कार्यक्रम के पहले दिन उस्ताद एन. जहीरूद्दीन डागर और उस्ताद एन. फयाजुद्दीन डागर को मरणोपरांत चौथे पंडित क्षितिपाल मल्लिक ध्रुपद रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पंडित क्षितिपाल मल्लिक ध्रुपद को ये सम्मान दिल्ली की सांसद मीनाक्षी लेखी ने दिया। इसके साथ ही कार्यक्रम में वंदना ब्रज ने शानदार गीत की प्रस्तुति की। इस गीत को अपनी आवाज देने वाली अन्य महिलाओं में शामिल रहीं नीतू जिवराजका, अनुराधा गुप्ता, प्रीति माहेश्वरी, धन्नो जैन, चित्रलेखा गुप्ता, उमा मावंडिया, विजयलक्ष्मी पोद्दार, उर्मिला लोहिया, सुषमा भट्टर, मधु मावंडिया। 
उसके बाद दरभंगा घराने के 18वीं पीढ़ी के युवा ध्रुपद गायक डॉक्टर प्रभाकर नारायण पाठक मल्लिक ने अपना गायन प्रस्तुत किया। राग देस में लंबा आलाप लेने के बाद उन्होंने ध्रुपद, धमार में ही हे सखी सावन आयो की सुंदर प्रस्तुति दी। धमार 14 मात्रा में हे री सखी अति धुम मचाई, सुल-ताल की बंदिश बदरा उमड़-घुमड़ घन छाई बदरा ने दर्शकों को बांधे रखा। उनके  सुरदास की मल्हार और मियां की मल्हार बंदिश से उपस्थित श्रोताओं का दिल जीत लिया। 
वहीं समारोह के दूसरे दिन की शुरूआत गणेश चरण वंदना से की गई। चतुर्भुज दास द्वारा रचित झूलन के दिन आयो की मंचीय प्रस्तुति सुषमा भट्टर, बेला डालमिया, आभा जयपुरिया, रेखा खेतान, साधना, जैन करूणा गोयनका और सुनीता ने दी। पंडित क्षितिपाल मल्लिक ध्रुपद सोसाइटी के माध्यम से डाक्टर प्रभाकर मल्लिक ने नई प्रतिभाओं को एक वैश्विक मंच प्रदान किया है। कार्यक्रम में पूरे संगीत समारोह में पखावज पर पंडित मोहन श्याम शर्मा, महेश कुमार बागड़िया, गौरव उपाध्याय, मनमोहन नायक, सारंगी पर घनश्याम सिसोदिया, बांसुरी पर सतीश पाठक, तानपुरे पर संजय और कार्तिकेय के अलावा तबले पर प्रदीप कुमार सरकार, उस्ताद असलम खां ने जबर्दस्त संगत दी। कुल मिलाकर ये दो दिवसीय ध्रुपद संगीत समारोह संगीत की मीठी यादें श्रोताओं के मन में संजो गया जो चिरस्मरणीय है।