World Mental Health Day: आधुनिक दौर में महिलाएं घर की चारदीवारी से बाहर निकलकर करियर के क्षेत्र में पुरुषों के कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही है। उन्होंने अपनी एक पहचान कायम की है और कई मायनों में पुरुषों से अधिक सफलता प्राप्त की है। इसके पीछे उनमें मल्टीटास्किंग और कोपिंग का गुण का होना है जो गॉडगिफ्टेड है। जिसके चलते वह घर-बाहर एक साथ कई काम करने में सक्षम होती हैैं और बहुत आगे तक जा सकती हैं।
लेकिन वर्किंग होने के बावजूद महिलाओं से यह अपेक्षा की जाती है कि घर-परिवार की जिम्मेदारी भी वही संभालें। वहीं गलाकाट संस्कृति के चलते कामयाबी का मुकाम हासिल करने के लिए महिलाओं को खासी मशक्कत का सामना भी करना पड़ता है। कई बार ऑफिस वातावरण चुनौतीपूर्ण होता है कि उन्हें पुरुष सहकर्मियों के साथ काम करना काफी कठिन होता है। खुद को खरा साबित करने में कई बार उन्हें निराशा का सामना भी करना पडता है।
फैमिली सपोर्ट न मिलने पर भी घर-बाहर के मोर्चाे को संभालती हुई महिलाएं कई बार अपनी सेहत को भी दरकिनार कर देती हैं। महिलाएं डिर्प्रेशन, तनाव, एंग्जाइटी, अनिद्रा, हाइपरटेंशन जैसी अन्य मानसिक परेशानियों का शिकार भी हो जाती हैं। इसका सीधा असर उनके स्वास्थ्य और कार्यक्षमता पर पड़ता है। उनके शरीर मे एस्ट्रोजन हार्माेन का स्तर कम हो जाता है और कमजोर इम्यूनिटी, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द या माइग्रेन, थकावट, पेट संबंधी बीमारियां, नींद न आना, किसी भी काम में मन न लगना जैसी समस्याएं आएदिन रहने लगती हैं। जिस कारण सेहत के प्रति लापरवाही बरतने और रेगुलर हेल्थ चेकअप न करवाने पर धीरे-धीरे उनमें हाई ब्लड प्रेशर, दिल संबंधी बीमारियां जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
नतीजतन शारीरिक और मानसिक रूप से फिट न होने पर चाहते हुए भी कई महिलाएं करियर में पिछड़ जाती हैं। यहां तक कि फैमिली सपोर्ट न मिलने पर नौकरी छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं। असल में संवेदनशील प्रकृति की होने के कारण वे अक्सर छोटी-छोटी बातों को गंभीरता से लेती हैं और सोचती रहती हैं। लेकिन अगर महिलाएं अपना ध्यान रखें तो डिप्रेशन कम होगा और शारीरिक-मानसिक समस्याएं खुद-ब-खुद कम हो जाएंगी।
स्वस्थ जीवन-शैली अपनाएं

रात को जल्दी सोने और सुबह जल्दी उठने का रूटीन बनाएं। रोजाना कम से कम 6 घंटे की नींद जरूर लें। किसी भी हालत में नाश्ता स्किप न करें। इससे एनर्जी लेवल डाउन हो जाता है जिसका सीधा असर उनकी सेहत और कार्यक्षमता पर पड़ता है।
काम और पर्सनल लाइफ में बनाएं बैंलेंस
अपने काम और पर्सनल लाइफ में बैंलेंस बनाकर चलें। दोनों को बराबर टाइम और महत्ता दंे ताकि वे एक-दूसरे को प्रभावित न करें। प्राथमिकता और काम मे ंलगने वाले समय के हिसाब से दिन भर के कामों की लिस्ट बनाएं और उसका अनुसरण करें। कोशिश करें कि एनर्जी और टाइम-कंज्यूमिंग काम वीकेंड में करें। प्लानिंग के हिसाब से जब सभी काम पूरे होते चले जाएंगे तब आप निश्चय ही तनावमुक्त रहेेंगी।
शारीरिक समस्याओं को न करें अनदेखा
सबसे जरूरी है कि वे अपनी शारीरिक समस्याओं को अनदेखा न करें और उसका समय पर इलाज करा लें, तो वो ठीक हो सकती हैं। जरूरी है महिलाएं पॉजिटिव सोचंे और शारीरिक बीमारियो का समुचित उपचार कराएं। बीमारियां कंट्रोल में रहेंगी , तभी वों विभिन्न कार्यों ेको बेहतर ढंग से अंजाम दे पाएंगी।
सिर्फ काम पर दें ध्यान

वर्किंग महिलाएं ऑफिस में दूसरों से वाहवाही या तारीफ पाने की उम्मीद न करें, सिर्फ मन लगा कर अपने काम को अंजाम दें। कोशिश करें कि किसी के साथ पर्सनल इंटीमेसी न करके अपने काम को अहमियत दें, ताकि दूसरे आपका फायदा न उठा पाएं।
हर चीज़ पर न दें ध्यान
इग्नोर करना सीखें। छोटी-छोटी चीजों के बारे में न सोचें। कोई व्यक्ति आपकी आलोचना भी करता है, तो उसे गंभीरता से न लें।
खराब मूड को न होने दें हावी
खराब मूड को अपनी दिनचर्या और हेल्थ पर हावी नहीं होने दें। ऐसे वक्त मेडिटेशन या अपने पसंदीदा कामों में खुद को व्यस्त करकेे अपना मूड ठीक रखें।
मी टाइम को दें महत्व

दिन में कम से कम आधा घंटा खुद को टाइम दें। अपने मनपसंद काम या अपनी हॉबी को अंजाम दें जैसे- गाने सुनना, पेंटिंग करना, पिक्चर या सीरियल देखना। इससे टेंशनफ्री, रिलेक्स और स्वस्थ रहेंगी।
पारिवारिक माहौल बनाएं अच्छा
फैमिली एन्वायरन्मेंट हेल्दी बनाने का भरसक प्रयास करें। फैमिली बाउंडिंग बढ़ाने के लिए घर के काम छोटे-मोटे कामों में दूसरे सदस्यों की मदद लें। परिवार के सदस्यों का फर्ज बनता है कि महिलाओं को हतोत्साहित न करें। उनके कामों की आलोचना न करके उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रोत्सााहित करें।
दोस्तों के साथ बिताएं समय
जहां तक हो सके, अपने दोस्तों, रिश्तेदारो के संपर्क में रहें। मनोवैज्ञानिको ने साबित किया है कि तनाव कम करने में करीबी व्यक्ति का साथ, स्पर्श और आलिंगन जादू का सा काम करता है। स्पर्श से हैपी हार्माेन का स्राव होता है जो तनाव को दूर करने में मदद करता है। जब भी आप परेशान हों तो अपने करीबी के साथ कुछ पल बिताएं, उसके स्पर्श से आप जरूर अच्छा महसूस करेंगे। अगर रोज मिलना न हो, फोन या सोशल मीडिया के जरिये बातचीत जरूर करें। प्रॉब्लम्स शेयर करने से स्ट्रेस जरूर कम होगा।
सकारात्मक विचारों को दें महत्त्व

सकारात्मक विचारों को महत्व दें। दूसरों की कामयाबी के साथ-साथ अपनी उपलब्धियों की भी सराहना करें। इससे उनमें आगे बढ़ने और कामयाबी हासिल करने का आत्मविश्वास आएगा।
लेते रहें छोटी झपकी
दिन में जब भी मौका मिले, छोटी-सी झपकी लेने से न हिचकें। छोटी मगर गहरी नींद वाली झपकी आपको एंग्जाइटी और तनाव से होने वाली परेशानियों को दूर करने में भी मदद करेगी। रिसर्च से भी साबित हुआ है कि आप जितने भी बिजी हों, दिन में 10-15 मिनट के लिए अगर सो जाते हैं या झपकी ले लेते हैं, तो काफी फ्रेश महसूस करते हैं।
एक्सरसाइज को दें समय
फिजीकली फिट रहने के लिए सुबह या शाम को कम से कम आधा घंटा जरूर निकालें। इसमें वॉक, एक्सरसाइज, योगा, मेडिटेशन करें।
(डॉ मंजू मेहता, क्लीनिकल साइकॉलोजिस्ट, होली फैमिली अस्पताल, दिल्ली)
