोन पर बात करना और हरेक बात मानना, उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए हरदम तत्पर रहना, उसके बिना कहीं न जाना स्कूल-कॉलेज या अन्य जगह न जाना और घर देर से पहुंचना जैसी बाते आम हैं। यहां तक कि व्यक्ति जब अपने दोस्तों के लिए अपने पेरेंट्स, अपने परिवार को इगनोर करने लगते हैं और जो अशांति का कारण बनता है। दोस्ती की यही अति टॉक्सिक रिलेशनशिप है।

दोस्ती या धोखा

कभी-कभी दोस्त दोस्ती की आड़ में दूसरे का फायदा उठाते हैं और पता ही नहीं चलता कि ये दोस्ती है या धोखा। सच्ची दोस्ती के महत्व को भूलकर अपने मतलब के लिए दोस्ती करते हैं और जरूरतें पूरी करते हैं। ऐसे लोग आपकी कामयाबी से खुश न होते, बल्कि उलाहना देकर आपकी खुशी को फीका करने में कोई कसर नहीं छोड़ते। कई दोस्त इतने मक्कार होते हैं कि मनगढ़ंत कहानियां बनाकर आपको अपने जाल में इतना फंसा लेते हैं और आप उनके अलावा किसी की बात पर यकीन नहीं करते। दोस्ती हमेशा दिल से होती है और भावनाओं से जुड़ी होती है। जब दोस्ती का नाजायज़ फायदा उठाया जाए, तो वह टॉक्सिक दोस्ती होती है।

कई बार किसी तीसरे व्यक्ति की वजह से भी आपकी दोस्ती में खटास आ जाती है। संभव है कि वो व्यक्ति आपकी दोस्ती से नाखुश हो और गलत जानकारी देकर आपको या आपके दोस्त को निरंतर बरगला रहा है। आप दोनों अगर कान के कच्चे हैं। तो संभव है कि तथाकथित तीसरे व्यक्ति की बात पर यकीन कर एक-दूसरे के प्रति गलतफहमी पाल लेंगे। और कहा भी जाता है कि शक जैसे मर्ज का इलाज तो हकीम सुलेमान के पास भी नहीं होता। नतीजतन आपकी दोस्ती टॉक्सिक हो जाती है और कल तक जो आपका जिगरी दोस्त था, वो आज आपका सबसे बड़ा दुश्मन बन जाता है।

कैसे निभाएं दोस्ती

Toxic Friendship
Toxic Friendship

सबसे जरूरी है कि अपने दोस्त पर विश्वास करना सीखें। अगर आपको लगता है कि तीसरे व्यक्ति के बरगलाने पर उपजी गलतफहमी की वजह से आपस में दरार पड़ गई है, तो जरूरी है दोस्त के साथ एक बार बात जरूर की जाए। बातचीत बंद करने से आपसी मनमुटाव बढ़ता जाता है। फिर भी अगर आप दोनों का रिश्ता सहज नहीं हो पाता, तो इस दोस्ती के बारे में गंभीरता से जरूर सोचें।

किसी भी चीज की अति मत कीजिए। अगर आप अपनी जिंदगी में खुश रहना चाहते हैं तो जरूरी है कि दोस्त को अपना दोस्त ही बनने दें, अपनी जिंदगी का सूत्रधार बनने का हक न दें। ऐसे टॉक्सिक दोस्तों को जितना जल्दी हो सके अपने से दूर कर दीजिए। नहीं तो ऐसे टॉक्सिक दोस्त आपकी जिंदगी में इतना जहर घोल देंगे कि आपका मानसिक स्वास्थ्य खराब हो सकता है जिसका असर आपके शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ना लाजिमी है।

दोस्ती अपनी जगह ठीक है, लेकिन अपने काम को भी महत्व देना जरूरी है। अगर आपको लगता है कि आप अपने दोस्त पर निर्भर होते जा रहे हैं या वो आपको किसी दूसरे से बात नहीं करने दे रहा है। तो इस दोस्ती से बाहर निकलना या समस्या का समाधान करना जरूरी है।

दोस्ती में लचीलापन और पारदर्शिता लाएं। यह मान कर चलें कि दुनिया छोटी नहीं है। किसी एक दोस्त को ही अपना सर्वस्व न मान कर न चलें, उस पर निर्भर न रहें, अपनी दुनिया को सीमित न रखें। दूसरों से मिलें, बात करें, अपना दायरा बढ़ाएं। अगर भविष्य में आपका दोस्त कहीं चला जाता है तो संभव है कि आपकी जिंदगी सिमट कर रह जाएगी। लिहाजा हर क्षेत्र के लोगों से दोस्ती करें, इससे आपकी सोच भी विकसित होगी।

टॉक्सिक दोस्ती से बाहर कैसे निकलें

  • अगर आपको लगता है कि आपका दोस्त आपको दगा दे रहा है या इगनोर कर रहा है तो जरूरी है बिना किसी तर्क-वितर्क के उससे धीरे-धीरे दूरी कायम कर लें। क्योंकि कोई भी टॉक्सिक रिश्ता चाहे वह दोस्ती का हो या रिलेशनशिप का, ज्यादा लंबे समय तक टिका नहीं रहता। बेहतर है पता चलने पर टॉक्सिक रिश्ते से जितना जल्दी हो, दूरी बना लेंगे- तो आप तनावग्रस्त या डिप्रेशन का शिकार होने से भी बचे रहेंगे।
  • किसी रिश्ते को एक ही झटके में तोड़ने से बेहतर है धीरे-धीरे अलग होना। किसी तरह की झड़प से बचें। इससे न तो आपका दिलोंदिमाग अशांत होेगा, न आपके व्यक्तित्व पर कोई प्रश्नचिन्ह लगेगा। लड़ाई करने से हल तो नहीं निकलेगा, आपकी पर्सनेलिटी पर असर पड़ेगा और दूसरे भी आपके बारे में गलत सोचेंगे।
  • अगर दोस्ती निभाने में आपके अंदर नेगेटिविटी आ रही है या आपकी जिंदगी पर असर पड़ रहा है। बेहतर है कि टॉक्सिक फ्रेंडशिप को आगे बढ़ाने के बजाय खुद को कंट्रोल कर लें। खुद को किसी ऐसे कामों में व्यस्त कर लें जिसमें आपको उस दोस्त की जरूरत न हो। धीरे-धीरे आपमें आत्मविश्वास आएगा। संभव है कि टॉक्सिक दोस्ती का बोझ ढोने से बच जाएंगे और भविष्य में खुशहाल जिंदगी जी पाएंगे।
  • आत्मविश्वास बनाए रखें। कोई जबरदस्ती आपसे बात नहीं कर सकता। आपकी बेरुखी को धीरे-धीरे आपका दोस्त समझ जाएगा, उसे अपनी गलती का अहसास होगा और दोबारा संपर्क करने में हिचकिचाएगा।
  • संभव है कि आपका दोस्त कुछ समय बाद दोबारा संपर्क करे, तो आपको दृढ़ रहना जरूरी है। दोस्ती में खटास आने के बाद दोबारा उससे बात करने के लिए दिल गवाही नहीं दे रहा हो, तो जरूरी नहीं कि आप उससे बात करें। अगर किसी तरह की मुश्किल आ रही हो तो अपनी दोस्ती के बारे में अपने परिवार को सूचित करें और यथासंभव मदद लें।

(डॉ बिंदा सिंह, क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट, एडवांस साइकोथेरेपी एंड काउंसलिंग सेंटर, बिहार)