Tulsidas Jayanti: हर भक्त अपने ईश्वर की आराधना के लिए भजन करता है , कीर्तन करता है या फिर उनके नाम पर भोजन का खिलाता है। इस तरह अलग अलग तरह से वो अपनी भक्ति को अपने ईश्वर को समर्पित करता है और उम्मीद करता है कि भगवान उसे अपना आशीर्वाद देंगे। भक्ति करते वक़्त आप जो भी आरती , कीर्तन या चालीसा आदि करते हैं तो आपके मन को संतुष्टि मिलती है। ऐसा करने से आपको महसूस होता है कि आपकी अटूट आस्था और मजबूत होती है। इन आरती , भजन या चालीसा को लिखा किसने है ये जानने के उत्सुक भी आप होंगे ही। जैसे तुलसीदास जी ने कई रचनाएँ की हैं लेकिन क्या आप उनकी इन रचनाओं के बारे में जानते हैं जिनका पाठन बड़ा आम है यानी आप ने सुनी होगी। तो आइये जानते हैं उनकी रचनाओं के बारे में।
1) गीतावली
तुलसीदास जी ने गीतावली की रचना की है। ये गीतों वाली रचना ब्रज भाषा में है। इसमें राम भगवान से सम्बंधित बातों का उल्लेख कविता के रूप में है। भगवान राम से जुड़ी करुणामयी घटनाओं का उल्लेख इस गीतावली में है। इसमें राम कथा को गीतों में लिखा गया है। ये 7 काण्डों में विभाजित है। इसकी रचना 1559 में हुई थी।
2) कवितावली
कवितावली में श्री राम के बारे में कविता, छंद , सबद, चौपाई और सवैया आदि में बताया गया है। इसके अंदर 7 कांड है। ये छंद ब्रज भाषा में है। इसमें कुछ छंद तुलसीदास के अंतिम दिनों के हैं इसलिए माना जाता है कि इसकी रचना 16वीं शताब्दी में हुई है। कवितावली खूबसूरत छंदों से भरपूर है जिन्हें पढ़कर व्यक्ति भावुक हो उठता है।
3) हनुमान बाहुक
यदि व्यक्ति रोगी हो उसे अपने रोगों से छुटकारा न मिल रहा हो तो ऐसे में हनुमान बाहुक का पाठ करना अति आवश्यक है। तुलसीदास जी ने हनुमान बाहुक की रचना उन दिनों में की थी जब वो रोग से ग्रसित थे। उनके शरीर में अत्यंत पीड़ा थी। इससे मुक्ति पाने के लिए उन्होंने हनुमान बाहुक की रचना की। और वो ठीक होने लगे। यही कारण है कि अगर व्यक्ति रोगी हो तो वो हनुमान बाहुक का पाठ करता है।
4) विनय पत्रिका
विनय पत्रिका को ब्रज में लिखा गया है। यह तुलसीदास के 279 स्तोत्र गीतों का संग्रह है। इसमें गणेश , शिव , पार्वती , सरस्वती और श्री राम की स्तुतियाँ हैं। श्री राम के भक्त तुलसीदास ने विनय पत्रिका में श्री राम की भक्ति की याचना के बारे में लिखा है। इसमें 21 रागों का प्रयोग हुआ है।