विश्व धरोहरों में ढेरों इमारतें शामिल हैं, जिन्हें देखने पूरी दुनिया के लोग आते हैं। भारत में भी ऐसी कई जगह हैं। ऐसी ही न भुलाई जाने वाली इमारतों को खुद में समेटे है देश के दक्षिण में बना महाबलीपुरम। पहले इस शहर को मामल्लापुरम भी कहते थे। तमिलनाडू की राजधानी चेन्नई से 55 किलोमीटर दूर स्थित इस जगह पर कई ऐसे मंदिर हैं, जो इतिहास के असल गवाह हैं।  रथ मंदिर हो या शोर मंदिर, हर इमारत अपने आप में इतिहास छुपे हुए है। इन प्राचीन मंदिरों की अचंभित कर देने वाले नक्काशी और कई दूसरी खासियतों के चलते ही यूनेस्को ने इन्हें विश्वधरोहर का तमगा दिया है। 
रथ मंदिर की भव्यता-
बंगाल की खाड़ी के तट पर बने इस मंदिर को रथ मंदिर भी कहा जाता है। माना जाता है कि पल्लव राजाओं ने पांडवों की याद में इसे बनवाया था। यहां पर द्रविण वास्तुकला का भी ये एक सुंदर नमूना है। सातवीं शताब्दी में ये शहर पल्लव राजाओं की राजधानी था। खास बात ये है कि यहां कुल पांच रथ हैं, जिनमें से चार को एक ही पत्थर को काट कर बनाया गया है। पांडवों के नाम पर इन रथ को पांडव रथ कहा गया। 
समुद्र के अंदर वाला मंदिर- 
यहां एक मंदिर और है, जिसे देखे बिना नहीं रहा जा सकता है। इस मंदिर को शोर कहते हैं। 1400 साल पुराने समुद्र के किनारे बसे इस मंदिर में शिव, विष्णु आदि भगवानों की मूर्तियां हैं। यहां कुल तीन मंदिर हैं, जिनमें से एक भगवान विष्णु और दो भगवान शिव के हैं। इन मंदिरों का कुछ हिस्सा समुद्र के अंदर भी जा चुका है। कई बार समुद्र की लहरें भी इससे टकराती हैं, तो बहुत सुंदर नजारा होता है। 
कृष्णा बटर बॉल, नहीं देखा तो कुछ नहीं देखा-
दुनियाभर से घूमने आए लोग महाबलीपुरम की इस खूबसूरत जगह पर जरूर आते हैं। यहां एक बड़े गोल आकार की कलाकृति है, जो ढलान पर होने बावजूद साधी हुई है। माना जाता है ये भगवान कृष्ण का पसंदीदा मक्खन है और इसीलिए इसे कृष्णा बटर बॉल कहा जाता है। कुछ समय पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी यहां आ चुके हैं। 
अर्जुन पेनेंस- 
27 मीटर लंबी और 9 मीटर चौड़ी इस जगह को विशाल नक्काशी के लिए जाना जाता है। इसका आकार व्हेल मछ्ली की पीठ जैसा है। इस पर भगवान, पक्षियों, और इंसानों की आकृति भी उकेरी गई है। 
कैसे पहुंचे-
यहां आने के लिए आपको चेन्नई तक आपको पहुंचना होगा। हर बड़े शहर से फ्लाइट और ट्रेनें यहां के लिए चलती ही हैं। फिर चेन्नई से महाबलीपुरम पहुंचने के लिए बस लेनी होगी। 

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