Bel Patra: बेलपत्र जिसे बिल्व पत्र भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित एक पवित्र पत्ता है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि आयुर्वेदिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। वेदों में इसे देवों का राजा कहा गया है। शास्त्रों के अनुसार बेलपत्र तोड़ते समय कुछ विशेष नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। शास्त्रों में कुछ ऐसी तिथियां बताई गई है जिस दिन बेलपत्र तोड़ना चाहिए और कुछ तिथियां ऐसी भी है, जिस दिन भूलकर भी बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
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ऐसा भी माना जाता है कि इन नियमों का पालन करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। बेलपत्र को तोड़ने का सही समय और तरीका जानना हर शिव भक्त के लिए बेहद ही आवश्यक है इसलिए आपको भी जरूर जान लेना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि बेलपत्र के बिना शिव पूजा अधूरी होती है। बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं। बेलपत्र के तीन पत्ते त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, और महेश का प्रतीक माने जाते हैं। बेलपत्र मात्र एक पत्ता नहीं है, बल्कि भक्ति और समर्पण का प्रतीक भी है।
बेलपत्र तोड़ने की यह तिथियां ला सकती हैं घर में अशुभता
अमावस्या के दिन
अमावस्या के दिन पंचतत्व की ऊर्जा कमजोर होने के कारण इस दिन बेलपत्र तोड़ना शुभ नहीं माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन बेलपत्र तोड़ने से नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ सकता है। इसके अलावा अमावस्या के दिन बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव की पूजा का फल प्राप्त नहीं होता है। इसलिए शास्त्रों में अमावस्या के दिन बेलपत्र तोड़ने से मना किया गया है।
चतुर्दशी, अष्टमी और नवमी के दिन
इसके अलावा चतुर्दशी, अष्टमी और नवमी जैसी तिथियों को भी बेलपत्र तोड़ने के लिए शुभ नहीं माना गया है। शास्त्रों के अनुसार इन तिथियां को बेलपत्र तोड़ना भगवान शिव को नाराज कर सकता है। इसलिए अगर आप भगवान शिव की पूजा अर्चना करना चाहते हैं और बेल पत्र चढ़ाना चाहते हैं तो इन तिथियां के पहले ही बेलपत्र तोड़ कर रख लें। भगवान शिव के भक्त होने के नाते आपको भूलकर भी इन तिथियों में बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए।
सोमवार और रविवार के दिन
हिंदू धर्म में सप्ताह के प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी देवताओं को समर्पित होते हैं ठीक इसी तरह सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है। वहीं रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। शास्त्रों के अनुसार इन दोनों ही दिन बेलपत्र नहीं तोड़ना चाहिए। सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है इसके बावजूद भी इस दिन बेलपत्र तोड़ना वर्जित है। ऐसा माना जाता है कि सोमवार को बेलपत्र तोड़ने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं इसी प्रकार रविवार को सूर्य देव का दिन होने के कारण इस दिन भी बेलपत्र तोड़ना वर्जित माना जाता है।
इन बातों का रखें ध्यान
जैसा कि हमने आपको बताया कि बेलपत्र को तोड़ने के लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो बेलपत्र को हमेशा प्रातः काल में तोड़ना चाहिए और उसे साफ जल से धोकर भगवान शिव को अर्पित करना चाहिए। बेलपत्र तोड़ते समय भक्त को मन में शुद्ध भाव रखना चाहिए और भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
किस तरह चढ़ाएं बेलपत्र
अगर आप भगवान शिव के भक्त हैं और उन्हें हमेशा बेलपत्र चढ़ाते हैं, तो बेलपत्र चढ़ाने का तरीका भी जान लें। बेलपत्र की चिकनी सतह ऊपर की ओर रहनी चाहिए। इस विधि को अपनाने के लिए अपने दाहिने हाथ की अनामिका और अंगूठे का उपयोग करके बेलपत्र को उठाएं और फिर शिवलिंग पर चढ़ाएं। भगवान शिव को बेलपत्र अर्पित करने के दौरान मन में शुद्ध भाव रखें और भगवान शिव के किसी भी एक मंत्र का जाप करें।
