fifty shades of grey novel in Hindi
fifty shades of grey novel in Hindi

fifty shades of grey novel in Hindi: हाय! दरवाज़ा खोलते ही मुझे बहुत शर्म-सी महसूस हुई। क्रिस्टियन अपनी जींस और चमड़े की जैकेट पहने पोर्च में खड़ा है। हाय! उसके चेहरे पर भीनी सी मुस्कान खेल गई। मैंने एक पल ठहरकर उस खूबसूरती को दिल में उतारा। ओह! वह इस लैदर में कितना हॉट लग रहा है।

“आओ।”

“अगर मैं आ सकता हूं! उसने हैरानी से कहा और हाथ में पकड़ी शैंपेन की बोतल को ऊंचा उठाया। मुझे लगा कि तुुम्हारी ग्रेजुएशन का जश्न मनाएंगे। एक अच्छी बोलिंजर से बढ़िया क्या हो सकता है।”

शब्दों का चुनाव अच्छा था।

वह मुस्कुराया- “एना! मुझे भी तुम्हारी हाजिर जवाबी पसंद है।”

“हमारे पास चाय के कप ही हैं। सारे गिलास पैक हो गए हैं।”

“चाय के कप? सुन कर तो अच्छा ही लगा।”

मैं रसोई की ओर चल दी। घबराहट के मारे पेट में खलबली हो रही है। मानो कोई चुस्त बाघ मेरे कमरे में डोल रहा हो।

“क्या प्लेट भी चाहिए? “

“हां! तुम्हारे लिए।”

जब मैं लौटी तो वह किताबों के पैकेट को घूर रहा था। मैंने कप मेज पर रखे।

“ये तुम्हारे लिए है।” मैंने कहा

“ओह…लगता है कि आज तो जंग होकर रहेगी।”

“हम्म! पंक्तियां तो बढ़िया हैं मुझे लगा कि मैं तो डि अरबरविले था एंजिल नहीं तो तुमने मेरा रास्ता चुना? तुम पर भरोसा किया है।”

“ये मेरी ओर से एक अपील भी है। मैं इतना घबरा क्यों रही हूं? “मेरा मुंह सूख गया।

“एक अपील? ताकि मैं तुम पर सख्ती न बरतूं।”

मैंने गर्दन हिलाई।

“मैंने ये तुम्हारे लिए ली थीं और अगर तुम इन्हें रख लोगी तो मैं भी तुम्हारे साथ कोमलता से पेश आऊंगा।”

मैंने हलक में अटका थूक निगला।

“क्रिस्टियन! मैं किसी भी कीमत पर इन्हें नहीं रख सकती।”

“देखा, मैं यही बात कर रहा था। तुम बात-बात पर मुझे नीचा दिखाती हो। मैं चाहता हूं कि तुम इन्हें रखो और बात खत्म। सीधी सी बात है। तुम्हें इस बारे में सोचने की जरूरत ही क्या है। एक सेक्स गुलाम होने के नाते तुम्हें बस एहसानमंद होना चाहिए। मैं जो कुछ भी खरीद कर दूं, उसे स्वीकारो क्योंकि मुझे तुम्हारे लिए ऐसा करने से खुशी होती है।”

“जब तुमने उन्हें मेेरे लिए लिया तो हमारे बीच ऐसा कोई नाता नहीं था।”

“नहीं……एनेस्टेसिया पर तुमने हामी दी थी।”

मैंने आह भरी। ओह…ये तरीका नहीं चला। अब प्लान बी आजमाती हूं।

“तो ये मेरी हैं और मैं इनके साथ कुछ भी कर सकती हूं।”

उसने हैरानी से आंखें सिकोड़ीं।

“हां।”

“तब तो मैं इन्हें दान में देना चाहूंगी, वे लोग डारफर में ही काम करते हैं। तुम्हें भी अच्छा लगेगा। वे लोग इनकी नीलामी कर सकते हैं।”

“तुम यही करना चाहती हो।” उसके चेहरे पर गंभीर रेखाएं आ गई। वह मायूस हो गया था।

मैं घबरा गई।

“मैं इस बारे में सोचूंगी।” मैं हौले से बोली। मैं उसे मायूस नहीं देख सकती। और उसी के शब्द मेरे पास लौट आए। मैं चाहता हूं कि तुम मुझे खुश करो।

“एनेस्टेसिया! इस बारे में मत सोचो।”

“मैं कैसे न सोचूं?” तुम कार होने का दिखावा कर सकती हो, उसके बाकी सामान की तरह…… । सयानी लड़की अपने बाण चलाने आ गई थी। मैंने उसे देखकर मुंह बनाया। ओह! क्या हम अच्छे माहौल को वापिस नहीं ला सकते? हमारे बीच का माहौल तनावपूर्ण हो गया था। पता नहीं चल रहा कि क्या करूं। मैंने अपनी अंगुलियों को देखा। इस हालात से बाहर कैसे आऊं?

वह शैंपेन की बोतल मेज पर रख कर मेरे सामने आ गया। मेरी चिबुक को पकड़कर ऊंचा उठाया और गहरी भेदक निगाहों से घूरने लगा

“एनेस्टेसिया! मैं तुम्हारे लिए बहुत सी चीज़ें खरीदूंगा और तुम्हें इनकी आदत डालनी होगी। मैं तुम्हारे लिए खरीद सकता हूं। मैं बहुत पैसे वाला हूं।” वह आगे झुका और मेरे होंठों पर प्यारा और छोटा सा चुंबन अंकित कर दिया। प्लीज! उसने मुझे छोड़ दिया।

सयानी लड़की मुंह चिढ़ा रही है।

“इन सबके कारण मुझे खुद को बड़ा घटिया सा लगता है।”

क्रिस्टियन ने बड़ी उदासी के साथ बालों में हाथ फिराए।

“ऐसा नहीं होना चाहिए। एनेस्टेसिया! तुम बहुत ज्यादा सोच रही हो। तुम खुद ही नए-नए नतीजे मत निकालो। अपनी ऊर्जा नष्ट मत करो। चूंकि तुम्हारे मन में हमारे इस नाते को लेकर शंकाएं हैं, यही वजह है कि तुम ये सब महसूस करती हो। ये तो स्वाभाविक है। तुम नहीं जानतीं कि तुम खुद को किस उलझन में डाल रही हो।”

मैंने उसके शब्दों का मतलब जानने की कोशिश की।

“एनेस्टेसिया! इसमें घटिया लगने वाली कोई बात नहीं और न ही तुम्हारे भीतर कोई घटियापन है। मैं तुम्हें ऐसा नहीं सोचने दे सकता। मैंने तो ये सोचकर वे कुछ पुरानी किताबें ले लीं कि शायद तुम्हें पसंद आएं। बस और क्या? चलो शैंपेन लेते हैं।”

मैं उसे देखकर मुस्कुराईं तो उसके चेहरे का तनाव भी पिघल गया। उसने शैंपेन का फॉयल उतारा, कॉर्क की बजाए बोतल को घुमाया और उसे हल्की सी आवाज़ के साथ खोल दिया। उसने ये काम इस तरह किया कि फर्श पर एक बूंद तक नहीं गिरी। उसने कप आधे भर दिए।

“ये तो गुलाबी है।” मैंने हैरानी से कहा

“बोलिंजर ग्रेंड एनी रोज़ 1999, एक एक्सीलेंट विंटेज।” उसने स्वाद लेते हुए कहा

“चाय के कपों में? “

वह हंसने लगा

“हां, चाय के कपों में। एनेस्टेसिया! तुम्हारी डिग्री के लिए बधाई हो।” हमने कप आपस में टकराए। वह पीने लगा पर मैं खुद को यह सोचने से रोक नहीं सकी कि ये तो मेरे गुलामी स्वीकारने की खुशी में पी जा रही थी।

“धन्यवाद!” मैंने कहा और चुस्की ली।” बेशक स्वाद तो है।”

“क्या हम कोमल सीमाओं पर चर्चा कर लें? “

वह मुस्कुराया और मैं लाल पड़ गई।

“हमेशा की तरह अधीर!” क्रिस्टियन हाथ थाम कर मुझे काउच पर ले गया, हम दोनों वहीं बैठ गए।” तुम्हारे सौतेले पिता भी निराले ही हैं।”

ओह! ये दूसरी बातें कर रहा है और यहां तनाव के मारे मेरी हालत खस्ता हो रही है।

“तुमने उन्हें भी पटा ही लिया।” मैं बोली।

क्रिस्टियन हौले से हंसा।

“सिर्फ इसलिए कि मैं भी मछली पकड़ना जानता हूं।”

“तुमने कैसे जाना कि उन्हें फिशिंग पसंद है? “

“तुमने ही तो बताया था, जब हम कॉफी के लिए गए थे।”

ओह…अच्छा मैंने ही? मैंने एक और घूंट लिया। वाउ! इसे तो सब याद रहता है।” हम्म…..शैंपेन सचमुच स्वादिष्ट है। क्या तुमने रिसेप्शन वाली वाइन ली थी?”

“क्रिस्टियन ने बुरा सा मुंह बना लिया।” हां! बड़ी बकवास थी।” जब मैंने उसे चखा तो मुझे तुम्हारी याद आई। तुम वाइन के बारे में इतनी बातें कैसे जानते हो? “

“एनेस्टेसिया! मैं कोई ज्ञानी नहीं बस जो पसंद करता हूं, उसे जानता हूं।”

“थोड़ी और? “उसने शैंपेन की ओर संकेत किया।

“प्लीज़!”

क्रिस्टियन बड़ी ही शालीनता से उठा और बोतल ले आया। उसने मेरा कप भर दिया। क्या वह मुझे बेसुध करना चाहता है? मैंने उसे संदेह से देखा।

“ये जगह काफी खाली दिख रही है? क्या तुम लोग जाने के लिए तैयार हो? “

“हां काफी हद तक।”

“क्या तुम कल काम पर जाओगी? “

“हां, कल क्लेटन में आखिरी दिन है।”

“मैं जाने में मदद करता पर कल मुझे बहन को एयरपोर्ट लेने जाना है।”

ओह…ये तो खबर है।

“शनिवार सुबह ईया पेरिस से आ रही है। मैं सिएटल जा रहा हूं पर सुना कि इलियट तुम लोगों की मदद कर रहा है।”

“हां, केट इस बात को लेकर बहुत उत्साहित है।”

उसने त्योरी चढ़ाई।” हां, केट और इलियट। किसने सोचा था?” पता नहीं क्यों वह खुश नहीं लगा । तो सिएटल में काम करने के बारे में क्या सोचा? “

हम सीमाओं की बात कब करेंगे? इसकी योजना क्या है?

“वहां इंटर्न के लिए मेेरे दो इंटरव्यू हैं।”

“तुम मुझे इस बारे में कब बताने वाली थीं? “

“ओह…बता तो रही हूं “

“कहां? “

किसी कारण से, हो सकता है कि वह अपना प्रभाव दिखाना चाहे इसलिए मैं उसे बताना नहीं चाहती।

“दो प्रकाशन गृह हैं।”

“क्या तुम यही करना चाहती हो? मतलब प्रकाशनगृह का काम? “

मैंने हामी भरी

“खैर? “उसने और जानकारी के लिए मेरी ओर नज़रें गड़ा दीं।

“एनेस्टेसिया! उनके नाम तो बोलो।” उसने फटकारा

“बस छोटे से हैं।”

“तुम क्यों नहीं चाहतीं कि मुझे उनके बारे में पता चले।”

“तुम उन पर अपना रोब…? “

“ओह एना! तुम भी हद करती हो। चलो अब सीमाओं की बात करें।” उसने मेरे ई-मेल की कॉपी और सूची निकाल ली। क्या वह जेब में ये सब लिए डोलता है? शायद मेरी सूची इसकी जैकेट की जेब में है। ओह! मुझे याद रखना होगा। मैंने कप खाली कर दिया

उसने मुझे ताका

“और? “

“प्लीज़ “

उसने शैंपेन डालते हुए पूछा

“तुमने कुछ खाया? “

अरे नहीं…वही पुरानी कहानी

“हां! आज मैंने रे के साथ तीन कोर्स वाला डिनर किया है।” मैंने आंखें नचाईं। शैंपेन मुझे निडर बना दिया है।

वह आगे झुका और मुझे घूरा

“अगली बार आंखें नचाईं तो तुम्हारा वह हाल करूंगा…।”

क्या?

ओह! मैं उसकी आंखों में छिपी उत्सुकता देख सकती थी।

“ओह!” उसने मेरी नकल उतारी और बोला।

“चलो एनेस्टेसिया! शुरू करें।”

मेरा दिल तेजी से धड़क रहा है। पेट में खलबली मची है। ये सब इतना हॉट क्यों है? उसने फिर से कप भरा और मैंने घूंट भरा। फिर पूरा कप एक साथ खाली कर दिया।

“अब मेरी ओर ध्यान दो।”

“हां “

“जवाब दो “

“हां…ठीक है।”

“तो हम अब परिशिष्ट तीन पर चर्चा कर लेते हैं।”

परिशिष्ट 3

स्वीकार की गई कोमल सीमाएं

दोनों पक्षों की आपसी रजामंदी द्वारा तय की गईं:

क्या सेक्स गुलाम निम्नलिखित के लिए सहमति देती है:

हस्तमैथुन योनि संभोग

स्त्री के लिए मुख मैथुन योनि में मुट्ठी का प्रयोग

पुरुष के लिए मुख मैथुन गुदा संभोग

वीर्य को निगलना गुदा में मुट्ठी का प्रयोग

“तुमने कहा कि गुदा में मुट्ठी के प्रयोग के लिए सहमति नहीं है। क्या कोई और आपत्ति भी है? उसने आराम से पूछा। मैंने थूक गटका।

“मुझे तो गुदा संभोग वाली बात भी हजम नहीं हुई। ये मेरे बस में नहीं है।’

“वैसे मैं पहली बात तो मान गया पर यहां मैं अपना पलड़ा भारी रखना चाहूंगा। एनेस्टेसिया! हम उन पलों का इंतज़ार करेंगे, जब तुम इसके लिए शारीरिक और मानसिक तौर पर तैयार हो जाओगी। तुम्हें थोड़े से प्रशिक्षण की आवश्यकता होगी।

“प्रशिक्षण? मैं फुसफुसाई।

“अरे हां! इसके लिए तैयारी चाहिए और यकीन जानो तुम्हें इसमें आनंद आएगा। अगर कोशिश के बावजूद तुम्हें पसंद नहीं आया तो हम इसे नहीं करेंगे। उसने खीसें निपोरीं। मैंने पलकें झपकाईं उसे लगता है कि मुझे मज़ा आएगा। उसे कैसे पता कि इसे करने में आनंद आता है?

“क्या तुमने इसे पहले किया है? “मैं हौले से बोली।

“हां “

हाय! मैंने आह भरी।

“किसी पुरुष के साथ? “

“नहीं, मैंने कभी किसी पुरुष के साथ ऐसे संबंध नहीं रखे। ये मुझे पसंद नहीं है।”

“मिसेज रॉबिन्सन? “

“हां।”

“कैसे? “मैंने भौं नचाई। वह लिस्ट में आगे देखने लगा।

“और…वीर्य निगलने के बारे में? वैसे तो तुम उस हुनर में माहिर हो और तारीफ़ भी पा चुकी हो।”

मैं घबरा गई और मेरे भीतर बैठी लड़की ने गर्व से दमकते हुए अपने होंठ भींचे।

तो। वह खीसें निपोरते हुए बोला- “इसमें तो कोई परेशानी नहीं है? “

मैंने हामी भरी पर उसी नज़रों का सामना न कर सकने के कारण चाय के कप पर

नज़रें गड़ा लीं।

“और? “

और जब वह चाय का कप दोबारा भरने लगा तो कल वाली बात याद आ गई। क्या वह उसकी ही बात याद कर रहा है या शैंपेन के बारे में पूछ रहा है?

“सेक्स खिलौने? “उसने पूछा।

मैंने कंधे झटके और लिस्ट पर नज़र डाली:

क्या सेक्स गुलाम निम्नलिखित के प्रयोग की सहमति देती है:

वाईब्रेटस डिल्डा

बट प्लग्स योनि व गुदा से संबंधित अन्य खिलौने व उपकरण

“बट प्लग्स? बॉक्स पर जो लिखा है, क्या ये उसी काम आते हैं? “मैंने नाक चिढ़ाई।

“हां। वह मुस्कुराया। और मैंने ऊपर जिस प्रशिक्षण की बात की थी, यह उसी से संबंध रखता है।”

“ओह……दूसरे डिब्बों में क्या है? “

“मोती, अंडे……उस तरह का सामान “

“अंडे……. “मैं चौंकी।

“नहीं सचमुच के अंडे नहीं…..।” वह सिर हिलाते हुए खुल कर हंसा।

मैंने अपने होंठ भींचे।

“मुझे खुशी हुई कि तुम्हें बड़ा मज़ा आया।” मैं अपनी आहत भावनाएं छिपा नहीं सकी।

उसने हंसना बंद कर दिया।

“मैं माफी मांगता हूं। मिस स्टील! आई एम सॉरी!” उसने गंभीर होने का दिखावा किया।

आंखों में अब भी हंसी नाच रही थी।” इन खिलौनों से कोई परेशानी? “

“नहीं। मैंने कहा।

“एनेस्टेसिया! उसने पुचकारा। सॉरी! यकीन करो, मैं हंसना नहीं चाहता था। मैंने आज तक किसी से इस विषय पर इतने विस्तार से बात नहीं की और तुम बिल्कुल अनाड़ी हो। सॉरी!”

मैं थोड़ा पिघली और शैंपेन का घूंट भरा।

“ठीक है, बांधने वाली बात। वह फिर से लिस्ट पर आ गया। मेरे भीतर बैठी लड़की इस तरह उछल-कूद मचाने लगी मानो कोई बच्चा आइसक्रीम देखकर ललचा रहा हो।

क्या सेक्स गुलाम निम्नलिखित के प्रयोग की सहमति देती है:

रस्सी से बांधना टेप से बांधना

चमड़े की हथकड़ियों से बांधना अन्य वस्तुओं से बांधना

हथकड़ियों/ बेड़ियों आदि से जकड़ना

क्रिस्टियन ने भौं नचाई- “तो? “

“ठीक है।” मैंने कहा और चुपचाप दोबारा लिस्ट देखने लगी।

क्या सेक्स गुलाम निम्नलिखित रूप से नियंत्रित होने की सहमति देती है:

आगे की ओर हाथ बांधना कलाईंयां व टखने बांधना

टखने बांधना कुछ खास वस्तुओं व फर्नीचर आदि से बांधना

कोहनियां बांधना स्प्रेडरबार से बांधना

हाथ पीछे की ओर बांधना घुटने बांधना

टांगना

क्या सेक्स गुलाम आंखों पर पट्टी बांधने की सहमति देती है?

क्या सेक्स गुलाम मुंह में कपड़ा ठूंसने या मुंह बंद करने के लिए किसी वस्तु के प्रयोग की सहमति देती है?

“हमने टांगने के बारे में बात कर ली है और क्या तुम उसे एक कठोर सीमा के रूप में लेना चाहती हो? वैसे भी इस काम के लिए काफी समय चाहिए और तुम मुझे इतने लंबे वक्त के लिए मिलोगी नहीं। कुछ और? “

“मेरा मज़ाक मत उड़ाना पर ये स्प्रेडर बार क्या होता है? “

“मैंने वादा किया है कि नहीं हसूंगा, दो बार माफी भी मांग ली है। दोबारा यह मत कहना।” उसने तल्ख़ी से कहा। ओह……मैं अंदर ही अंदर सिकुड़ गई। ये तो बड़ा रोब मारता है।

“स्प्रेडरबार पर कलाई व टखनों के लिए बहुत सारी हथकड़ियां वगैरह टंगी होती हैं। वे बड़ा ही मज़ा देती हैं।”

“ओ.के……मुंह में कपड़ा ठूंसने के बारे में…? मुझे चिंता है कि कहीं मेरा दम ही न घुट जाए।”

“अगर तुम सांस न ले सकीं तो ये मेरे लिए भी चिंता का विषय होगा। मैं नहीं चाहता कि तुम्हारा दम घुट जाए।”

“अगर मुंह में कपड़ा होगा तो मैं सुरक्षित शब्द का प्रयोग कैसे करूंगी? “

“सबसे पहले तो, उम्मीद तो यही है कि तुम्हें कभी उनके इस्तेमाल की ज़रूरत ही नहीं होगी। अगर ऐसा हुआ भी तो हाथों से भी तो ईशारा किया जा सकता है।”

मैंने पलकें झपकाईं। अगर हाथ भी बंधे होंगे तो क्या होगा? मेरा दिमाग चकराने लगा है। ओह…अल्कोहल का असर?

“मैं तो इस बारे में ही घबराहट महसूस कर रही हूं।”

“ओ.के.। मैं लिख लेता हूं।”

“क्या तुम अपनी सेक्स गुलामों को इसलिए बांधते हो ताकि वे तुम्हें छू न सकें।”

उसने मुझे चौड़ी आंखों के साथ घूरा।

“एक वजह यह भी है।” उसने हौले से कहा

“तभी तुम मेरे भी हाथ बांध देते हो? “

“हां “

“तुम इस बारे में बात तक करना पसंद नहीं करते? “मैं बुदबुदाई।

“नहीं! यह मुझे पसंद नहीं। क्या तुम एक और ड्रिंक लेना चाहोगी, ये तुम्हें बहादुर बनाती है और मैं जानना चाहता हूं कि तुम दर्द के बारे में कैसा महसूस करती हो।”

ओह! तो ये बात है। उसने मेरा चाय का कप भर दिया और मैंने चुटकी ली।

“तो! दर्द के बारे में तुम्हारी क्या राय है? क्रिस्टियन ने मेरी ओर देखा। तुम अपना होंठ काट रही हो।” वह बोला

मैं वहीं थम गई। पर ये समझ नहीं आया कि जवाब क्या दूं?

“जब तुम बच्ची थीं तो तुम्हें कभी सज़ा दी गई थी? “

“नहीं “

“तो तुम्हें इसकी कोई जानकारी नहीं है।”

“नहीं।”

“वैसे ये इतना बुरा भी नहीं, जितना तुम सोचती हो। यहां तुम्हारी कल्पना ही तुम्हारी

सबसे बड़ी दुश्मन है।”

“क्या तुम्हें ये करना ही होगा? “

“हां? “

“क्यों? “

“एनेस्टेसिया! मैं यही कर सकता हूं और करता हूं। मैं तुम्हारी घबराहट देख सकता हूं। चलो उपायों पर चर्चा करें।”

उसने मुझे सूची दिखाई। सयानी लड़की तो झट से चिल्लाकर काउच के पीछे जा छिपी।

क्या सेक्स गुलाम पीड़ा/ सज़ा/ अनुशासन के इन रूपों पर अपनी सहमति देती है:

नितंबों पर वार पैडलिंग

कोड़े से मार छड़ी से पिटाई

काटना निप्पलों पर लगने वाली चिमटियां

गुप्तांगों पर लगने वाली चिमटियां बर्फ

गर्म वैक्स पीड़ा देने के अन्य उपाय/ प्रकार

“वैसे तुमने गुप्तांग पर लगने वाली चिमटियों के लिए न बोला है। वह ठीक है। पर छड़ी से सबसे ज्यादा चोट आती है।”

मेरा चेहरा पीला पड़ गया।

“हम उस बारे में कुछ कर सकते हैं।”

“या उसे बिल्कुल ही प्रयोग में न लाएं।” मैंने धीरे से कहा।

“बेबी! यह सब हमारे अनुबंध का हिस्सा है पर तुम चिंता मत करो मैं तुम पर ज्यादा दबाव नहीं दूंगा।”

“ये सज़ा वाली बात से मुझे बड़ी परेशानी हो रही है।” मैंने हौले से कहा।

“मुझे खुशी है कि तुम कुछ बोली तो सहीं। हम छड़ी वाली बात तो सूची से निकाल ही देते हैं। जब तुम सही चीजों को सहज भाव से लेने लगोगी तो हम उनकी गहनता बढ़ा देंगे। हम सब कुछ धीरे-धीरे सहज भाव से ही करेंगे।”

मैंने थूक गटका और उसने आगे आकर मेरे होंठ चूम लिए।

“हम्म! बुरा तो नहीं रहा।”

“देखो मै तुमसे एक बारे में और बात करना चाहता हूं और फिर हम…… “

हैं??? यह चाहता क्या है?

अब तक छिपी बैठी चाह अंदर ही अंदर उसके इशारे से कुलांचे भरने लगी।

“ओह एनेस्टेसिया! तुम्हें नहीं लगता कि हमें अगले सप्ताह का इंतज़ार किए बिना अभी … “

मेरे भीतर बैठी लड़की हांफने लगी।

“देखो! वैसे मैं कुछ आज़माना भी चाहता हूं।”

“कुछ दर्दनाक? “

“ओह नहीं-तुम हमेशा दर्द की बात क्यों करती हो? ये सब तो आनंद की बातें हैं। क्या मैंने तुम्हें आज तक कभी चोट पहुंचाई? “

“नहीं “

“तो। देखो कल तुम और अधिक पाने के बारे में बात कर रही थीं।”

ओह…वह कहना क्या चाहता है?

उसने मेरे हाथ थाम लिए।

“तुम जितने समय के लिए मेरी सेक्स गुलाम हो। उसके अतिरिक्त हम कोशिश कर सकते हैं। पता नहीं कि ये कारगर होगा या नहीं पर मैं ऐसा करना चाहता हूं। हो सकता है कि सप्ताह में एक रात। पता नहीं।”

ओह! मेरा मुंह खुला का खुला रह गया। क्रिस्टियन ग्रे भी हमारे रिश्ते से कुछ और की उम्मीद रखता है! वह कोशिश करना चाहता है। भीतर बैठी लड़की के चेहरे की हैरानी भी छिपाए नहीं छिप रही।

“मेरी एक शर्त है।” वह बोला।

“बोलो? “मैंने सांस ली। उसके लिए तो मैं कुछ भी कर सकती हूं।

“तुम्हें पूरे दिल से ग्रेजुएशन वाला उपहार कबूल करना होगा।”

“ओह।” अंदर ही अंदर शायद मैं यह बात पहले से जानती थी।

वह मेरी प्रतिक्रिया के लिए टकटकी बांधे बैठा है।

“आओ।” उसने मुझे पास घसीट लिया।

उसने अपनी जैकेट उतारकर मेरे कंधों पर डाली और बाहर ले गया, जहां लाल रंग की दो दरवाजों वाली ऑडी खड़ी थी।

“ये तुम्हारे लिए है। हैप्पी ग्रेजुएशन।” वह बोला और बांहों में खींचते हुए बाल चूम लिए।

उसने मेरे लिए एक नई ब्रांडेड गाड़ी ली है…हाय मैं तो अभी उन महंगी किताबों के पचड़े से नहीं निकली और अब यह कार? मैं उसे घूरते हुए मन ही मन अंदाज़ा लगाने लगी कि ये सब मुझे कैसा महसूस हो रहा था। मैं एक ओर खुश हूं, एक ओर सदमे में हूं और एक ओर उसकी एहसानमंद हूं पर सबसे ज्यादा तो इस वक्त गुस्सा आ रहा है। हां, अभी तो गुस्सा ही आ रहा है, खासतौर पर जब मैंने उसे किताबों के बारे में सब बता दिया था..पर वह इसे पहले ही ले चुका था……। वह मुझे हाथ थाम कर कार के पास ले गया।

“एनेस्टेसिया! तुम्हारी बीटल बहुत पुरानी और खतरनाक थी। अगर तुम्हें कुछ हो जाता तो मैं खुद को कभी माफ न कर पाता और खासतौर पर तब, जब इस समस्या का हल खोजा जा सकता है।”

उसकी आंखें मुझे देख रही हैं पर मैं उसे नहीं देख पा रही। मैं चुपचाप उस लाल नई चमकीली गाड़ी को देख रही हूं।

“मैंने तुम्हारे सौतेले पिता से भी इसका जिक्र किया था और उन्हें कोई एतराज़ नहीं है।” वह बोला।

मैंने मुड़कर उसे हैरानी से देखा।

“तुमने रे से इस बारे में बात की? तुम कैसे कर सके?” उसकी हिम्मत कैसे हुई? बेचारे रे। मुझे अपने प्यारे पिता के लिए अफसोस होने लगा।

“एनेस्टेसिया! ये एक तोहफा है। तुम एक शुक्रिया कहकर बात खत्म नहीं कर सकतीं? “

“पर तुम जानते हो कि ये हद हो रही है।”

“नहीं मेरे लिए नहीं। मेरे लिए मन की शांति ज्यादा मायने रखती है।”

मैं कुछ नहीं कह पाई। ये नहीं समझेगा। उसके जीवन में कभी पैसे की कमी नहीं रही।

वैसे छुटपन में तो वह भी गरीब ही था न? मेरा दिमाग उसी ओर चला गया। मेरा मन अचानक पिघला और कार को प्यार से देखने लगी।

जो भी हो, उसकी नीयत साफ है।

“मैं खुश हूं कि तुमने लैपटॉप की तरह इसे भी मुझे उधार दिया है।”

उसने भारी सांस ली।” अच्छा, अनिश्चित रूप से उधार ही सही।”

“नहीं, अनिश्चित तौर पर नहीं लेकिन अभी के लिए धन्यवाद!”

मैंने आगे आकर उसे गाल पर चूम लिया।

“सर! कार के लिए थैंक्स।” मैंने अपने शब्दों में चाशनी घोलते हुए कहा।

उसने एक ही झपटे में मुझे खुद से सटा लिया

“एना स्टील! तुम बड़ी जिद्दी लड़की हो।” उसने बड़ा ही गहरा चुंबन दिया।

मैंने भी उसी जुनून में भर कर उसके चुंबन का उत्तर दिया। मैं कार, किताबों और कोमल-कठोर सीमाओं और छड़ियों…… के बावजूद उसे दिल से चाहती हूं। मैं उसे चाहती हूं।

“मैं खुद पर काबू नहीं रख पा रहा। जी तो कर रहा है कि यहीं इसी कार के हुड पर..। खैर मैं तुम्हें यकीन दिलाना चाहता हूं कि तुम मेरी हो और मैं जब जी चाहे तुम्हें कार या कुछ भी खरीद कर दे सकता हूं।”

ओह!! ये तो नाराज़ दिख रहा है।

वह सीधा मुझे कमरे में खींच ले गया और बत्तियां जला दी।

“मुझसे गुस्सा हो? “

“मैं कार और किताबों वाली बात के लिए माफी चाहती हूं……जब तुम गुस्सा होते हो तो मुझे डर लगता है।

उसने आंखें बंद की और सिर झटका। आंखें खोलीं तो चेहरे के भाव बदल गए थे

“मुड़ जाओ। मैं तुम्हें इस पोशाक से बाहर निकाल कर तुम्हारी बेदाग त्वचा को देखना चाहता हूं।” वह हौले से बोला

फिर वह धीरे-धीरे चुंबनों की बौछार के बीच मेरी पोशाक उतारता चला गया। उसके हाथ मेरे वक्षस्थल से खेलने लगे…… उन्हीं सरगोशियों के बीच मैं सारी कोमल और कठोर सीमाएं और उनसे जुड़ी बातें भूल गई। उस पल में मेरे लिए क्रिस्टियन से बढ़कर कोई और नहीं था। कुछ भी मायने नहीं रखता था।

उस दिन उसने मुझे अपने कपड़ों सहित छूने की इजाज़त दी और खेल का मुखिया बना दिया। मैं हैरान रह गई पर अपना हुनर दिखाने का मौका भी तो मिल रहा था। मानो उसने खुद को मेरे हवाले कर दिया। भले ही यह सब खेल में हो रहा था। असल जिंदगी में तो ऐसा संभव ही कहां था कि यह सनकी किसी और को अपना नियंत्रण लेने देता।

जो भी हो, मैंने उसके साथ उस खेल का पूरा मज़ा लिया। एक अजीब सा एहसास था..ऐसा लग रहा था कि वह मेरे वश में हो….. और फिर जल्द ही हम ऐसी दुनिया में पहुंच गए…… कल्पना और वास्तविकता के बीच एक ऐसी दुनिया……जहां किसी तरह की कोई सीमा न थी।