हो लीजिए जलमहल की सुंदरता में मग्न
जयपुर शहर के बीच हो सकता है आपको खूब भीड़-भाड़ दिखे लेकिन जैसे ही आप आमेर-जयपुर रोड पर निकलेंगी तो सुकून के माहौल में खो जाएंगे। दरअसल जयपुर से उत्तर की ओर 4 किलोमीटर दूर बना है जल महल। ये एक ऐसा महल है तो ऐतिहासिक कलाकारी के लिए जरूर पसंद किया जाता है लेकिन इससे भी ज्यादा इसलिए पसंद किया जाता है क्योंकि ये पानी के बीचोंबीच बना है। इतना ही नहीं झील के बीच बने इस महल के आस-पास पहाड़ियां हैं तो हरियाली भी। कुल मिलाकर ये जगह सुकून और शांति का फुल डोज़ देती है। इस जगह आकर आप आम जिंदगी की उलझन जरूर भूल जाएंगी। आई बॉल और द वॉटर पैलेस के नाम से पहचाना जाने वाले इस महल की छोटी सी सैर हम कराए देते हैं- 
कैसे आएं-
जलमहल तक आने के लिए आपको जयपुर आना होगा। जयपुर के फ्लाइट और रेल देश एक ज़्यादातर बड़े शहरों से आसानी से मिल जाती हैं। जयपुर से महल आने के लिए रिक्शा किया जा सकता है। ज़्यादातर यात्री रिक्शा से जल महल के साथ आस-पास की दूसरी जगहों को भी घूमते हैं, जैसे आमेर फोर्ट, मंकी टेंपल आदि। 
अश्वमेध यज्ञ के लिए हुआ निर्माण-
करीब 250 साल पुराने आमेर के महाराज जय सिंह द्वितीय ने इस महल का निर्माण कराया था। उन्होंने अश्वमेध यज्ञ के बाद अपनी रानियों के साथ झील के बीचोंबीच स्नान करने के लिए इस महल को बनवाया था। लेकिन महल के निर्माण से पहले राजा ने जयपुर की जलापूर्ति के लिए एक नदी पर बांध बनवाया था। जिससे मानसागर झील बनी। ये निर्माण 1799 में हुआ। इस महल में उत्सव भी होते थे और राजसी परिवार यहां सुकून का समय भी बिताते थे। 
दिखता एक मंजिला-
मानसागर झील पर बने इस महल को दूर से देखने में एक मंजिला ही लगता है। यात्री अक्सर इस बात से धोखा खा जाते हैं। इसमें पानी के अंदर जलमग्न चार मंजिल हैं और बाहर पांचवी मंजिल। 
सैंकड़ों साल से बनी पानी के बीच-
राजा ने उस दौरान इस तरह के मटेरियल के इस्तेमाल करने पर ज़ोर दिया, जो सालों साल पानी के बीच बने होने पर ही सही सलामत रहे। उन्होंने इसे चूना पत्थर से बनवाया था, जो पानी को महल के अंदर नहीं आने देता और महल शान से पानी के बीच भी खड़ा रहता है। महल मेहराबों, बुर्जो, छतरियों एवं सीढीदार जीनों के साथ बहुत सुंदर लगता है। 
अकाल में बना महल-
इस महल को एक अकाल के दौरान बनवाया गया था। यही वजह रही कि महल बनवाया गया तो पूरा दिख रहा था। 
पेड़-पौधों का ठिकाना-
ये महल पेड़-पौधों का ठिकाना भी है। दरअसल महल में 1 लाख से ज्यादा वृक्ष लगाए गए हैं। राजस्थान के सबसे ऊंचे पेड़ इसी नर्सरी में हैं। इतना ही नहीं यहां 150 साल पुराने पेड़ों को ट्रांसप्लांट के जरिए फिर से विकसित किया गया है। नर्सरी इतनी बड़ी और अच्छी है कि 40 से ज्यादा माली इसस्की देखभाल करते हैं।